कौन है प्रीतम जो चेतन के घर में रख जाता था सोना? सौरभ शर्मा प्रकरण में नए किरदार की एंट्री
एमपी के परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा के मामले में ED ने आरोपपत्र दाखिल किया है। ईडी के आरोपपत्र में यह साफ तौर पर कहा गया है कि 52 किलो सोना व करीब 11 करोड़ रुपये नकद सौरभ के ही थे। ईडी ने कार में मिले सोना और नकदी को सौरभ की आय में जोड़ा हैं। लेकिने ये खरीदा सोना है या नहीं ये नहीं पता।

जेएनएन, भोपाल। करोड़ों की काली कमाई के आरोपित मध्य प्रदेश परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा के मामले में ईडी ने आरोप पत्र में यह साफ कर दिया है कि 52 किलो सोना व करीब 11 करोड़ रुपये नकद सौरभ के ही थे।
ईडी ने कार में मिले सोना और नकदी को सौरभ की आय में जोड़ा तो है, पर यह पता नहीं चल सका कि यह सोना तस्करी का था या खरीदा गया था। खरीदी में हवाला के माध्यम से भुगतान तो नहीं किया गया था? आमतौर राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) ऐसे मामलों की जांच करता है, पर डीआरआई ने अभी तक यह प्रकरण अपने हाथ में नहीं लिया है।
इधर, इस प्रकरण में अब एक नए किरदार का नाम सामने आया है। सौरभ के काले कारनामों में सहयोगी चेतन सिंह गौर ने अपने बयान में ईडी को बताया है कि प्रीतम नामक व्यक्ति उसके (चेतन) घर में सोना रखकर जाया करता था। बाद में यह सोना सौरभ लेकर जाता था। अभी तक यह पता नहीं चला है कि प्रीतम कौन है? सोना कहां से आता था? ईडी ने अभी प्रीतम को आरोपी भी नहीं बनाया है।
जानिए पूरा मामला
बता दें कि 19 दिसंबर 2024 को सौरभ शर्मा के ठिकानों पर लोकायुक्त की टीम ने छापा मारा था। जिसमें चार करोड़ रुपये नकद, चांदी व कई संपत्ति के दस्तावेज मिले थे। इसी दिन रात में भोपाल के मेंडोरी जंगल में एक कार जब्त की गई, जिसमें करीब 11 करोड़ रुपये नकद व 52 किलो सोना बरामद किया गया था। बच निकले बड़े किरदार ईडी ने अपने चालान के साथ 108 करोड़ रुपये की संपत्ति राजसात करने का अनुरोध भी न्यायालय से किया है।
विपक्ष ने जोर से जोर से उठाया था ये मुद्दा
प्रश्न यह भी है कि 28 हजार रुपये प्रतिमाह वेतन पाने वाले सौरभ ने परिवहन विभाग में लगभग सात वर्ष की सेवा में किसके संरक्षण में इतनी अवैध कमाई की। उल्लेखनीय यह भी है कि जिस कार में सोना और नकदी मिली थी, उसमें एक डायरी मिलने की बात सामने आई थी, जिसमें करोड़ों रुपये का हिसाब-किताब लिखा है।
डायरी में धनराशि की हिस्सेदारी में टीसी और टीएम लिखा है। इस शॉर्ट फार्म को ट्रांसपोर्ट कमिश्नर और ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर बताकर विपक्ष ने जोर-शोर से मामला उठाया था। पर मामले की जांच कर रही लोकायुक्त पुलिस, ईडी और आयकर के रडार पर अभी तक कोई बड़ा नाम नहीं आया है।
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