Work From Home से बढ़ी बीमारियां, डाक्टर ने कहा- भयंकर हो सकते हैं परिणाम
कोरोना के कारण लोग वर्क फ्राम होम कर रहे हैं और सुबह से शाम तक मोबाइल और लैपटाप पर नजरें गड़ाये रहते हैं जिसकी वजह से लोग कंप्यूटर विजन सिंड्रोम के शिकार हो गए हैं। अस्पतालों में करीब 50 से 60 फीसदी लोग ऐसी शिकायतें लेकर पहुंच रहे हैं।

ग्वालियर, जेएनएन। कोरोना के खौफ ने लोगों को घरों में कैद कर दिया है। इस दौरान कई लोगों की नौकरी चली गई और कई लोगों को वर्क फ्राम होम करने को मजबूर होना पड़ा। बच्चों के स्कूल भी मोबाइल से आनलाइन चलते हैं। सुबह से शाम तक मोबाइल और लैपटाप पर काम करने वाले लोग बीमारियों की वजह बनते जा रहे हैं। बच्चों के साथ-साथ बड़े भी कंप्यूटर विजन सिंड्रोम के शिकार हो गए हैं। घंटों स्क्रीन पर घूरने से आंखों में सूखापन की शिकायत बढ़ गई है। जिसके कारण आंखों में दर्द, खुजली, लालिमा, दृष्टि की हानि और मांसपेशियों में कमजोरी होती है। इन शिकायतों को लेकर जेएएच, जिला व निजी अस्पतालों में करीब 50 से 60 फीसदी लोग पहुंच रहे हैं। डाक्टरों का कहना है कि अगर लोग इसी तरह गैजेट का इस्तेमाल करते रहे तो आने वाले समय में उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।
पलक कम झपकना
नेत्र रोग विशेषज्ञों का कहना है कि एक व्यक्ति एक मिनट में 17 से 20 बार झपकाता है। पलक झपकने से आंखों में आंसू आ जाते हैं और आंसू आंखों में नमी बनाए रखते हैं और आंसुओं से एक तस्वीर बनती है। आंखों को दूर-दूर घुमाने से मांसपेशियों में स्नेहन/मांसपेशियों के हिलने-डुलने पर पानी छोड़ना जिससे उनमें सूखापन न हो/जिससे वे मज़बूत हो जाती है। लेकिन जब आंखें एक ही जगह/गैजेट/निर्धारित दूरी पर ज्यादा देर तक रहती हैं तो आंखों में चिकनाई नहीं आती और आंखों में सूखापन आने लगता है, क्योंकि इस दौरान पलकों का झपकना काफी कम हो जाता है।
ओपीडी में वृद्धि
डाक्टर का कहना है कि कोविड में लोग अपने घरों में रहे। लाकडाउन में मोबाइल, लैपटाप से लेकर टीवी तक उनकी दिनचर्या का हिस्सा बन गया। आनलाइन क्लास और वर्क फ्राम होम हुआ, पिछले 8 महीने से मरीज इन समस्याओं को लेकर पहुंच रहे हैं। बच्चों की ओपीडी में 60 फीसदी और वयस्कों के 30 फीसदी मरीजों को यह समस्या होती है।
ऐसे करें रोग से बचाव
पलकों की मसाज करें- कार्य के बीच में आरामदायक स्थिति में बैठकर आंखों को बंद करें। दोनों हथेलियों को आपस में रगड़कर ऊर्जा पैदा करते हुए बंद आंखों पर रखें। कुछ समय के लिए पलकों व भौहों की मसाज करें। इससे आंखों की थकान दूर होती है खून कां संचार ठीक रहता है और मांसपेशियों को आराम मिलता है।
हर बीस मिनट में काम बंद करो- फोन, लैपटाप, टीवी देखते समय ज्यादा देर तक पलक न झपकाएं। स्क्रीन पर घूरने से आंखों में आंसू सूख जाते हैं और आंखों के सामने धुंधलापन नजर आने लगती है। इसलिए हर पांच सेकेंड के अंतराल पर कम से कम दो मिनट तक बिना रुके पलकें झपकाएं, आंखें बंद करें और कुछ सेकेंड बाद धीरे-धीरे खोलें। इस प्रक्रिया को दिन में 5 बार करने से आंखों की थकान और तनाव दूर होता है। अगर लगातार काम कर रहे हैं तो हर बीस मिनट में दो मिनट का ब्रेक लें।
पेंसिल पुशअप्स करें- आंखों की मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए पेंसिल पुशअप्स का अभ्यास किया जा सकता है। पेंसिल या पेन को आंख के सामने हाथ की दूरी पर पकड़ें, उसकी नोंक पर देखें और टिप दो दिखाई देने तक करीब लाएं। जब दो न दिखे, तो उन्हें दूर ले जाएं, 12-15 बार करने से मांसपेशियां मजबूत होती हैं।
क्या कहना है डाक्टरों का
-गैजेट पर लंबे समय तक काम करने से आंखों में सूखापन, बच्चों के चश्मे की संख्या भी बढ़ गई। घर में रहने से शारीरिक, मानसिक, कमजोरी और आंखों की समस्या बढ़ गई है। कोविड के बाद ओपीडी में ऐसे मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है।
डा. डीके शाक्य, विभागाध्यक्ष, जयरोग्य अस्पताल
-स्क्रीन पर नजर गढ़ाने से लुब्रिकेशन नहीं हो पाता और आंखों में सूखापन आ जाता है जिससे जलन, खुजली, दर्द, मांसपेशियों में कमजोरी आदि की शिकायत बढ़ जाती है। 60 प्रतिशत बच्चे इस शिकायत के साथ आ रहे हैं।
डा प्रियंवदा भसीन, नेत्र रोग विशेषज्ञ और आईएमए के अध्यक्ष
गैजेट्स के ज्यादा इस्तेमाल से आंखों की कई समस्याएं बढ़ गई हैं, ओपीडी में आने वाले 50 फीसदी मरीजों को आंखों में सूखापन की समस्या होती है। कोविड में लोगों घर पर रहे और लंबे समय से गैजेट का इस्तेमाल करने से यह समस्या पैदा हो गई है।
डा. गजराज सिंह गुर्जर, नेत्र रोग विशेषज्ञ, जिला अस्पताल
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