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    Ram Mandir: 125 किमी का सफर पैदल किया पूरा...थानेदार ने दिए थे 500 रुपये, अब कारसेवक के पोते को मिला राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा का निमंत्रण

    22 जनवरी को अयोध्या में होने वाले श्रीरामलला की प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव को लेकर तैयारियां जोर-शोर से चल रही है। इस समारोह में शामिल होने के लिए राजगढ़ के यज्ञाचार्य एवं पांच धाम एक मुकाम माताजी मंदिर के प्रमुख 93 वर्षीय मुरारीलालजी भारद्वाज के पोते हेमंत भारद्वाज को निमंत्रण मिला है। यज्ञाचार्य हेमंत के दादाजी ने 1990 में सैकड़ों किमी का सफर पैदल ही पुरा कर कारसेवा में भागीदारी निभाई थी।

    By Jagran News Edited By: Sonu Gupta Updated: Thu, 18 Jan 2024 06:56 PM (IST)
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    कारसेवक मुरारीलालजी भारद्वाज के पोते हेमंत भारद्वाज को मिला राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने का न्योत।

    जागरण न्यूज नेटवर्क, राजगढ़। 22 जनवरी को अयोध्या में होने वाले श्रीरामलला की प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव को लेकर तैयारियां जोर-शोर से चल रही है। इस समारोह में शामिल होने के लिए राजगढ़ के यज्ञाचार्य एवं पांच धाम एक मुकाम माताजी मंदिर के प्रमुख 93 वर्षीय मुरारीलालजी भारद्वाज के पोते हेमंत भारद्वाज को निमंत्रण मिला है। वह श्रीमन माधव गौड़ेश्वर वैष्णवाचार्यश्री पुण्डरीक गोस्वामीजी महाराज के मार्गदर्शन में 21 जनवरी को अयोध्या पहुंचकर 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होंगे।

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    दादा कर चुके हैं कारसेवा

    मालूम हो कि यज्ञाचार्य हेमंत के दादाजी ने 1990 में सैकड़ों किमी का सफर पैदल ही पुरा कर कारसेवा में भागीदारी निभाई थी। पांच धाम एक मुकाम माताजी मंदिर के 93 वर्षीय मुरारीलालजी भारद्वाज लड़खड़ाती जुबान से बताते हैं कि आज से करीब 32 साल पहले जब हम 62 साल के थे तब उस समय राम नगरी अयोध्या में मंदिर बनाने के लिए संघर्ष जोरो पर था, तब हम भी उसका हिस्सा थे।

    कई कारसेवकों को गंवानी पड़ी जान

    उन्होंने कहा कि आज के समय जब मंदिर में रामलला विराजमान हो रहे हैं तो आंखों में खुशी के आंसू हैं। 1992 का वह दौर हमने देखा है, जिसमें कई लोगों को अपनी जान तक गंवानी पड़ गई थी। आज उन कारसेवकों की मृत्यु को एक मुकाम मिला है।

    थानेदार के पैसे से पहुंचे अयोध्या

    भारद्वाज का कहना है कि साल 1992 में कारसेवक जब अयोध्या पहुंच रहे थे तो मुझे भी इसमें शामिल होने का ख्याल आया, जिसके बाद हम सरदारपुर तहसील से बस पकड़कर इंदौर पहुंचे। वहां से हम किसी अन्य साधन से मानधाता तक पहुंचे ही थे कि थानेदार गुप्ता ने हमें रोक लिया और वापस घर जाने को कहा। उन्होंने बताया कि हमने थानेदार को बताया कि हमारे पास कुछ भी नहीं है, जिससे वापस घर जाए।

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    125 किमी का सफर पैदल किया पूरा

    उन्होंने आगे बताया कि थानेदार ने इस पर पांच सौ रुपये की आर्थिक मदद की और हम पैसे लेकर वापस घर नहीं आए। उन्होंने कहा कि हम पैसे लेकर बरेली होते हुए करीब 125 किमी का सफर पैदल तय कर अयोध्या पहुंच गए और यहां जब आए तो कारसेवकों में मंदिर बनाने का उत्साह देखकर हम खुद को नहीं रोक पाए और इसका हिस्सा बन गए।

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