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    सरप्लस का दावा, खरीद का खेल! MP हर साल बाहर से करोड़ों यूनिट बिजली ले रहा, स्मार्ट मीटर से दोगुने पहुंचे बिल

    Updated: Fri, 05 Dec 2025 07:09 PM (IST)

    मध्य प्रदेश में बिजली की मांग बढ़ रही है, जिसके कारण राज्य को दूसरे प्रदेशों से बिजली खरीदनी पड़ रही है। विधानसभा में कांग्रेस विधायक ने इस मुद्दे को ...और पढ़ें

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    डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्य प्रदेश भले ही खुद को ‘सरप्लस बिजली वाला प्रदेश’ बताता हो, लेकिन हकीकत यह है कि राज्य हर साल अन्य प्रदेशों से बड़े पैमाने पर बिजली खरीद रहा है। यही नहीं, स्मार्ट मीटर लगने के बाद उपभोक्ताओं के बिल दोगुने आने की शिकायतें भी तेज हो गई हैं। यह मुद्दा शुक्रवार को विधानसभा के शीतकालीन सत्र में कांग्रेस विधायक डॉ. विक्रांत भूरिया ने जोरदार तरीके से उठाया।

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    इसके जवाब में ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर की ओर से जवाब देने के लिए अधिकृत तुलसीराम सिलावट ने बताया कि आवश्यकता के अनुसार बिजली अन्य प्रदेश से ले जाती है। 2024-25 में पावर एक्सचेंज से 74 करोड़ और 2025-26 में 91 करोड़ यूनिट बिजली ली गई। स्मार्ट मीटर को लेकर जहां भी शिकायत आती है, वहां समाधान किया जाता है। इसके लिए जिला स्तर पर कमेटी है।

    प्रश्नकाल में डॉ. भूरिया के प्रश्न के उत्तर में मंत्री ने बताया कि बिजली की औसत मांग 2020-21 में 9,527 और अधिकतम 15,425 मेगावाट थी, जो लगातार बढ़ रही है। 2025-26 में 30 सितंबर तक औसत 11,119 और अधिकतम 14,219 मेगावाट मांग हो गई। इसी तरह खपत की बात की जाए तो 2020-21 में 83,458.94 मिलियन यूनिट थी जो 2025-26 में 30 सितंबर तक 48,817.82 मिलियन यूनिट रही।

    प्रदेश के बाहर और निजी उत्पादकर्ताओं से समय-समय पर बिजली पावर एक्सचेंज के माध्यम से ली जाती है। पावर मैनेजमेंट कंपनी ने प्रदेश के बाहर से 2020-21 में 14,005.54 मिनियन यूनिट बिजली 3.61 रुपये प्रति यूनिट की दर से ली। वहीं, 2025-26 सितंबर तक 7,635.20 मिलियन यूनिट 3.43 रुपये प्रति यूनिट की दर से ली गई।

    इसी तरह निजी कंपनियों से 2020-21 में 20,708 मिलियन यूनिट बिजली ढाई रुपये प्रति यूनिट की दर से और 2025-26 सितंबर तक की स्थिति में 12,031 मिलियन यूनिट दो रुपये 81 पैसे प्रति यूनिट की दर से खरीदी गई।

    1,228 करोड़ रुपये की वसूली बाकी

    प्रदेश में 2,409 उच्च दाब के उपभोक्ता इंडस्ट्री, फैक्ट्री और बड़े उपभोक्ताओं के ऊपर 1,228 करोड़ रुपये की वसूली बाकी है। इसमें 951 वे उपभोक्ता हैं, जिन पर 505 करोड़ रुपये बकाया होने के बाद कनेक्शन काट दिए गए हैं। जबकि, 1,458 वे संयोजित कनेक्शनधारी उपभोक्ता हैं, जिनके ऊपर 723 करोड़ रुपये बाकी हैं।