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    Indore Temple Accident: बावड़ी से लोगों को बाहर निकाल रहे थे सुनील, तभी मौत ने मारा झपट्टा और छीन ली जिंदगी

    By Jagran NewsEdited By: Shalini Kumari
    Updated: Fri, 31 Mar 2023 03:33 PM (IST)

    Indore Bawadi Accident पटेल नगर के बावड़ी हादसे के 24 घंटे बाद रेस्क्यू टीम ने बावड़ी से सुनील सोलंकी नाम के शख्स का शव बाहप निकाला है। अपने आखिरी पलो ...और पढ़ें

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    बावड़ी हादसे के 24 घंटे बाद बाहर निकाला सुनील का शव

    इंदौर, ऑनलाइन डेस्क। पटेल नगर में बावड़ी धंसने के कारण लगभग 35 लोगों ने अपनी जान गंवा दी है। इसी बीच एक परिवार आस लगाए हुआ था कि उनका अपना सही सलामत वापस जरूर आएगा, लेकिन आखिर में उनकी आस भी चकनाचूर हो गई। दरअसल, रेस्क्यू टीम ने हादसे के 24 घंटे बाद बावड़ी से सुनील सोलंकी का शव बाहर निकाला, जिसे देखकर उनके परिवार का इंतजार एक दर्दनाक मोड़ पर आकर ठहरा।

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    अर्चना को थी पति के वापस आने की आस

    सुनील सोलंकी की पत्नी अर्चना सोलंकी का कहना है कि घर पर पूजा होने के कारण उन्हें मंदिर जाने की फुरसत नहीं मिली थी, इसलिए सुनील अकेले हवन में शामिल होने के लिए गए थे। इसके कुछ क्षण बाद ही अर्चना को इस हादसे की जानकारी मिली। उन्होंने तुरंत सुनील को फोन करना शुरू कर दिया, लेकिन वो फोन नहीं उठा रहे थे। जब वाट्सएप पर मैसेज किया तो, उसे देख लेते थे। इससे अर्चना को आस लग गई थी कि शायद सुनील सही सलामत हैं और घर वापस आ जाएंगे।

    24 घंटे बाद टीम ने परिवार को सौंपा सुनील का शव

    इसके बाद गुरुवार शाम कुछ लोगों ने अर्चना को सुनील की चप्पल दिखाई, लेकिन फिर भी अर्चना ने अपनी उम्मीद नहीं छोड़ी और अपने पति का इंतजार करती रहीं। इसी बीच, शुक्रवार को अर्चना का इंतजार बेहद दर्दनाक तरीके से खत्म हुआ। दरअसल, हादसे के 24 घंटे बाद टीम ने सोलंकी का शव उनके परिवार को सौंपा।

    बेहतरीन तैरान थे सुनील सोलंकी

    सुनील एक अच्छे तैराक थे, जिसके कारण उन्हें उम्मीद थी कि वो बावड़ी में डूब रहे कुछ लोगों को सकुशल बाहर निकाल देंगे। हालांकि, उन्होंने बावड़ी से कई लोगों को बाहर निकाला भी था। इसी बीच, अचानक किसी ने उनका पैर खींच लिया और उन्होंने अपना संतुलन खो दिया। संतुलन खोने के कारण वो बावड़ी में ही डूब गए।

    अपने आखिरी पलों में भी बचा रहे थे दूसरों की जिंदगी

    अर्चना ने बताया कि सुनील रोटरी क्लब व साइकलिंग क्लब के सदस्य थे। वो इंदौर में रहकर भी विश्व स्तर पर साइकिलिंग के लिए जाने जाते थे। किसी को नहीं पता था कि वो दूसरों को जिंदगी दे रहा है, अंत में उसके शव को बाहर निकाला जाएगा। जो सुनील सोलंकी अपने जीवन के आखिरी क्षणों में भी बावड़ी के भीतर लोगों को बचाकर जिंदगी बांट रहे थे, उन्हें मौत खुद झपट्टा मारकर निगल लिया।

    कुछ महीनों पहले ही हासिल किया था खिताब

    सुनील सोलंकी इंदौर के प्रतिष्ठित साइकिलिस्ट थे। वे प्रतिदिन औसतन 50 से 60 किलोमीटर साइकिल चलाते थे। फ्रांस की संस्था द्वारा वैश्विक स्तर पर आयोजित साइकिलिंग स्पर्धा में कुछ महीने पहले ही उन्होंने विश्व स्तर पर खिताब जीता था। इस किताब के लिए सोलंकी ने अपनी साइकिलिंग प्रतिदिन 50 किलोमीटर से बढ़ाकर 60 किलोमीटर तक कर ली थी। उनकी तगड़ी कंपटीशन ब्रिटेन, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और अफ्रीकी देशों के साइकिलिस्ट से होती थी।