मध्य प्रदेश में कोल्ड्रिफ कफ सीरप से बच्चों की मौत, स्वास्थ्य विभाग उठे गंभीर सवाल
मध्य प्रदेश में कोल्ड्रिफ कफ सीरप पीने से बच्चों की मौत हो गई है, जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। सरकार ने जांच के आदेश दे दिए हैं और सीरप के नमूने जांच के लिए भेजे गए हैं। दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

मध्य प्रदेश में कोल्ड्रिफ कफ सीरप से बच्चों की मौत (प्रतीकात्मक)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मध्य प्रदेश में कोल्ड्रिफ के सेवन से बच्चों की मौत के मामले में स्वास्थ्य विभाग देख रहे उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल की अनदेखी पर सवाल उठने लगे हैं। बच्चों की किडनी की बायोप्सी में जहरीला केमिकल डायथिलीन ग्लाइकाल (डीईजी) पाए जाने के बाद भी उन्होंने इसे नकार दिया।
तमिलनाडु औषधि प्रशासन की रिपोर्ट में कोल्डि्रफ में 48.6 प्रतिशत डीईजी पाया गया, जिससे बच्चों की मौत हुई। उप मुख्यमंत्री एक माह तक पीडि़त परिवारों से मिलने नहीं पहुंचे। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के दौरे के दो दिन बाद उन्होंने नागपुर और छिंदवाड़ा का दौरा किया। स्वास्थ्य विभाग में लापरवाही को नजरअंदाज करते जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई भी एक माह बाद हुई।
कलेक्टर ने 29 सितंबर को सीरप पर प्रतिबंध लगाया
उन्होंने सितंबर में मंत्रालय में कई बैठकें कीं, लेकिन सीरप मामले की समीक्षा नहीं की, जबकि 30 सितंबर तक 10 बच्चों की मौत हो चुकी थी। कलेक्टर ने 29 सितंबर को सीरप पर प्रतिबंध लगाया था। कांग्रेस ने भी सीरप अमानक मिलने के बयान और मामले में गंभीरता नहीं दिखाने पर शुक्ल को घेरा। हालांकि, अब शुक्ल मीडिया से कई बार यह कह चुके हैं कि उन्होंने कभी क्लीन चिट नहीं दी।
'नईदुनिया' ने इस संबंध में उनसे बात करने की भी कोशिश की, पर हमेशा की तरह उन्होंने फोन नहीं उठाया।
संवेदना से दूर.. चूक दर चूक
नागपुर के कलर्स अस्पताल में बच्चों का उपचार कर रहे डॉ. राजेश अग्रवाल ने 16 सितंबर को ही बता दिया था कि किसी दवा के साइड इफेक्ट से बच्चों की किडनी फेल हो रही है। कलेक्टर तक भी बात पहुंची, लेकिन उन्होंने कफ सीरप पर प्रतिबंध 29 सितंबर को लगाया। चार सितंबर से लगातार मौतें होने के बाद भी सीएमएचओ ने गंभीरता नहीं दिखाई।
किडनी की बायोप्सी में जहरीले केमिकल की पुष्टि के बाद भी पूरे प्रदेश में दवा पर रोक की जगह सिर्फ छिंदवाड़ा में प्रतिबंध लगाया गया। संदेह होने पर ड्रग इंस्पेक्टर ने सैंपल लेकर जांच नहीं कराई। 26 अगस्त से बच्चे बीमार हो रहे थे, पर राज्य औषधि प्रशासन ने सैंपलों की जांच तीन अक्टूबर को की। छिंदवाड़ा और जबलपुर से सैंपल 29 सितंबर को स्पीड पोस्ट से भोपाल भेजे गए, जिसमें तीन दिन लगे।
हरियाणा में चार कफ सीरपों पर प्रतिबंध
हरियाणा सरकार ने चार कफ सीरपों की बिक्री और वितरण पर प्रतिबंध लगा दिया है। प्रतिबंधित दवाओं में गुजरात की रेडनेक्स फार्मास्युटिकल्स की रेस्पिफ्रेश टीआर, शेप फार्मा की रिलाइफ, तमिलनाडु की श्रेसन फार्मा की कोल्डि्रफ और जयपुर की केसन्स फार्मा का डेक्सट्रोमेथार्फन सीरप शामिल हैं।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।