Single Use Plastic waste: मध्यप्रदेश के इंदौर में पिछले आठ सालों से चल रहा सिंगल यूज प्लास्टिक कचरे का निस्तारण
केमिकल व हानिकारक उत्पाद बनाने वाली फैक्टरियां अपना कचरा सीमेंट फैक्टरियों को देती है तो उसके बदले में कुछ राशि भी देती है। यही वजह है कि सीमेंट फैक्टरियां आसानी से हमसे मिक्स कचरा लेने को तैयार नहीं होती।

इंदौर, ऑनलाइन डेस्क। भारत सरकार ने एक जुलाई से सिंगल यूज प्लास्टिक पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया है। इंदौर में आठ साल से प्लास्टिक सहित अन्य तरह का कचरा सीमेंट फैक्टरियों को ईंधन के लिए दिया जा रहा है। देश भर में जिस सिंगल यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल पर जुलाई माह में रोक लगाई गई है लेकिन प्लास्टिक के उपयोग में कमी के साथ सुरक्षित तरीके से निस्तारण के लिए इंदौर पिछले आठ सालों से कर रहा है।
मालूम हो कि प्लास्टिक कचरा प्रबंधन नियम के अंतर्गत ये बैन कुल 19 वस्तुओं पर लगा है। प्रतिबंध लगने के बाद देशभर में कंपनियां स्ट्रॉ से बने प्रोडक्ट को बाजार में नहीं बेच पाएंगी। घरों से इकट्ठा किए जाने वाले छह प्रकार के कचरे में से अनुपयोगी प्लास्टिक कचरे को अलग कर उसके निस्तारण की प्रक्रिया की जाती है। सिंगल यूज प्लास्टिक व मल्टी लेयर प्लास्टिक को पुन: उपयोग के लिए रिसाइकिल करना काफी मुश्किल होता है। जब यह सूखे कचरे के साथ मिलकर आता है तो इसकी छंटाई भी नहीं हो पाती है। ऐसे में ट्रेचिंग ग्राउंड पर पहुंच रहे 400 टन सूखे कचरे में शामिल अनुपयोगी प्लास्टिक, कपड़ा, पेपर, आदि करीब 120 टन सामग्री प्रतिदिन इंदौर से सीमेंट फैक्टरियों को भेजा जाता है।
जानकारी हो कि नगर निगम द्वारा शहरवासियों से एकत्र किया 400 टन कचरा नेप्रा कंपनी को दिया जाता है। कंपनी निगम प्रतिवर्ष डेढ़ करोड़ रुपये इसके बदले में दे रही है। नेप्रा कंपनी द्वारा प्रतिदिन 10 ट्रक के माध्यम के प्लास्टिक के साथ मिक्स अनुपयोगी 120 टन कचरा मप्र की धार, नीमच व राजस्थान के चितौड़गढ़ सहित अन्य शहरों की सीमेंट फैक्टरियों को ईंधन के उपयोग के लिए भेजा जाता है। इसे फैक्टरियों में 1300 डिग्री सेल्सियस पर जलाया जाता है। नगर निगम द्वारा करीब एक साल पहले डोर टू डोर कचरा एकत्र करने वाले वाहनों के माध्यम से गीले व सूखे कचरे के साथ छह तरह का कचरा जिसमें प्लास्टिक भी शामिल है, उसे भी अलग से लेना शुरू किया गया।
ह्यूमन मेट्रिक्स एनजीओ के संचालन कैप्टन के मुताबिक हम जीरो वेस्ट वार्ड से जो सूखा कचरा एकत्र करते हैं। उसमें से मैगी, बिस्किट के रैपर सहित मल्टी लेयर प्लास्टिक को रैगपिकर्स के माध्यम से छांटा जाता है। इस तरह के प्लास्टिक को बारीक काटकर उसका बुरादा बनाया जाता है। इसे हमें डामर की रोड बनाने वाली एजेंसियों को देते है। पिछले एक साल में 15 से 20 टन इस तरह के प्लास्टिक का रोड निर्माण व पेंचवर्क के लिए दिया है।
जानकारी हो कि केमिकल व हानिकारक उत्पाद बनाने वाली फैक्टरियां अपना कचरा सीमेंट फैक्टरियों को देती है तो उसके बदले में कुछ राशि भी देती है। यही वजह है कि सीमेंट फैक्टरियां आसानी से हमसे मिक्स कचरा लेने को तैयार नहीं होती। सीमेंट फैक्टरियों से इस कचरे को ईंधन के रुप में इस्तेमाल करने की गुजारिश करना पड़ती है। प्लास्टिक के साथ इस मिक्स कचरे में सिंगल यूज प्लास्टिक में शामिल ईयर बड की स्ट्रा, कटलरी व प्लास्टिक की चम्मच जैसी कई चीजें भी शामिल होती है। मालूम हो कि बैन हुई वस्तुओं में थर्माकोल से बनी प्लेट, कप, गिलास, सिगरेट पैकेट की फिल्म, प्लास्टिक के झंडे, कटलरी जैसे कांटे, चम्मच, चाकू, पुआल, ट्रे, मिठाई के बक्सों पर लपेटी जाने वाली फिल्म, निमंत्रण कार्ड, गुब्बारे की छड़ें और आइसक्रीम पर लगने वाली स्टिक, क्रीम, कैंडी स्टिक और 100 माइक्रोन से कम के बैनर शामिल हैं।
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