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    इंदौर में ट्रैफिक पुलिस के मित्र बने 200 लोग, अलग-अलग चौराहों पर निभा रहे हैं जिम्‍मेदारी

    Indore Traffic Police इंदौर के चौराहों पर दो सौ लोग ट्रैफिक पुलिस के मित्र के तौर पर तैनात हैं। महू नाका पर स्कूल-कालेज के साथ-साथ छात्र-छात्राएं ट्रैफिक की जिम्‍मेदारी संभालते हैं। ये लोग समय पर आते हैं और अपना काम संभालते हैं।

    By Babita KashyapEdited By: Updated: Thu, 10 Feb 2022 11:12 AM (IST)
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    अलग-अलग चौराहों पर ट्रैफिक पुलिस के मित्र के तौर पर तैनात

    इंदौर, जेएनएन। फिलहाल दो सौ लोग अलग-अलग चौराहों पर ट्रैफिक पुलिस के मित्र के तौर पर तैनात हैं, उन्होंने खुद समय तय किया है। समय पर आते हैं और अपना काम संभालते हैं। हौंसला ऐसा है कि वह अपने जन्मदिन पर भी छुट्टी नहीं लेते। महू नाका पर स्कूल-कालेज के साथ-साथ छात्र-छात्राएं ट्रैफिक की जिम्‍मेदारी संभालते हैं। उनमें से एक लड़की का जन्मदिन था। वो चाहती तो यहां छुट्टी लेकर परिवार के साथ बर्थडे सेलिब्रेट कर सकती थीं, लेकिन तय किया कि वो बर्थडे यहीं मनाएंगी। चौराहे पर ही केक काटकर काजल वर्मा का जन्मदिन मनाया गया।

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    वहीं ट्रैफिक शिक्षा विंग से जुड़े आरक्षक सुमंत सिंह कछवा भी अपने काम में लगे हुए हैं। वे स्कूल, कॉलेज, आंगनबाडी व अन्य संस्थानों में जाकर बच्चों को ट्रैफिक का पाठ पढ़ा रहे हैं। ऐसा ही एक स्कूल एनसीसी कैडेटों के लिए बनाया गया था, जिसके बाद कैडेट ट्रैफिक को संभालने के लिए चौराहों पर आ गए। इन लोगों की मदद से ट्रैफिक पुलिस को स्टाफ की कमी की चिंता नहीं हुई। लोग लगातार इससे जुड़ रहे हैं और ट्रैफिक को संभालने के लिए तैयार हैं।

    दरअसल, जब शहर में ट्रैफिक सुधारने की बात आई तो सबसे पहली दिक्कत यह थी कि ट्रैफिक पुलिस के पास हर चौराहे पर जवानों को खड़ा करने के लिए पर्याप्त स्टाफ नहीं था। ऐसे में पुलिस के दोस्त बनकर सामने आए युवक-युवतियों ने बोझ हल्का किया। देखते ही देखते इनकी संख्या दो सौ पहुंच गई है, जो शहर के विभिन्न चौराहों पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

    पुलिस आयुक्त हरिनारायणचारी मिश्रा ने नई जिम्मेदारी लेने के साथ ही यातायात व्यवस्था दुरुस्त करने की बात कही थी। उनकी बातों को अंत तक ले जाने की जिम्मेदारी डीसीपी महेशचंद्र जैन ने ली। कुछ ही समय में यह दिखाया गया कि शहर की सड़कें चलने योग्य हो गई हैं। यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों में दहशत देखी जा सकती है। इसके बावजूद कुछ लोग आज भी चौराहों पर ट्रैफिक नियमों का मजाक उड़ाते हैं। उन्हें समझाने के लिए एक बड़े स्टाफ की जरूरत थी, जिसके लिए लोगों को दोस्त बनाने की पहल की गई। इसे न सिर्फ स्कूल-कॉलेज के छात्र-छात्राओं ने लिया बल्कि कई समाजसेवी भी सेवा के लिए आगे आए।