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    UPSC Result 2021: यूपीएससी में मप्र की भी मजबूत उपस्थिति, जानें-इनकी सफलता की कहानी, इन्हीं की जुबानी

    By Sachin Kumar MishraEdited By:
    Updated: Mon, 30 May 2022 10:17 PM (IST)

    UPSC Result 2021 यूपीएससी में मप्र ने मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई है। मेहनत-लगन से प्रतिभागियों ने साबित किया कि संकल्प से बड़ा कुछ भी नहीं हम जो सोचते हैं वह पाते हैं प्रतियोगी परीक्षा में सफलता के लिए किसी बड़े शहर में जाकर तैयारी करना भी कोई जरूरी नहीं।

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    यूपीएससी में मध्य प्रदेश की भी मजबूत उपस्थिति

    भोपाल, जेएनएन। यूपीएससी में मध्य प्रदेश ने अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई है। मेहनत और लगन से प्रतिभागियों ने यह साबित किया कि संकल्प से बड़ा कुछ भी नहीं, हम जो सोचते हैं, वह पाते हैं, किसी प्रतियोगी परीक्षा में सफलता के लिए किसी बड़े शहर में जाकर तैयारी करना भी कोई जरूरी नहीं।

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    विशाल धाकड़ा (गुना)- 39वीं रैंक

    मंझले पुत्र विशाल धाकड़ का शुरू से ही आइएएस बनने का सपना था। वर्ष 2014-15 में विशाल ने विज्ञान विषय से इंटरमीडिएट उत्तीर्ण किया और दिल्ली यूनिवर्सिटी (डीयू) में बीए आनर्स के लिए चयनित हो गए। विशाल ने डीयू से बीए और राजनीति शास्त्र में एमए किया। दूसरे प्रयास में उनका आइएएस में चयन हो गया। विशाल का गत वर्ष यूपीएससी में 579 रैंक के साथ आइपीएस (इंडियन पोस्टल सर्विस) में चयन हुआ था। वर्तमान में वे गाजियाबाद में पोस्ट विभाग में ज्वाइन करने के बाद प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं।

    मिनी शुक्ला (भिंड)- 96वीं रैंक

    भिंड जिले के मेहगांव में जन्मी मिनी शुक्ला का शुरुआत में रझान पत्रकारिता में था। उन्होंने ग्वालियर में छह माह तक अंग्रेजी के प्रतिष्ठित अखबार के लिए काम भी किया। दिल्ली से सेटेलाइट न्यूज चैनल शुरू करने की तैयारी थी, लेकिन परिवार ने समझाया तो यूपीएससी की तैयारी शुरू की। वषर्ष 2021 में पहले प्रयास में नौ नंबर से चूकीं, दूसरे प्रयास में सफलता मिल गई। पिता केके शुक्ला कहते हैं, हमारे चंबल व भिंड जिले को डाकुओं का क्षेत्र कहा जाता था। बेटियों ने बता दिया कि भिंड चंबल में भी प्रतिभाएं छिपी हैं। वर्ष 2019 में मिनी की बड़ी बहन प्रियंका ने यूपीएससी में 109वीं रैंक हासिल की और आइपीएस बनीं।

    लिपी नगायच: 140वीं रैंक

    सरोजनी नायडू शासकीय कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय के भोपाल की राजनीति विज्ञान विभाग की छात्रा कुमारी लिपी नगायच का यूपीएससी में चयन हुआ है। ये आल इंडिया रैंक में 140 स्थान पर आई हैं। उनके पिता उमाशंकर नगायच मध्य प्रदेश महिला एवं बाल विकास विभाग में अधिकारी के पद पर हैं, वहीं मां नीलिमा गृहिणी हैं। 23 वषर्षीय लिपी बताती हैं कि यह उनका पहला ही प्रयास था। उन्हें यूपीएससी करने की प्रेरणा नाना-नानी से मिली। उनका सपना था कि वह बड़ी अधिकारी बनें। समाज के लिए कुछ करें। लिपी कहती हैं कि मैं जरूरतमंदों खासकर महिलाओं के लिए काम करना चाहती हूं।

    सोनाली सिंह परमार : 187 वीं रैंक

    भोपाल के शिवाजी नगर में रहने वाली 22 वर्षीय सोनाली सिंह परमार की मां अर्चना परमार और पिता राजेंद्र परमार दोनों ही कृषिष विभाग में सहायक निदेशक हैं। सोनाली ने ईदगाह हिल्स स्थित सेंट जोसेफ स्कूल से स्कूली शिक्षा ली और कृषि  में बीएससी की है। वे बताती हैं कि मेरी सफलता का श्रेय मेरे माता-पिता व दोस्तों को जाता है। इसके साथ ही मेरी प्रेरणा आइएएस प्रीति मैथिल नायक हैं, जो कृषि विभाग की निदेशक हैं। उन्होंने मुझे दिशा दिखाई, हर कदम में मदद की। अब मैं उन्हीं के नक्शे कदम पर चलकर इस क्षेत्र के लोगों को मदद करना चाहती हूं।

    मृदुल शिवहरे (दतिया) - 247वीं रैंक

    दतिया के बरगांय प्राइमरी स्कूल में शिक्षक प्रकाश शिवहरे के पुत्र मृदुल शिवहरे को पहले ही प्रयास में यूपीएससी में सफलता मिली है। बडौनी के मूल निवासी मृदुल परिवार 15 वर्षों से दतिया की बुंदेला कालोनी में निवास करते हैं। मृदुल ने बीए राजनीति शास्त्र से इंदौर में किया और उसके बाद वह दो साल यूपीएसी की तैयारी के लिए दिल्ली चले गए। पहले ही प्रयास में सफलता हासिल कर ली। मृदुल का कहना है कि वह शुरू से ही देश व समाज के लिए कुछ करने की इच्छा रखते थे। उनका मानना है कि हार्ड वर्क करने के साथ-साथ पढ़ाई और परीक्षा के लिए एक सही प्लानिंग की आवश्यकता होती है।

    पीयूष दुबे (दतिया)- 289वीं रैंक

    दतिया जिले की भांडेर तहसील के ग्राम केवलारी निवासी पीयूषष के पिता कृषषक होने के साथ-साथ समाजसेवी भी हैं। पीयूष एक साल दिल्ली में असिस्टेंट इंजीनियर के पद पर, दो साल ¨सडिकेट बैंक अनंतपुर आंध्र प्रदेश में टेक्निकल मैनेजर के रूप में सेवाएं दीं। लाकडाउन 2020 में नौकरी से इस्तीफा देकर ग्वालियर में रहकर यूपीएससी की तैयारी शुरू की। पीयूषष का मानना है कि आज के दौर में यदि किसी स्टूडेंट को लगता है कि किसी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के लिए महानगर में जाकर ही तैयारी की जाए, तभी सफलता मिलेगी तो ऐसा नहीं है। इंटरनेट के युग में सभी कुछ आपकी मुट्ठी (मोबाइल) में उपलब्ध है। आवश्यकता है तो बस धैर्य और लगन की।

    राहुल देशमुख (बालाघाट)- 349वीं रैंक

    वार्ड नंबर 33, स्टेट बैंक कालोनी निवासी सीबी देशमुख के पुत्र राहुल देशमुख ने स्कूली शिक्षा बालाघाट में ही पूरी की है। कक्षा 12वीं में राहुल जिले में अव्वल रहे। तभी से उन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवा में जाने की ठान ली। धनबाद से उन्होंने माइनिंग में बीटेक भी किया। रोजाना 10 घंटे प़़ढाई करने वाले राहुल का ध्येय वाक्य है- जो सोचोगे, वही पाओगे।