Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Chaitra Navratri 2022: इंदौर का ऐसा मंदिर जहां तीन बार बदलते हैं मां दुर्गा के चेहरे के भाव, पूरनपोली का लगता है भोग

    By Babita KashyapEdited By:
    Updated: Wed, 06 Apr 2022 09:06 AM (IST)

    Chaitra Navratri 2022 इंदौर के दुर्गा देवी मंदिर में मां के चेहरे के भाव दिन में तीन बार बदलते हैं। मां का श्रृंगार भी मराठी परंपरा से किया जाता है और ...और पढ़ें

    Hero Image
    Chaitra Navratri: इंदौर में स्थित मंदिर में मां दुर्गा की मूर्ति दिन में तीन बार चेहरे के भाव बदलती है।

    इंदौर, जेएनएन। इंदौर शहर में रजवाड़ा के निकट सुभाष चौक पर बने दुर्गा देवी मंदिर का इतिहास होलकर वंश से संबंधित है। यहां मां दुर्गा की मूर्ति महिषासुर मर्दन करती है और देवी के आठ हाथ अस्‍त्रों से सुसज्जित हैं। इस मंदिर को लकड़ी की सुंदर नक्काशी से सजाया गया है। एक समय में यह होल्कर राज्य की सेना की चौकी हुआ करती थी।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    तुकोजीराव होल्कर प्रथम को स्वप्न में मां दुर्गा ने दर्शन दिए और कहा कि उनकी यह मूर्ति महेश्वर के निकट सहस्त्रधारा में है। वहां से मूर्ति को इंदौर लाया गया। मूर्ति की स्थापना के लिए तुकोजीराव ने संकल्प किया कि मूर्ति को हाथी पर बिठाया जाएगा और शहर का भ्रमण किया जाएगा और जहां हाथी रुकेगा वहां मूर्ति स्थापित की जाएगी। हाथी इस सेना चौकी पर रुक गया और इस तरह चौकी को मंदिर में बदल दिया गया। इस मंदिर में यह मूर्ति 1781 में फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी को स्थापित की गई थी।

    मराठी परंपरा से किया जाता है मां का श्रृंगार

    सफेद संगमरमर से बनी इस मूर्ति में तिल भी हैं जो किसी ने नहीं बनाए हैं। कहा जाता है कि दिन में तीन बार मां का रूप बदलता है। मां के चेहरे पर सुबह बचपन, दोपहर में जवानी और शाम को बुढ़ापा के भाव साफ नजर आते हैं। यहां मां का श्रृंगार भी मराठी परंपरा से किया जाता है और पूजा भी इसी परंपरा से की जाती है। महिषासुर मर्दिनी के साथ मां काली और मां सरस्वती की मूर्तियां भी स्थापित हैं।

    दसवें दिन पूरन पोली का भोग लगाया जाता है

    मंदिर के मुख्य पुजारी उदय एरंडोलकर बताते हैं कि मंदिर में त्रिदेव के रूप में तीन शिवलिंग हैं। स्थापना दिवस पर वसंती और शारदीय नवरात्रि के अलावा यहां विशेष अनुष्ठान होते हैं। रेलवे स्टेशन से ढाई किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस मंदिर का जीर्णोद्धार 2017 में किया गया था। नवरात्रों के दसवें दिन यहां पूरन की आरती होती है और मां को पूरन पोली का भोग लगाया जाता है। नवरात्रि के दौरान, देवी को दिन में दो बार सजाया जाता है।