Lata Mangeshkar Death: इंदौर में जन्मी थीं लता, सुरीली आवाज के लिए रोज खाने लगी 12 मिर्ची
Lata Mangeshkar Death लता मंगेशकर का जन्म मध्य प्रदेश के इंदौर स्थित सिख मोहल्ला में हुआ। यहां वाघ के बाड़े में चालनुमा घर में रहने वाले शास्त्रीय संगीत के मर्मज्ञ पंडित दीनानाथ मंगेशकर के घर जन्मी थीं लताजी।

इंदौर, जेएनएन। 28 सितंबर, 1929..यही वह दिन था जब स्वरों की देवी लता मंगेशकर का जन्म मध्य प्रदेश के इंदौर स्थित सिख मोहल्ला में हुआ। यहां वाघ के बाड़े में चालनुमा घर में रहने वाले शास्त्रीय संगीत के मर्मज्ञ पंडित दीनानाथ मंगेशकर के घर जन्मी थीं लता। जन्म के कुछ समय बाद परिवार पड़ोस में स्थित दूसरे घर में रहने लगा। इंदौर में अब वह पुराना घर तो नहीं, लेकिन सिख मोहल्ला और उस गली में आज भी लता की यादें हैं, जहां उनका बचपन गुजरा। वर्तमान में उनके घर वाली जगह पर कपड़े का शोरूम है। यहां लता के सम्मान में एक म्यूरल (स्मृति चिह्न) बनाया गया है। यहां हमेशा केवल लताजी द्वारा गाए गाने ही बजाए जाते हैं।
इंदौर से गुलाब जामुन, आम का अचार मंगवाती थीं लता
चार दिसंबर 1983 को इंदौर आई लता ने कहा था- 'इंदौर मुझे बहुत अच्छा लगता है क्योंकि यहां मेरी तबीयत अच्छी हो जाती है। यहां मैं उन्मुक्त होकर साइकिल पर खूब घूमी हूं। यहां सिख मोहल्ले में मेरी मौसी रहती थी, वहीं मेरा जन्म हुआ। फिर यहां से जाने के बाद भी 1963 तक नियमित इंदौर आती रही। मुंबई में भी मुझे इंदौर के पिपलिया पाला, सिरपुर तालाब, पातालपानी खूब याद आते हैं। ऐसा लगता है कि इस मिट्टी से मेरे बड़े पुराने संबंध हैं।' बातों-बातों में लता ने यह भी बताया था कि इंदौर की दाल-बाटी मुझे बहुत पसंद है और उसे खाने की बहुत इच्छा होती है। और हां, गुलाब जामुन तो मुझे केवल इंदौर के ही पसंद हैं। मुझे इंदौर का आम का अचार भी बहुत अच्छा लगता है इसलिए ये दोनों चीजें मैं इंदौर से मंगवा लेती हूं।'
जिस दिन कवि प्रदीप का जन्मदिन, उसी दिन चलीं गई लता
देशवासियों की आंखों में अश्रु ला देने वाला गीत 'ऐ मेरे वतन के लोगों' लिखने वाले कवि प्रदीप मध्य प्रदेश के उज्जैन जिला स्थित बड़नगर के निवासी थे। इस गीत को लता मंगेशकर ने अपना स्वर देकर कालजयी बना दिया। इसे संयोग कहें या दुर्योग कि छह फरवरी को कवि प्रदीप का जन्मदिवस था और इसी दिन लताजी का निधन हो गया।
10-12 मिर्ची रोज खाने लगी थीं लता
लता जब इंदौर में थीं, तब बचपन में किसी ने लता को कह दिया कि मिर्ची खाओगी तो आवाज ज्यादा सुरीली हो जाएगी। फिर क्या था, बालिका लता ने मिर्ची खाना शुरू कर दी। वे एक दिन में 10 से 12 मिर्चियां तक खाने लगीं। आवाज के सुरीलेपन में मिर्च का क्या योगदान है, यह तो वाग्देवी मां सरस्वती जानें, किंतु इस तीखे के अलावा लताजी इंदौर की मीठी जलेबी की भी शौकीन थीं।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।