Smart City Awards: नंबर वन सिटी इंदौर को मिले सात पुरस्कार, छप्पन दुकान व गांधी हाल ने बदली सूरत
Smart City Awards केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह आज इंदौर स्मार्ट सिटी कंपनी को सात पुरस्कार देंगे। स्वच्छता के मामले में इंदौर ने इस बार फिर बाजी मारी है इससे पहले पांच बार इंदौर नंबर एक पर रहा है। सोमवार को देश के 100 स्मार्ट शहरों को सम्मानित किया जाएगा।

इंदौर, जेएनएन। स्वच्छता के मामले में पांच बार नंबर वन रहा इंदौर ने एक बार फिर देश के स्मार्ट सिटीज के लिए आयोजित प्रतियोगिता में नंबर वन का खिताब अपने नाम किया। आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय ने सोमवार को सूरत में देश के 100 स्मार्ट शहरों के विजेताओं को पुरस्कृत किया। इस प्रतियोगिता में इंदौर स्मार्ट सिटी कंपनी को सात पुरस्कार मिले। इंडिया स्मार्ट सिटीज अवार्ड कॉन्टेस्ट (आईएसएसी)-2020 की सभी प्रतियोगिताओं में समग्र विजेता के रूप में सूरत को इंदौर के साथ चुना गया है।
इसके अलावा स्मार्ट सिटी के राउंड वन में इंदौर और सूरत को पहला स्थान मिला है। जबकि जबलपुर ने तीसरा स्थान प्राप्त किया। इंदौर नगर निगम आयुक्त प्रतिभा पाल और स्मार्ट सिटी कंपनी के सीईओ ऋषभ गुप्ता ने सोमवार को सूरत के प्लेटिनम हॉल में आयोजित एक कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी और शहरी आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के सचिव मनोज जोशी को पुरस्कार प्रदान किया। कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री दर्शन जरदोश भी मौजूद थे। इस कार्यक्रम में अपर आयुक्त संदीप सोनी और स्मार्ट सिटी अधीक्षण अभियंता डीआर लोधी भी मौजूद थे। सूरत में देश के प्रमुख स्मार्ट शहरों के लिए एक सम्मेलन का आयोजन किया गया है जिसमें यह पुरस्कार दिया गया।
इन कैटेगरी में इंदौर अव्वल
कुल मिलाकर, इंदौर और सूरत दोनों विजेता रहे हैं।
राउंड-1 में इंदौर और सूरत को पहला जबकि जबलपुर को तीसरा स्थान दिया गया है।
बेहतर माहौल बनाया- प्रतियोगिता की इस श्रेणी में स्मार्ट सिटी कंपनी को 56 दुकानों के कायाकल्प के लिए प्रथम पुरस्कार मिला है।
विशेषता
-खाने पीने के शौकीनों के लिए खास जगह
-शहर की पहली नो व्हीकल स्ट्रीट
-खुला बैठने की जगह, जहां कई गतिविधियां होती हैं।
-छप्पन के विकास में यहां के दुकानदारों ने भी किया सहयोग
-छप्पन के रिनोवेशन के बाद यहां रोजाना 5 से 15 हजार लोग पहुंचते हैं।
4- स्वच्छता- निगम की अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली
इस श्रेणी में इंदौर के साथ त्रिपुरा को प्रथम पुरस्कार मिला। इंदौर स्मार्ट सिटी कंपनी के माध्यम से पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत शहर में दो बायो-सीएनजी प्लांट बनाए गए।
स्वच्छ भारत मिशन के तहत वर्ष 2015-16 में इंदौर ने कचरा प्रबंधन की व्यवस्था शुरू की थी। घरों से कूड़ा-करकट वाहनों को घर-घर जाकर एकत्र कर शहर के विभिन्न स्थानों पर कचरा ट्रांसफर स्टेशन तक पहुंचाया जाता है और वहां से बड़े वाहनों के माध्यम से प्रोसेसिंग प्लांट तक पहुंचाया जाता है।
यहां बनने वाली गैस का इस्तेमाल शहर में निगम के वाहनों में होता था।
गीले कचरे को खाद के रूप में इस्तेमाल किया जाता था।
5- संस्कृति- विरासत संरक्षण परियोजना
इस श्रेणी में चंडीगढ़ के साथ इंदौर को प्रथम पुरस्कार मिला। तृतीय पुरस्कार ग्वालियर को मिला।
स्मार्ट सिटी द्वारा शहर में रजवाड़ा पैलेस, गोपाल मंदिर परिसर, मल्हारराव होल्कर छतरी, हरिराव होल्कर छतरी और बोलिया सरकार छतरी का विकास किया गया है। 18 मई 1724 को मराठा पेशवा बाजीराव के बाद इंदौर हिंदू मराठा साम्राज्य के अधीन आ गया। ब्रिटिश राज्य में, इंदौर राज्य पर मराठा होल्कर वंश का शासन था। स्मार्ट सिटी ने शहर की ऐतिहासिक विरासत का जीर्णोद्धार कर ऐतिहासिक महत्व को बनाए रखा।
6- अर्थव्यवस्था-कार्बन ऋण वित्तपोषण तंत्र: इस श्रेणी में इंदौर को प्रथम पुरस्कार मिला
शहर में कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए देवगुराड़िया में 600 टन, चोइथराम मंडी में 20 टन और कबितखेड़ी में प्रतिदिन 15 टन बायोसीएनजी तैयार की गई। ये योजनाएं अगले 30 वर्षों के लिए हैं। इससे सालाना करीब तीन लाख 50 हजार कार्बन क्रेडिट मिलेंगे। अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत 1.5 करोड़ रुपये से लेकर 3 करोड़ रुपये तक है। स्मार्ट सिटी कंपनी ने शहर में कार्बन क्रेडिट से कमाई की एक प्रणाली विकसित की।
7- इनोवेटिव आइडिया अवार्ड- कार्बन क्रेडिट फाइनेंसिंग मैकेनिज्म: इंदौर को इस श्रेणी में प्रथम पुरस्कार मिला
स्मार्ट सिटी कंपनी में 20 टन और 15 टन क्षमता के दो बायो-मीथेन प्लांट लगाए गए हैं। इन पौधों के नवाचार के लिए इंदौर को यह पुरस्कार मिला है।
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