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    Electricity Bill Hike in MP: मध्‍य प्रदेश के लोगों को फिर लगा बिजली का झटका, जुलाई से बढ़ गए दाम

    By Babita KashyapEdited By:
    Updated: Mon, 04 Jul 2022 10:09 AM (IST)

    MP Electricity Bill News मध्‍य प्रदेश में बिजली के दामों में 10 पैसे प्रति यूनिट की बढ़ोतरी हुई है। 1 जुलाई से 30 सितंबर तक 300 यूनिट की खपत होती है त ...और पढ़ें

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    MP Electricity Rate: मध्‍य प्रदेश में बिजली के रेट में 10 पैसे प्रति यूनिट की बढ़ोतरी हुई है।

    जबलपुर, जागरण आनलाइन डेस्‍क। मध्‍य प्रदेश में बिजली के रेट बढ़ने से उपभोक्‍ताओं को झटका लगा है। जुलाई माह में यहां बिजली के दामों में 10 पैसे प्रति यूनिट की बढ़ोतरी हुई है। बिजली कंपनी ने ईंधन लागत समायोजन में वृद्धि की है जो तिमाही तय है। इसके अनुसार 300 यूनिट मासिक खपत करने वाले उपभोक्ताओं को अतिरिक्त रुपये देने होंगे। यह दर 1 जुलाई से सितंबर तक प्रभावी रहेगी।

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    बता दें कि एमपी पावर मैनेजमेंट कंपनी हर तीन महीने में एफसीए तय करती है। यह बिजली संयंत्र में कोयले और तेल के जलने के आधार पर निर्धारित किया जाता है। कभी कम तो कभी बढ़ जाती है। अभी तक यह 6 पैसे प्रति यूनिट था। जुलाई से 10 पैसे की बढ़ोतरी के बाद एफसीए 16 पैसे प्रति यूनिट तय किया गया है। हाल ही में गर्मियों में बिजली की मांग में अचानक वृद्धि के कारण राज्य की बिजली कंपनी को अतिरिक्त महंगा कोयला और महंगी बिजली खरीदनी पड़ी, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि तिमाही में कीमत में वृद्धि करनी पड़ी।

    एमपी पावर मैनेजमेंट कंपनी ने जुलाई से सितंबर तक की तिमाही के लिए ईंधन लागत में 10 पैसे प्रति यूनिट की बढ़ोतरी की है। अब तक मार्च से जून तक की तिमाही में ईंधन की लागत केवल 6 पैसे प्रति यूनिट थी, जो अब इस तिमाही में बढ़कर 16 पैसे प्रति यूनिट हो गई है। अगर 1 जुलाई से 30 सितंबर तक 300 यूनिट की खपत होती है, तो बिजली उपभोक्ताओं को उस पर 30 रुपये अधिक चुकाने होंगे। इसी तरह 100 यूनिट पर 6 पैसे देने पड़ते थे, अब 16 पैसे देने होंगे। 12 की जगह 200 यूनिट पर 32 पैसे देने होंगे।

    बिना सूचना के दाम बढ़ने से उपभोक्ता नाराज

    बिजली के लगातार बढ़ते दाम से आम उपभोक्ता काफी परेशान हैं, जिसका असर चुनाव पर पड़ेगा। बिजली के बिल बढ़ने से बिजली उपभोक्ता पहले से ही नाराज हैं। आम मध्यम वर्ग के उपभोक्ताओं के सामने बिजली जलाना अब मुश्किल होता जा रहा है। बढ़ती कीमतों को लेकर उपभोक्ताओं में आक्रोश है। इसका खामियाजा सत्ता पक्ष को आम चुनाव में भुगतना पड़ सकता है।