Madhya Pradesh: मप्र के होशंगाबाद को अब नर्मदापुरम, शिवपुरी को कुंडेश्वर व बाबई को माखनपुर के नाम से जाना जाएगा
Madhya Pradesh केंद्र की मंजूरी के बाद होशंगाबाद को अब नर्मदापुरम और शिवपुरी को कुंडेश्र्वर धाम के नाम से जाना जाएगा। इसी तरह प्रसिद्ध पत्रकार और कवि माखनलाल चतुर्वेदी के नाम पर बाबई को माखन नगर के नाम से जाना जाएगा।

नई दिल्ली, जेएनएन। केंद्र ने मध्य प्रदेश में तीन शहरों के नाम बदलकर नए नाम रखे जाने को अपनी मंजूरी दे दी है। इन शहरों के नाम बदलने की संस्तुति मप्र की शिवराज सिंह चौहान सरकार द्वारा की गई थी। केंद्र की मंजूरी के बाद होशंगाबाद को अब नर्मदापुरम और शिवपुरी को कुंडेश्र्वर धाम के नाम से जाना जाएगा। इसी तरह प्रसिद्ध पत्रकार और कवि माखनलाल चतुर्वेदी के नाम पर बाबई को माखन नगर के नाम से जाना जाएगा। माखनलाल चतुर्वेदी का जन्म बाबई में ही हुआ था। बाबई होशंगाबाद जिले का हिस्सा है और यह भोपाल से लगभग 80 किलोमीटर दूर है। अधिकारियों के अनुसार, 2021 में शिवराज सिंह चौहान सरकार से प्रस्ताव मिले थे। नर्मदा नदी के दक्षिणी तट पर स्थित होशंगाबाद का नाम मालवा के पहले शासक होशंग शाह के नाम पर रखा गया था। रेलवे स्टेशनों, गांवों, कस्बों और शहरों का नाम बदलने के लिए सरकारी दिशानिर्देशों के तहत, राज्य सरकार को केंद्रीय गृह मंत्रालय से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) प्राप्त करना अनिवार्य है। एनओसी यह सुनिश्चित करती है कि जिले में रेलवे स्टेशन, हाई कोर्ट और विश्वविद्यालय सहित अन्य संस्थानों के नाम भी बदले जाएं।
कई शहरों व स्थानों के नाम बदलकर विदेशी आक्रांताओं की गुलामी के कलंक से मुक्ति पाने की तैयारी
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में कई शहरों और प्रमुख स्थानों के नाम बदलकर विदेशी आक्रांताओं की गुलामी के कलंक से मुक्ति पाने की तैयारी है। इनमें भोपाल और यहां का मिंटो हाल भी शामिल है। इसका उपयोग लंबे समय तक विधानसभा भवन के तौर पर होता रहा। प्रदेश सरकार ने इस दिशा में काम शुरू कर दिया है। ऐसे शहरों के नाम बदलकर भारतीय संस्कृति की पहचान फिर से कायम करने की शुरुआत नर्मदापुरम (होशंगाबाद) और भेरूंदा (नसरल्लागंज) से हो चुकी है। अब भोपाल, भोपाल के मिंटो हाल, औबेदुल्लागंज, गौहरगंज, बेगमगंज, गैरतगंज, बुरहानपुर, सुल्तानपुर सहित एक दर्जन शहरों-स्थानों के नाम बदलने की तैयारी है।
ये है इनकी मांग
इन शहरों के निवासी और जनप्रतिनिधि लंबे समय से नाम बदलने की मांग कर रहे हैं। विधानसभा के सामयिक अध्यक्ष (प्रोटेम स्पीकर) रहते हुए रामेश्वर शर्मा ने भोपाल में ईदगाह हिल्स का नाम बदलकर गुरुनानक टेकरी करने की मांग की थी। करीब 500 साल पहले सिखों के पहले गुरु नानक देव इस टेकरी पर रुके थे। यहां गुरु के पैरों के निशान हैं। इससे पहले भोपाल नगर निगम परिषद शहर का नाम भोजपाल करने का प्रस्ताव पारित कर चुकी है, जो शासन स्तर पर लंबित है। नाम बदलने की प्रक्रिया स्थानीय नागरिक और जनप्रतिनिधि अपने क्षेत्र, स्थान या जिले का नाम बदलने की मांग करते हैं। स्थानीय निकाय प्रस्ताव शासन को भेजता है और कैबिनेट की मंजूरी के बाद ये प्रस्ताव राज्यपाल को भेजा जाता है। उनके अनुमोदन के बाद गृह विभाग नाम परिवर्तन की अधिसूचना जारी करता है।
ऐसी है कहानी
भोपाल शहर की स्थापना 11वीं शताब्दी में राजा भोज ने की थीा। तब इसकी पहचान भूपाल (भू-पाल) नाम से थी। सैफिया कालेज के सहायक प्राध्यापक असर किदवई बताते हैं कि फारसी और उस समय की हिंदी की पुस्तकों में इसका उल्लेख है। अफगान आक्रांता दोस्त मोहम्मद खां ने 1720 ईसवीं में यहां शहर बसाने की शुरुआत की। तब तक अपभ्रंश होते-होते नाम भोपाल हो गया।
लार्ड मिंटो हाल
वर्ष 1909 में भारत के तत्कालीन वायसराय लार्ड मिंटो भोपाल आए थे। उन्हें राजभवन में रकवाया गया था, वे वहां की व्यवस्थाओं से नाराज थे। तब तत्कालीन नवाब सुल्तानजहां बेगम ने 12 नवंबर, 1909 को लार्ड मिंटो से इस हाल की नींव रखवाई और उन्हीं के नाम पर नामकरण हुआ।
औबेदुल्लागंज
रायसेन जिले के इस शहर का नाम भोपाल नवाब सुल्तानजहां बेगम के दूसरे पुत्र औबेदुल्ला खां के नाम पर है। ऐसे ही पहले पुत्र नसरल्ला खां को भेरूंदा (नसरल्लागंज) की जागीर देकर नया नामकरण किया गया।
गौहरगंज
रायसेन जिले की ही तहसील गौहरगंज का नाम भोपाल नवाब हमीदउल्लाह खां की बेटी आबिदा सुल्तान के नाम पर पड़ा है। उन्हें गौहर महल के खिताब से नवाजा गया था। किदवई बताते हैं कि इसका नाम पहले राजा भोज के मंत्री कलिया के नाम पर कलियाखेड़ी था।
कुछ शहरों के पुराने नाम
भोपाल - भूपाल, भोजपाल विदिशा - भेलसा, विदावती सीहोर - सीधापुर ओंकारेश्वर - मांदाता दतिया - दिलीप नगर महेश्वर - माहिष्मति जबलपुर - त्रिपुरी, जबालिपुरम ग्वालियर - गोपांचल दमोह - तुंडीखेत
विधानसभा के पूर्व सामयिक अध्यक्ष व विधायक रामेश्वर शर्मा ने बताया कि ईदगाह का नाम बदलने की हमारी मांग जारी है। सिख समाज भी जिलों में ज्ञापन दे रहा है। हमारा उद्देश्य उन स्थानों के नाम बदलना है, जो गुलामी के प्रतीक हैं।
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