Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    कूनो में आई खुशखबरी, 'मुखी' ने दिया पांच शावकों को जन्म; प्रोजेक्ट चीता को नई उड़ान

    Updated: Thu, 20 Nov 2025 01:00 PM (IST)

    कूनो नेशनल पार्क में भारतीय मूल की मादा चीता मुखी ने पांच स्वस्थ शावकों को जन्म दिया, जो भारत के लिए गर्व का क्षण है। यह पहली बार है कि भारत में जन्मी किसी चीता ने देश में सफल प्रजनन किया है। विशेषज्ञों का मानना है कि मुखी का स्थानीय अनुकूलन उसे पहली सफल भारतीय मूल की प्रजननक्षम चीता बनाता है। यह उपलब्धि दर्शाती है कि भारत आत्मनिर्भर चीता जनसंख्या के लक्ष्य के करीब है।

    Hero Image

    कूनों में बढ़ा चीतों का कुनबा। (फोटो- जेएनएन)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कूनो नेशनल पार्क में संरक्षण के इतिहास की सबसे बड़ी उपलब्धि दर्ज की गई है। भारतीय मूल की मादा चीता मुखी ने पांच स्वस्थ शावकों को जन्म देकर न केवल कूनो बल्कि पूरे देश के लिए गौरव का क्षण रच दिया है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    कूनो प्रबंधन के अनुसार मां और सभी शावक पूर्णतः स्वस्थ हैं। यह घटना इसलिए भी ऐतिहासिक है क्योंकि यह पहली बार है जब भारत में जन्मी किसी मादा चीता ने देश की ही जमीन पर सफल प्रजनन किया है।

    संघर्षों की बेटी मुखी के जन्म से शावकों तक की कहानी

    करीब 33 महीने पहले कूनो में जब दक्षिण अफ्रीका से लाई गई चीता ने तीन शावकों को जन्म दिया था, उनमें से दो शावकों ने कठिन प्राकृतिक परिस्थितियों का सामना नहीं कर पाया। बस एक नन्ही मादा शावक मुखी बच पाई कमज़ोर, छोटी और अनिश्चित भविष्य के साथ।
    कूनो के वनकर्मी उसे दिनरात निगरानी में रखते थे पर एक सीमा के बाद सब कुछ प्रकृति पर छोड़ना था।

    धीरे-धीरे मुखी ने अपनी जीवटता दिखाई उसने शिकार करना सीखा, अपने क्षेत्र टेरिटरी की पहचान बनाई, मौसम और भूगोल के प्रति अद्भुत अनुकूलन क्षमता दिखाई।

    मुखी की ताकत उसकी जिंदादिली और प्रकृति के साथ संतुलन बनाकर चलने की क्षमता में थी। पूरी तरह भारतीय धरती की परिस्थितियों में पली-बढ़ी होने के कारण वह अन्य चीतों की तुलना में कहीं अधिक मजबूत व्यवहारिक सीख लेकर बड़ी हुई। विशेषज्ञ मानते हैं कि यही स्थानीय अनुकूलन उसे पहली सफल भारतीय मूल की प्रजननक्षम चीता बनाता है।

    प्रोजेक्ट चीता के लिए गेम चेंजर पल

    मुखी द्वारा पांच शावकों का जन्म इस बात का प्रमाण है कि कूनो का आवास, भोजन-श्रंखला, पर्यावरण और सुरक्षा व्यवस्था चीतों के लिए बेहद अनुकूल हो चुकी है।

    वन्यजीव विशेषज्ञों की भाषा में यह एक स्वाभाविक प्रजनन उछाल है जो किसी भी पुनर्वास परियोजना की सबसे कठिन और सबसे अहम कसौटी होती है।

    यह उपलब्धि संकेत देती है कि भारत अब आत्मनिर्भर चीता जनसंख्या के लक्ष्य के बेहद करीब है। आनुवंशिक विविधता बढ़ेगी, भविष्य की चीता पीढ़ियों के लिए मजबूत आधार तैयार होगा और वैश्विक वन्यजीव संरक्षण में भारत की स्थिति और मजबूत होगी।

    सीएम मोहन यादव ने दी बधाई

    मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कूनो की टीम को बधाई देते हुए कहा कि इसे भारत के वन्यजीव इतिहास का मील का पत्थर बताया। वहीं केंद्रीय वन मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा कि यह सिर्फ एक जन्म नहीं, बल्कि पूरी परियोजना का आत्मविश्वास बढ़ाने वाला मोड़ है।