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    Chaitra Navratri 2022 : नवरात्र में दुर्गा सप्‍तशती पाठ का है विशेष महत्‍व, पढ़ने से मिलते हैं ये चमत्‍कारिक लाभ

    By Babita KashyapEdited By:
    Updated: Fri, 01 Apr 2022 07:54 AM (IST)

    Chaitra Navratri 2022 मां दुर्गा की साधना में किए जाने वाले दुर्गा सप्‍तशती पाठ का विशेष महत्‍व है। इसके अध्‍ययन से जीवन की बहुत सी परेशानी दूर होती है। जानें इन 13 पाठों में किस पाठ को पढ़ने से जीवन की कौन सी बाधा दूर होती है।

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    दुर्गा सप्तशती में मां की 360 शक्तियों को वर्णित किया गया है।

    जबलपुर, जेएनएन। दुर्गा सप्तशती में मां की 360 शक्तियों को वर्णित किया गया है। इसके साथ ही महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती की महिमा का वर्णन है। मां दुर्गा की आराधना के लिए किए जाने वाले दुर्गा सप्तशती के 13 पाठों का अपना विशेष महत्व है। ज्योतिषी पंडित सौरभ दुबे के अनुसार विभिन्न बाधाओं को दूर करने के लिए इनका पाठ किया जाता है। आइए जानते हैं दुर्गा सप्तशती का कौन सा पाठ करने से किस फल की प्राप्ति होती है।

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    प्रथम अध्याय- दुर्गा सप्तशती का प्रथम पाठ करने से व्यक्ति की सारी चिंताएं दूर हो जाती हैं।

    द्वितीय अध्याय- दुर्गा सप्तशती के दूसरे अध्याय का पाठ करने से सभी प्रकार के शत्रु विघ्न दूर होते हैं। साथ ही कोर्ट-कचहरी आदि से जुड़े मुकदमों में भी विजय प्राप्त होती है।

    तृतीय अध्याय- दुर्गा सप्तशती के तीसरे अध्याय का पाठ करने से जातक के जीवन से शत्रुओं का नाश होता है।

    चतुर्थ अध्याय- चौथे अध्याय का पाठ करने से मां शेरावाली के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त होता है।

    पंचम अध्याय- पंचम अध्याय का पाठ करने से भक्ति, शक्ति और देवी के दर्शन की कृपा प्राप्त होती है।

    षष्ठम अध्याय- वहीं दुर्गा सप्तशती के छठे अध्याय का पाठ करने से जीवन से दुख, दरिद्रता, भय आदि दूर होते हैं।

    सप्तम अध्याय- सप्तम अध्याय का पाठ करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

    अष्टम अध्याय- आठवां अध्याय वशीकरण और मित्रता के लिए किया जाता है।

    नवम अध्याय- नौवें अध्याय का पाठ संतान की प्राप्ति और उन्नति के लिए किया जाता है।

    दसवां अध्याय- दसवें अध्याय का पाठ करने से नवें अध्याय के समान फल मिलता है।

    एकादश अध्याय- सभी प्रकार की भौतिक सुविधाओं की प्राप्ति के लिए ग्यारहवें अध्याय का पाठ किया जाता है।

    द्वादश अध्याय- दुर्गा सप्तशती के बारहवें अध्याय का पाठ मान सम्मान और लाभ लाने वाला माना जाता है।

    त्रयोदश अध्याय- इसके अलावा दुर्गा सप्तशती के तेरहवें अध्याय का पाठ विशेष रूप से मोक्ष और भक्ति के लिए किया जाता है।

    डिसक्लेमर

    इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्रियों/गणनाओं की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। यह सूचना विभिन्न माध्यमों से सूचना/ज्योतिषियों/पंचांगों/प्रवचनों/धार्मिक विश्वासों/शास्त्रों से संकलित कर आपको भेजी गई है। हमारा उद्देश्य केवल जानकारी देना है, पाठकों या उपयोगकर्ताओं को इसे केवल जानकारी के रूप में लेना चाहिए। इसके अलावा, किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी उपयोगकर्ता या स्वयं पाठक की होती है।'