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    Lok sabha Election Result 2024: मध्य प्रदेश में इस बार भी गेम चेंजर साबित हुई 'लाड़ली बहना योजना', भाजपा ने भेदा कमलनाथ का किला

    Updated: Tue, 04 Jun 2024 10:07 PM (IST)

    Lok sabha Election Result 2024 भाजपा के करीब दो दशक के शासनकाल में मध्य प्रदेश का जिस तरह चौतरफा विकास हुआ चुनाव नतीजों में उसके प्रति कृतज्ञता दिखती ...और पढ़ें

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    मध्य प्रदेश में इस बार भी गेम चेंजर साबित हुई 'लाड़ली बहना योजना'। फाइल फोटो।

    जागरण न्यूज नेटवर्क, इंदौर। तीन दिसंबर, 2023 से चार जून, 2024 के बीच मध्य प्रदेश में कुछ नहीं बदला। चुनाव नतीजे बता रहे हैं कि आज भी उसके मन में मोदी (प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी) हैं तो मीठी यादों में मामा यानी पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान।

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    लाड़ली बहनों ने दिया समर्थन

    भाजपा के करीब दो दशक के शासनकाल में मध्य प्रदेश का जिस तरह चौतरफा विकास हुआ, चुनाव नतीजों में उसके प्रति कृतज्ञता दिखती है। इसके अलावा शिवराज सिंह चौहान की लाड़ली बहनों और भांजियों ने तो विधानसभा चुनाव के बाद लगातार दूसरी बार लोकसभा चुनाव में भी भाजपा को समर्थन दिया है। भाजपा के पक्ष में क्लीन स्वीप इसी का परिणाम है।  बेशक मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव के ताजा एवं निर्दोष चेहरे ने भाजपा के लिए प्रदेशवासियों के मन में मोह और मिठास बढ़ा दी।

    कमल नाथ का ढहा किला

    मध्य प्रदेश का मन और चुनाव नतीजे समझने के लिए छिंदवाड़ा और राजगढ़ की मानसिकता को समझना जरूरी है। छिंदवाड़ा यानी मध्य प्रदेश में कांग्रेस के पोस्टर ब्वाय कमल नाथ का किला। भाजपा इसकी नींव वर्ष 2019 की प्रचंड मोदी लहर में भी नहीं हिला पाई थी। तब कमल नाथ के पुत्र नकुल नाथ चुनाव जीते थे।

    भाजपा ने करीब छह महीने पहले हुए विधानसभा चुनाव में भी इस किले की दीवारों पर पूरी ताकत से प्रहार किए, लेकिन छिंदवाड़ा जिले की सारी विधानसभा सीटें कांग्रेस ही जीती। इस बार भी नकुल नाथ ही कांग्रेस उम्मीदवार थे। चुनौती भांपकर अनुभवी कमल नाथ मतदान हो जाने तक छिंदवाड़ा में ही डटे रहे। भाजपा ने अपने सामान्य कार्यकर्ता बंटी विवेक साहू को मैदान में उतारा, जिन्होंने नकुल नाथ को चित्त कर दिया। कमल नाथ का किला ढहाने का भाजपा का सपना अंतत: पूरा हो गया। इसे बुजुर्ग कमल नाथ के राजनीतिक जीवन का अवसान माना जा रहा है।

    लाड़ली बहना योजना ने किया कमाल

    अब बात राजगढ़ की। यह कांग्रेस के कद्दावर नेता दिग्विजय सिंह की परंपरागत सीट और मजबूत किला माना जाता था। दिग्विजय लंबे अंतराल के बाद लोकसभा चुनाव मैदान में उतरे। उन्होंने पहले दिन से ही सहानुभूति कार्ड चला। इसे अपना अंतिम चुनाव बताकर मतदाताओं से अपने अहसानों का बदला मांगा, पर किसी ने उनकी बात नहीं सुनी।

    कमलनाथ और दिग्विजय सिंह का हश्र यह बताने को काफी है कि मध्य प्रदेश के मन पर किस तरह भाजपा का रंग चढ़ा हुआ है। इसमें कोई शक नहीं कि इन चुनाव नतीजों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की विश्वसनीयता का सर्वाधिक योगदान है। इसके बावजूद पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की भूमिका नजरअंदाज नहीं की जा सकती। उनके मुख्यमंत्रित्वकाल की जिस लाड़ली बहना योजना को विधानसभा चुनाव में गेम चेंजर माना गया था, उसका व्यापक प्रभाव लोकसभा चुनाव नतीजों में भी नजर आ रहा है।

    इस योजना के तहत राज्य सरकार एक करोड़, तीस लाख महिलाओं को प्रतिमाह 1250 रुपये सम्मान राशि प्रदान करती है। इसी योजना की काट के लिए कांग्रेस ने अपने घोषणा-पत्र में वादा कर रखा है कि सत्ता में आने पर उसकी सरकार महिलाओं को प्रतिवर्ष एक लाख रुपये देगी।

    विश्वास को बरकरार रखने में सहायक साबित हुए सीएम मोहन यादव

    भाजपा की सफलता की यह कहानी मोहन यादव के जिक्र के बिना अधूरी ही रह जाएगी। उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे छह महीने भी नहीं हुए। जाहिर है, उनसे किसी बड़ी उपलब्धि की अपेक्षा नहीं की जा सकती यद्यपि अपनी संतुलित कार्यशैली और निर्विवाद छवि के बल पर वह भाजपा के प्रति मतदाताओं के विश्वास को बरकरार रखने में सहायक साबित हुए।

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