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    Amla Navami 2022: धन की देवी लक्ष्‍मी ने की थी आंवले की पूजा, इस फल में माना जाता है दो देवों का वास

    By Jagran NewsEdited By: Babita Kashyap
    Updated: Wed, 02 Nov 2022 11:12 AM (IST)

    Amla Navami 2022 आंवले के फल में भगवान विष्णु और भोलेनाथ वास करते हैं। इस दिन महिलाएं आंवले के पेड़ की पूजा करती हैं। पेड़ पर पुष्प अक्षत चंदन पीला धागा और मौली धाग लपेटा जाता है और फिर 108 बार पेड़ की परिक्रमा की जाती है।

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    Amla Navami 2022: आंवले के फल में भगवान विष्णु और भोलेनाथ वास करते हैं।

    रायपुर, जागरण आनलाइन डेस्‍क। Amla Navami 2022: शास्त्रों के अनुसार कार्तिक शुक्ल नवमी तिथि को आंवला नवमी की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि आंवले के फल में भगवान विष्णु और भोलेनाथ वास करते हैं। दोनों देवताओं को एक साथ पूजने के लिए आंवला फल की पूजा करने की परंपरा है।

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    आंवला नवमी पर्व आज (2 नवंबर) श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है। इस दिन महिलाएं आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर पूजा करेंगी। मोतीबाग में पूजा कर महिलाएं पिकनिक मनाएंगी और बचपन के खेलों का लुत्फ उठाएंगी।

    आंवला में होते हैं तुलसी और बेल के गुण

    पंडित चंद्रभूषण शुक्ल (संस्कृत भारती छत्तीसगढ़ के प्रवक्ता) का कहना है कि आंवला नवमी का पर्व अक्षय फल प्रदान करता है। आंवला नवमी की कथा में बताया गया है कि जब देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण के लिए निकलीं तो माता के मन में भगवान शंकर व विष्‍णु दोनों की पूजा की इच्छा जाग्रत हुई।

    आंवला फल में दोनों देवताओं का वास होने के कारण देवी लक्ष्मी ने आंवले के फल की पूजा की। दोनों देवता प्रकट हुए। मां लक्ष्मी ने उन्हें आंवले के पेड़ के नीचे बैठाया और उन्हें खाना खिलाया। इस दिन कार्तिक शुक्ल की नवमी तिथि थी। तभी से कार्तिक मास में आंवले के फल की पूजा की जाने लगी। आंवला का सेवन करने से शरीर स्वस्थ रहता है। ऐसा कहा जाता है कि आंवले के फल में तुलसी के पत्ते और बेल के गुण होते हैं।

    आंवले के पेड़ की परिक्रमा

    आंवला नवमी पर महिलाएं आंवले के पेड़ की पूजा करती हैं। पेड़ पर पुष्प, अक्षत, चंदन, पीला धागा और मौली धाग लपेटा जाता है और फिर 108 बार पेड़ की परिक्रमा की जाती है। पेड़ को खीर, पूड़ी, सब्जी व मिठाई का भोग लगाया जाता है और यथाशक्ति दान देने की परंपरा भी निभायी जाती है।

    इस तरह करें पूजा

    - प्रात:काल स्नान करने के बाद भोजन बनाकर पूर्व दिशा की ओर मुख करके आंवले के वृक्ष के नीचे बैठ जाएं। पेड़ पर दूध चढ़ाकर देवताओं और पूर्वजों का स्मरण करें।

    - कपूर, घी व दीपक से आरती करें

    - प्रसाद चढ़ाकर वृक्ष के नीचे बैठकर ग्रहण करें

    - घर में आंवला का पौधा स्‍थापित करें।

    -ब्राह्मणों को गर्म वस्त्र, कम्बल का दान करें

    विटामिन सी भरपूर है आंवला

    आयुर्वेदिक कॉलेज के डॉ. संजय शुक्ला ने बताया कि आयुर्वेद में आंवला फल को विशेष महत्व दिया गया है। त्रिफला बनाने के लिए आंवला पाउडर का उपयोग किया जाता है। आंवला का सेवन करने से शरीर में विटामिन सी की कमी दूर हो जाती है।

    इसके अलावा यह मधुमेह, नेत्र रोगों में लाभकारी है। ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है। गैस व एसिडिटी में आंवला फायदेमंद होता है। दांत दर्द, हिचकी और उल्टी की शिकायत होने पर भी आंवले का रस शहद, मिश्री के साथ लेने से आराम मिलता है।

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