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    MP News: मगरमच्छ, हिरण और घड़ियाल.. पूर्व विधायक के बंगले में बने चिड़ियाघर से क्या-क्या मिला? IT डिपार्टमेंट भी हैरान

    Updated: Sun, 12 Jan 2025 11:40 PM (IST)

    वन विभाग की टीम ने शुक्रवार को मध्य प्रदेश के सागर में भाजपा के पूर्व विधायक हरवंश सिंह राठौर के बंगले में बने चिड़ियाघर से दो मगरमच्छों को मुक्त कराया। मेडिकल जांच के बाद इन्हें डैम में छोड़ा जाएगा। हरिवंश सिंह राठौर के बंगले में यह चिड़ियाघर वर्ष 1964-65 के करीब बना और उसके बाद से बंद नहीं कराया गया।

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    भाजपा के विधायक रहे हरवंश सिंह राठौर के बंगले से जानवर और अलग-अलग प्रजाती की पक्षियां मिली।(फोटो सोर्स: जागरण)

    जेएनएन, सागर। मध्य प्रदेश में सागर जिले के बंडा से भाजपा के विधायक रहे हरवंश सिंह राठौर के बंगले पर आयकर विभाग ने छापा नहीं डाला होता तो वन विभाग यहां पिछले करीब 60 वर्षों से नियम विरुद्ध संचालित निजी चिड़ियाघर पर चुप्पी ही साधे रहता।

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    राठौर के बंगले में यह चिड़ियाघर वर्ष 1964-65 के करीब बना और उसके बाद से बंद नहीं कराया गया। चौंकाने वाली बात है कि इसकी जानकारी सभी को थी। स्कूली बच्चे भ्रमण के लिए वहां जाते थे। शहर के लोगों के पर्यटन के लिए मगरमच्छ सहित अन्य पक्षी आम थे।

    तीन दिनों तक चली छापेमारी 

    आयकर विभाग के अधिकारियों ने पांच जनवरी को सुबह आठ बजे राठौर के घर छापा मारा था। कार्रवाई तीन दिन चली। टीम लौटी तो उसने वन विभाग को बताया कि राठौर ने बंगले में मगरमच्छ पाले हुए हैं।

    इसके बाद वन विभाग कार्रवाई को विवश हुआ। उसने शुक्रवार को दो और शनिवार को दो मगरमच्छों के साथ कुछ बंदरों को बंगले से निकालकर अभयारण्य के तालाब व जंगल में छोड़ा। निजी चिडि़याघर में कई प्रजाति के पक्षी अब भी हैं। उधर, पूर्व विधायक पर वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम के तहत अब तक केस दर्ज नहीं किया गया है।

    मूलत: बीड़ी कारोबारी है यह परिवार

    राठौर परिवार मूलत: तेंदूपत्ता की ठेकेदारी करता है। यह सागर क्षेत्र में बीड़ी के बड़े कारोबारी हैं। बताया जाता है कि हरवंश राठौर के दादा दुलीचंद राठौर ने 1964-65 में बंगले में निजी चिड़ियाघर बनवाया था। इसमें मगरमच्छ, हिरण, चीतल व कई प्रजाति के पक्षी रखे गए।

    लोगों का कहना है कि राठौर परिवार ने संभवत: धार्मिक वजहों से मगरमच्छ पाले थे, क्योंकि जब मगरमच्छों को वन विभाग की टीम ने पकड़ा तो परिवार ने उनकी पूजा की थी। जिस तालाब में मगरमच्छों को रखा गया था, उसके ऊपर गंगा मंदिर बना है। यह मंदिर अधिकतर कांच से बना है, इसीलिए लोग इसे कांच मंदिर भी कहते हैं।

    गंभीर रूप से लुप्तप्राय सूचीबद्ध है घड़ियाल

    भोपाल के वाइल्ड लाइफ एक्टिविस्ट अजय दुबे का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (आईयूसीएन) ने मगरमच्छ को रेड सूची में असुरक्षित के तौर पर दर्ज किया है। वहीं, घड़ियाल को गंभीर रूप से लुप्तप्राय सूचीबद्ध किया गया है।

    दोनों प्रजातियां वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची के तहत संरक्षित हैं। इसे पालने की अनुमति किसी को नहीं है। किसी को चिडि़याघर चलाना है तो केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण से मान्यता लेनी होती है। अवैध निजी चिडि़याघर चलाने पर विभिन्न कानूनों के तहत कैद और जुर्माना दोनों का प्रविधान है। सजा और जुर्माना की दरें मामले की गंभीरता और अदालत के विवेक पर निर्भर करती हैं।

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