पीथमपुर में जहरीले कचरे का निपटान होगा या नहीं, हाई कोर्ट में हुई सुनवाई; अदालत ने क्या कहा?
एमपी हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को यूनियन कार्बाइड कारखाने के जहरीले कचरे के निपटान पर कार्रवाई करने के लिए 6 हफ्तों का समय दिया है। कोर्ट ने मीडिया को भी निर्देश दिया और कहा कि इस संबंध में कोई भी गलत खबर ना फैलाई जाए। पिछले दिनों यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से जहरीले कचरे को निपटान के लिए यहां से करीब 250 किलोमीटर दूर धार जिले के पीथमपुर ले जाया गया।

पीटीआई, भोपाल। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने सोमवार को सुरक्षा दिशा-निर्देशों के अनुसार यूनियन कार्बाइड कारखाने के जहरीले कचरे के निपटान पर कार्रवाई करने के लिए राज्य सरकार को 6 हफ्तों का समय दिया है। इसी के साथ हाई कोर्ट ने मीडिया को इस कचरे निपटान के मुद्दे पर गलत और भ्रामक खबरें न देने का निर्देश दिया है।
दरअसल, पिछले दिनों भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से जहरीले कचरे को निपटान के लिए यहां से करीब 250 किलोमीटर दूर धार जिले के पीथमपुर ले जाया गया। यहीं पर इस कचरे के निपटान की योजना बनाई गई है।
हाई कोर्ट ने राज्य सरकार दिए ये निर्देश
मामले की सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश एसके कैत और न्यायमूर्ति विवेक जैन की खंडपीठ ने राज्य सरकार को महाधिवक्ता प्रशांत सिंह द्वारा अपशिष्ट निपटान शुरू करने से पहले पीथमपुर की जनता को विश्वास में लेने और उनके मन से भय दूर करने के अनुरोध के बाद समय दिया।
उच्च न्यायालय में सरकार ने बताया कि यूनियन कार्बाइड कंपनी के में पड़े जहरीले कचरे के निपटान के बारे में काल्पनिक और झूठी खबरों के कारण पीथमपुर कस्बे में अशांति पैदा हुई है। राज्य सरकार की दलील के बाद, पीठ ने प्रिंट, ऑडियो और विजुअल मीडिया को मामले पर कोई भी गलत खबर चलाने से रोक दिया।
राज्य सरकार ने कोर्ट से भोपाल से पीथमपुर भेजे गए 12 सीलबंद कंटेनरों में कचरे को उतारने के लिए तीन दिन का समय मांगा। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की बेंच ने कहा कि इस मामले पर सुरक्षित तरीके से और दिशा-निर्देशों के अनुसार कार्रवाई करना राज्य का विशेषाधिकार है।
पीथमपुर में लोग कर रहे विरोध
जानकारी दें कि पीथमपुर में इस कचरे के निपटान का स्थानीय लोग विरोध कर रहे हैं। तीन दिन पहले ही पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड कचरे के नियोजित निपटान के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान दो लोगों ने आत्मदाह करने की कोशिश की थी। प्रदर्शनकारियों ने दावा किया कि कचरे के निपटान से मनुष्य और पर्यावरण को हानि होगी।
गौरतलब है कि याचिकाकर्ता आलोक प्रताप सिंह का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ ने कहा कि लोगों के मन से डर को दूर करने के लिए परीक्षण के बाद कचरे का सुरक्षित तरीके से निपटान किया जाना चाहिए। आलोक प्रताप सिंह ने भोपाल के यूनियन कार्बाइड कारखाने से कचरे को हटाने और उसके निपटान के संबंध में 2004 में रिट याचिका दायर की थी।
मामले की सुनवाई के बाद समाचार एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ ने कहा कि व्यापक आंदोलन और प्रतिरोध को देखते हुए, आम जनता को विश्वास में लिया जाना चाहिए और इसके लिए कचरे की विषाक्तता के वर्तमान स्तर को निर्धारित करने के लिए परीक्षण किया जा सकता है। परीक्षण रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाना चाहिए।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।