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अब रानी कमलापति स्‍टेशन कहलाया जाएगा भोपाल का हबीबगंज स्‍टेशन, केंद्र सरकार से मिली मंजूरी

मध्‍य प्रदेश के हबीबगंज रेलवे स्‍टेशन (Habibganj Railway Station) का नाम बदलकर रानी कमलापति स्‍टेशन करने को लेकर केंद्र सरकार ने मंजूरी दे दी है। 15 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इस स्‍टेशन के लोकार्पण के साथ इसे नया नाम दिया जाएगा।

By Babita KashyapEdited By: Published: Sat, 13 Nov 2021 09:48 AM (IST)Updated: Sat, 13 Nov 2021 07:37 PM (IST)
अब रानी कमलापति स्‍टेशन कहलाया जाएगा भोपाल का हबीबगंज स्‍टेशन, केंद्र सरकार से मिली मंजूरी
हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम हो रानी कमलापति रेलवे स्टेशन

भोपाल, जेएनएन। मध्‍य प्रदेश के हबीबगंज रेलवे स्‍टेशन को 100 करोड़ की लागत से विश्वस्तरीय बना दिया गया है लेकिन अभी तक इसके नाम में इतिहास से जुड़ा कुछ भी नहीं है। इस स्‍टेशन का नाम हबीबगंज क्‍यों रखा गया है इसे लेकर भी कोई स्‍पष्‍ट राय नहीं है। स्‍टेशन का नाम बदलने की मांग शहरवासियों की ओर से काफी समय से की जा रही थी। ऐसी आशा है कि नए स्‍वरूप में इसे पुरानी पहचान मिल जाए। मंत्रालय के उच्‍च अधिकारियों का कहना है कि हबीबगंज रेलवे स्‍टेशन का नया नाम भोपाल रियासत की रानी कमलापति के नाम पर रखा जाएगा। प्रदेश सरकार ने इसे लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय को शुक्रवार को प्रस्ताव भेज था जिस पर सरकार ने मंजूरी दे दी है। 15 नवंबर को जम्बूरी मैदान पर आयोजित जनजातीय महासम्मेलन या रेलवे स्टेशन लोकार्पण के समय पीएम नरेंद्र मोदी नए नाम की घोषणा करेंगे। पहले भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी के नाम पर सबसे पहले इस स्‍टेशन के नाम को बदलने का प्रस्‍ताव आया था इस पर सभी ने सहमति भी जतायी थी।

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कौन थी रानी कमलापति

15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर राज्य शासन ने हबीबगंज स्टेशन का नाम बदलकर रानी कमलापति रेलवे स्टेशन रखने का निर्णय लिया है। रानी कमलापति का विवाह गौंड राजा सूरज सिंह शाह के पुत्र निजाम शाह के साथ हुआ था। रानी ने बहादुरी के साथ अपने पूरे शाासन काल में आक्रमणकारियों का डट कर सामना किया था। रानी की यादों को अक्षुण्‍ण बनाए रखने और उनके बलिदान के प्रति कृतज्ञता की अभिव्‍यक्ति के चलते ये निर्णय लिया गया है।

दो प्लेटफार्म से विश्व स्तरीय सुविधा वाले स्टेशन तक का सफर

1868 तक उत्तर भारत में आगरा तक और दक्षिण की तरफ खंडवा तक रेलवे ट्रैक था लेकिन बीच में कोई रेलवे ट्रैक नहीं था। इसलिए आवागमन सड़क मार्ग से होता था। भोपाल की नवाब शाहजहां बेगम से ब्रिटिश अधिकारी हेनरी डेली ने ट्रेन चलाने के लिए करार किया था। उस समय बेगम ने इसके लिए 34 लाख रुपये का दान किया था। 1882 में भोपाल से इटारसी के बीच ट्रेन रवाना हुई थी और भोपाल को स्‍टेशन बनाया गया था। इतिहासकारों ने बताया कि काफी साल के बाद भोपाल के नजदीक एक छोटा सा स्‍टेशन हबीबगंज क्षेत्र का निर्माण किया गया। इस पर दो प्लेटफार्म थे।1979 में ये स्‍टेशन अस्तित्‍व में आया था। केंद्रीय मंत्री रहते माधवराव सिंधिया ने इस पर ध्‍यान देते हुए इसके लिए 7 करोड़ रुपये स्वीकृत किए थे। इस राशि का उपयोग स्‍टेशन के दोनों ओर भवन व प्‍लेटफार्म बनाने के लिए किया गया था।


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