Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Madhya Pradesh: गांजे को शिव बूटी बताने पर ट्वीटर पर घिरे दिग्विजय के भाई लक्ष्मण सिंह

    By Sachin Kumar MishraEdited By:
    Updated: Mon, 02 May 2022 09:22 PM (IST)

    Madhya Pradesh दिग्विजय सिंह के छोटे भाई और कांग्रेस विधायक लक्ष्मण सिंह अपने एक ट्वीट पर ऐसे घिरे कि उन्हें पल्ला झाड़ना पड़ा। दरअसल उन्होंने ट्वीट किया कि गांजा को दुर्भाग्यवश धर्म से जोड़ा जा रहा है शिव बूटी का नाम देकर।

    Hero Image
    गांजे को शिव बूटी बताने पर ट्वीटर पर घिरे दिग्विजय के भाई लक्ष्मण सिंह। फाइल फोटो

    भोपाल, जेएनएन। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के छोटे भाई और कांग्रेस विधायक लक्ष्मण सिंह अपने एक ट्वीट पर ऐसे घिरे कि उन्हें पल्ला झाड़ना पड़ा। दरअसल, उन्होंने ट्वीट किया कि 'गांजा को दुर्भाग्यवश धर्म से जोड़ा जा रहा है, 'शिव बूटी' का नाम देकर। यही कारण है इसका सेवन अत्यधिक बढ़ता जा रहा है, जिससे युवा बर्बाद हो रहे हैं। शास्त्रों के अनुसार, शिवजी ने अमृत मंथन में निकला विष पीया था, गांजा नहीं।' इसके जवाब में भाजपा प्रवक्ता डा. हितेष वाजपेयी ने कहा कि 'माननीय लक्ष्मण सिंह जी आपको शिवभक्तों के अपमान का कोई अधिकार नहीं है। आपने ईद पर मुसलमानों को 'खुश' करने के लिए यह बयान दिया होगा, परंतु यह घोर निंदनीय है। क्या विश्व के समस्त नशेड़ी शिव जी के उपासक ही हैं?' इसके बाद तो ट्वीटर पर गांजा के मुद्दे पर बहस छिड़ गई। वाजपेयी ने एक और ट्वीट कर गांजे में मौजूद तत्वों का रसायनिक विश्लेषण कर दिया।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    भाजपा नेता हितेष ने दिया जवाब तो लक्ष्मण बोले- आप बहुत ज्ञानी, आपका मुकाबला नहीं कर सकता
    वाजपेयी ने लिखा कि गांजे के पौधे में जो दो रसायन पाए जाते हैं, वो हैं टेट्राहाइड्रोकैनाबिनाल यानी टीएचसी और कैनाबिडाल यानी सीबीडी। गांजे में नशा टीएचसी की मौजूदगी के कारण होता है। कैनाबिडाल में नशे के कोई गुण नहीं हैं और इसके इस्तेमाल से किसी को नशे की लत नहीं लगती। आयुर्वेद में करीब 200 अलग-अलग जगहों में गांजे का जिक्र है। वाजपेयी ने फिर ट्वीट किया कि इस पौधे के मादक पदार्थ का नाम गांजा है। संस्कृत में इसे विजया कहते हैं। आयुर्वेद में इसके इस्तेमाल को बुरा नहीं माना जाता। कई आयुर्वेदिक दवाएं हैं, जिनमें न केवल विजया का इस्तेमाल किया जाता है बल्कि अफीम का भी इस्तेमाल होता है। ये इस बात पर निर्भर करता है कि आप इसे कैसे इस्तेमाल करते हैं और इसका इस्तेमाल कितना महत्वपूर्ण है। वाजपेयी यहीं नहीं रुके बल्कि उन्होंने यह भी बता दिया कि वैश्विक औसत के मुकाबले भारत में गांजे का इस्तेमाल कम है (3.9 प्रतिशत बनाम 1.9 प्रतिशत)। इसके मुकाबले भारत के लिए चिंता का विषय है अफीम से बनने वाला हेरोइन। इसलिए जबरदस्ती भगवान शिव को बदनाम मत करिए अपने आप को 'धर्म निरपेक्ष' दिखाने के चक्कर में महाराज!