MP में भगवान शिव नहीं प्रभु राम के हैं सबसे ज्यादा मंदिर, देखें हनुमानजी समेत अन्य देवों के मंदिरों की संख्या
Temples In MP मंदिर स्वरूप की ये सूचियां लोक न्यास निजी न्यास धर्मस्व विभाग केंद्रीय एवं पुरातत्त्व विभाग आदि से प्राप्त संख्या के आधार पर तैयार की गई हैं। डॉ. धर्मेंद्र पारे ने बताया कि भगवान विष्णु एवं उनके अवतारों पर आधारित कुल तीन पुस्तकें तथा श्री गणेश के स्वरूपगत अध्ययन पर पृथक-पृथक पुस्तकें (कुल चार पुस्तकें) प्रकाशित की जा चुकी हैं।

भोपाल, सुशील पांडेय। मध्य प्रदेश में भगवान विष्णु के स्वरूपों के सर्वाधिक 11 हजार 542 मंदिर हैं, इनमें भी श्रीराम स्वरूप के सबसे ज्यादा 6821 मंदिर हैं, जबकि दूसरे स्थान पर भगवान शिव हैं, जिनके जिनके 3771 मंदिर स्थित हैं। नर्मदा पट्टी में भगवान शिव के स्वरूपों की सर्वाधिक पूजा होती है, वहीं बुंदेलखंड और बघेलखंड में विष्णु स्वरूपों के मंदिरों की संख्या ज्यादा है।
इसी प्रकार मराठा शासित रहीं रियासतों में भगवान श्री गणेश के मंदिर अधिक हैं। प्रमुख सनातन देव-स्वरूपों यथा भगवान शिव, माता पार्वती, श्री विष्णु एवं उनके अवतारों में से श्रीराम-श्रीकृष्ण तथा श्री हनुमान, श्री गणेश एवं अन्य देवी-देवताओं के मंदिरों का स्वरूपगत सर्वेक्षण एवं अध्ययन मध्यप्रदेश के धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग ने कराया गया है।
देश में पहली बार किए गए अपनी तरह का यह पहला अध्ययन जनजातीय लोक कला एवं बोली विकास अकादमी ने किया है। इसमें लोकन्यास, निजी न्यास, धर्मस्व विभाग, केंद्र एवं राज्य के पुरातत्व विभाग के अंतर्गत आने वाले मंदिरों को शामिल किया गया है। इस अध्ययन से पूरे राज्य के क्षेत्र विशेष की अध्यात्मिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि को जानने-समझने में सहायता होगी।
साथ ही इन मंदिरों के कला-शिल्प–वैभव और अस्तित्व को भी संरक्षित एवं संवर्धित करने में सहयोग प्राप्त होगा। अकादमी के निदेशक डा धर्मेंद्र पारे के निर्देशन में यह कार्य करीब चार साल में पूरा हुआ है। डा पारे ने बताया कि निर्धारित प्रक्रिया के तहत इस कार्य हेतु राज्य के 52 जिलों से 52 सर्वेक्षणकर्ताओं को चुना गया।
पुरातात्त्विक, ऐतिहासिक एवं शिल्पगत महत्त्व के साथ ही लोक महत्त्व के मंदिरों को भी सर्वेक्षण में शामिल किया गया है। सभी जिलों के प्रमुख मंदिरों को छायाचित्रों एवं मंदिर माहात्म्य से संबंधित विशेष जानकारियों सहित स्वरूपगत पुस्तकों को प्रकाशित किया जा रहा है। पुस्तक के अंत में उस स्वरूप विशेष से संबंधित राज्य के मंदिरों की सूची भी प्रकाशित की गई है।
मंदिर स्वरूप की ये सूचियां लोक न्यास, निजी न्यास, धर्मस्व विभाग, केंद्रीय एवं पुरातत्त्व विभाग आदि से प्राप्त संख्या के आधार पर तैयार की गई हैं। डॉ. धर्मेंद्र पारे ने बताया कि भगवान विष्णु एवं उनके अवतारों पर आधारित कुल तीन पुस्तकें तथा श्री गणेश के स्वरूपगत अध्ययन पर पृथक-पृथक पुस्तकें (कुल चार पुस्तकें) प्रकाशित की जा चुकी हैं। शेष भगवान शिव, मां भगवती एवं श्री हनुमान के स्वरूपगत अध्ययन आधारित तीन पुस्तकें शीघ्र आने वाली हैं। सभी का लोकार्पण मप्र जनजातीय संग्रहालय में संतों की वाणियां और रैदास विषय पर 29-30 जुलाई को होने वाली राष्ट्रीय संगोष्ठी के शुभारंभ अवसर पर किया जाएगा।
प्रदेश में कुल 21757 मंदिर
सर्वे के आधार पर प्रदेश में कुल 21757 मंदिरों की जानकारी प्राप्त हो सकी है, इनमें से भगवान विष्णु के कुल मंदिरों की संख्या 11582 है। इनमें श्रीराम स्वरूप के 6821 मंदिर, श्रीकृष्ण स्वरूप के 3222 तथा अन्य अवतारों यथा नरसिंह, वामन, दत्तात्रय, चतुर्भुज, सत्यनारायण आदि के 1539 मंदिर शामिल हैं। इसी प्रकार भगवती देवी के 1502 मंदिर, भगवान शिव के 3771, श्री हनुमान के 2467, श्री गणेश के 275 एवं अन्य देव स्वरूपों यथा रामदेव, देव धर्मराज तथा स्थानीय देवों के मंदिरों की संख्या 2160 है। डॉ. पारे का कहना है कि वास्तव में बहुत से मंदिर ऐसे भी हैं जो किसी भी सूची में दर्ज नहीं हुए हो सकते हैं। बल्कि वे ही ज्यादा होंगे। सर्वे में जो सामने आया है कि वह तो प्राप्त अभिलेखीय संख्या है। लेकिन धर्मिक पर्यटन और अध्यात्म की दृष्टि से यह सर्वे महत्वपूर्ण है और ऐसा देशव्यापी सर्वे और अध्ययन होना चाहिए।
अध्ययन में यह जानकारी भी समाने आई
प्रदेश में सर्वाधिक मंदिर सार्वजनिक न्यास के हैं। भगवान शिव और देवी अधिक पूर्ववर्ती स्वरूप हैं। मातृदेवियों की पूजा लोक समुदाय में पूर्व से प्रचलित है।
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