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    साधारण किसान परिवार की बेटी ने अंतरराष्ट्रीय महिला कुश्ती प्रतियोगिता में जीता सिल्‍वर, जानें इसके बारे में सबकुछ

    By Vijay KumarEdited By:
    Updated: Fri, 05 Nov 2021 09:25 PM (IST)

    वर्ल्ड चैंपियनशिप में भारत का 7वां रजत पदक है। उनके पिता नंदलाल पवार साधारण किसान परिवार से संबंध रखते हैं। उनके पास सिर्फ 3 एकड़ जमीन के किसान हैं। उनके तीन बेटियां और एक बेटा है। छिंदवाड़ा के उमरेठ में उनके घर की पक्की छत भी नहीं है।

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    माता पिता दोनों ने ही कभी मुझे कुश्ती और बाहर निकलने से मना नहीं किया। हमें हमेशा प्रोत्साहित किया।

     छिंदवाड़ा, राज्‍य ब्‍यूरो। अंडर 23 अंतरराष्ट्रीय महिला कुश्ती प्रतियोगिता में 50 किलो वेट में मध्‍यप्रदेश की दंगल गर्ल शिवानी पवार ने सिल्वर मेडल जीत लिया। वर्ल्ड चैंपियनशिप में भारत का 7वां रजत पदक है। उनके पिता नंदलाल पवार साधारण किसान परिवार से संबंध रखते हैं। उनके पास सिर्फ 3 एकड़ जमीन के किसान हैं। उनके तीन बेटियां और एक बेटा है। छिंदवाड़ा के उमरेठ में उनके घर की पक्की छत भी नहीं है। बच्‍चों को उन्‍होंने उनका करियर खुद चुनने दिया। समाज के तानों के बाद भी बेटियों को कुश्ती के लिए पूरा सहयोग किया।

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    फुटबॉल और रनिंग का भी शौक रहा

    शिवानी पवार की मां पुष्पा पवार ने बताया शिवानी की स्कूलिंग पंडित विशंभर नाथ हाईस्कूल उमरेठ में हुई। 8वीं कक्षा तक उसे फुटबॉल और रनिंग का शौक था। स्कूल कोच कलशराम मर्सकोले ने पहले उसे फुटबॉल में करियर बनाने के लिए प्रोत्साहित किया। शिवानी ने फुटबॉल के पहले ही राउंड में स्टेट निकाल लिया।

    शिवानी को रेसलिंग में चाहते थे कोच

    कॉम्पिटिशन से वापस आने पर कोच ने उसे रेसलिंग करने की सलाह दी। कोच ने उनसे और शिवानी के पिता से भी इसे लेकर बात की। कोच ने कहा कि शिवानी को वह रेसलिंग में आगे बढ़ते देखना चाहते हैं। हमने भी कहा- हमें कोई प्रॉब्लम नहीं।

    शुरुआत में समाज के ताने भी मिले

    शिवानी की मां ने कहा जब हमने शिवानी को कुश्ती में भेजने का फैसला किया तो शुरुआत में समाज के ताने भी मिले। लोग कहा करते थे कि लड़की है, लड़की को कोई कुश्ती में भेजता है क्या। वैसे तो शिवानी का अब छिंदवाड़ा आना कम ही होता है, लेकिन फिर भी जब भी होता है, यही लोग अब सोचते हैं कि शिवानी से मुलाकात हो जाए और बातचीत कर लें। शिवानी की छोटी बहन भारती पवार का कहना है कि सामाजिक दबाव के बाद भी हमारे माता पिता दोनों ने ही कभी मुझे कुश्ती और बाहर निकलने से मना नहीं किया। हमें हमेशा प्रोत्साहित किया।