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    'यहां 50 लाख बच्चों ने 5वीं तक सेब देखे नहीं होंगे...' NEP कार्यशाला में केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का बड़ा बयान

    Updated: Mon, 08 Dec 2025 01:25 AM (IST)

    भोपाल में राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर आयोजित कार्यशाला में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि मध्य प्रदेश में कई बच्चों ने सेब तक नहीं देख ...और पढ़ें

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    कार्यशाला को संबोधित करते केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान।

    डिजिटल डेस्क, भोपाल। मैं जिम्मेदारी के साथ कहता हूं कि मध्य प्रदेश में 50 लाख बच्चों ने पांचवीं क्लास तक सेब देखे नहीं होंगे। देखे होंगे तो बाजार में देखे होंगे, उन्हें इसे खाने का सौभाग्य नहीं है। अंजीर तो उनकी जिंदगी में 10वीं के बाद शायद ही आया हो। अनेक बच्चों को जब एक गिलास दूध चाहिए, तब नहीं मिलता हैं। इसको करेगा कौन? ये समाज को सोचने की जरूरत है। यह खरी-खरी बात केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने रविवार को कुशाभाऊ ठाकरे सभागार भोपाल में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 क्रियान्वयन, चुनौतियां और संभावनाएं विषय पर हुई कार्यशाला को संबोधित करते हुए कही।

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    बच्चों को अंजीर, काजू खिलाओ, कोई अब्दुल कलाम निकल सकता है

    प्रधान ने कार्यक्रम में मौजूद विधायक रामेश्वर शर्मा की तरफ देखते हुए कहा कि रामेश्वर शर्मा बड़े-बड़े भंडारे करते हैं। मेरा निवेदन है इस बार उनकी विधानसभा में हफ्ते में एक बार स्कूली बच्चों को अंजीर, काजू और एक बेसन का लड्डू मिल जाए। शायद उसके न्यूट्रिशनल इंपैक्ट से कोई अब्दुल कलाम निकल सकता है। एक गुलदस्ता 500 रुपये का आता है, इतने पैसों में दो किलो सेब आ जाएंगे। मैंने गुजरात में देखा था कि गुलदस्ता की जगह फलों की टोकरी देने की शुरुआत हुई थी। यही जनआंदोलन है, जनआंदोलन का मतलब नारे लगाना नहीं है।


    मैकाले की जगह भारतीय शिक्षा नीति की हो प्रमुखता

    केंद्रीय मंत्री प्रधान ने कहा कि नई शिक्षा नीति-2020 भारत की सभ्यता आधारित है। इस नीति का यह पांचवां साल है। 19वीं सदी में मैकाले ने भारत में अंग्रेजों के शासन को लंबे समय तक स्थायी बनाने के लिए जो रणनीति बनाई, उसमें सबसे पहले शिक्षा पर प्रयोग किया। 2035 तक मैकाले प्रणाली को 200 साल होंगे। हमें शायद अंग्रेजी भाषा से कोई परहेज नहीं है, लेकिन, क्या हमारे विचार की स्पष्टता मैकाले स्पिरिट पर होगी या भारतीयता पर। मैकाले की शिक्षा नीति की जगह भारतीय शिक्षा नीति की प्रमुखता हो। प्रधान ने मुख्यमंत्री डा मोहन यादव की ओर इशारा करते हुए कहा कि मैं एवरेज स्टूडेंट हूं, मोहन यादव अच्छे विद्यार्थी। मोहन जी डाक्टर है मैं सामान्य हूं।

    उन्होंने कहा कि मप्र ऐसी प्रयोगशाला है जहां सनातन हिंदू धर्म का बहुत बड़ा व्याख्यान हुआ। बुद्धिज्म, जैनिज्म का भी व्याख्यान हुआ है और यहां मुगलों का इंपैक्ट भी आया। मप्र में काल गणना के आधे बिंदु महाकाल है। यहां के तालाब यह बताते हैं कि 100 साल पहले इंजीनियर कालेज नहीं था तब भी मध्य प्रदेश में विज्ञान था।

    हमें एआई आधारित शिक्षा पर जोर देना होगा

    केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि आंगनबाड़ी, स्कूल, कालेज, आईटीआई, स्किल ट्रेनिंग के छात्रों को मिलाएं तो मप्र की आधी आबादी शून्य से 25 वर्ष आयु वर्ग में हैं। इन्ही से हमारी शिक्षा नीति जुड़ी है। इसी आयु वर्ग की आधी आबादी आगामी 25 साल तक रहेगी। मप्र की आधी आबादी को 21वीं सदी लायक बनाना है तो हमें एआई आधारित शिक्षा पर जोर देना होगा। मैं प्रतिदिन एआई का प्रयोग करता हूं। मप्र एआई आधारित शिक्षा में अग्रणी होना चाहिए। क्योंकि मप्र के पास ज्ञान के अथाह भंडार है, लेकिन हिंदी में, लोकभाषा और लोक कथा में है। यह जब तक एआई में नहीं पहुंचेगा, जब यह ज्ञान दुनिया तक नहीं पहुंच पाएगा।

    आंगनबाड़ी से लेकर उच्च शिक्षा तक आठ लाख शिक्षकों को एआई से जोड़कर दक्ष करना होगा। क्वांटम कंप्यूटिंग पर अच्छा काम करना होगा। ड्राप आउट बच्चों को 12वीं तक की शिक्षा देना अनिवार्य करना होगा। शिक्षा को जनांदोलन बनाना पड़ेगा, रिसर्च को बढ़ावा देना होगा, पड़ेंगे तो बढ़ेंगे।

    प्रधान ने कहा कि अभी भी 60 प्रतिशत बच्चे परख में एवरेज में आए हैं। 40 प्रतिशत बच्चे अभी भी बाकी हैं। इतिहास और सामाजिक विषय को पाठ्यक्रम में मप्र आधारित करना होगा। भारतीय भाषा में मध्य प्रदेश में सबसे बड़ी प्रयोगशाला होनी चाहिए।

    इस दौरान कार्यक्रम में राज्यपाल मंगू भाई पटेल, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार, स्कूल शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह, राज्यमंत्री कृष्णा गौर, विधायक रामेश्वर शर्मा, भगवानदास सबनानी और शिक्षा विभाग के अधिकारी मौजूद थे।

    NEP-2020 के क्रियान्वयन में मप्र, देश में अग्रणी : मुख्यमंत्री

    कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने कहा है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के क्रियान्वयन में मप्र, देश में अग्रणी है। प्रदेश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति को केवल शैक्षणिक सुधार न मानकर राज्य के कौशल, नवाचार और सांस्कृतिक पुनर्जागरण से जोड़ा है। गुरु के रूप में महर्षि विश्वामित्र ने श्रीराम की दक्षता क्षमता को निखारने में योगदान दिया। जिसके बल पर पर प्रभु श्रीराम ने स्वयंवर और रावण वध पर अपने पराक्रम और पुरुषार्थ का परिचय दिया। भगवान श्रीकृष्ण के विराट स्वरूप में भी आचार्य सांदीपनि का योगदान रहा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने युवाओं के लिए अपनी क्षमताओं को निखारने और उन्हें विस्तार देने के व्यापक आयाम दिए हैं। गर्व का विषय है कि प्रदेश के इंदौर और रतलाम के सांदीपनि विद्यालयों को वैश्विक स्तर पर सराहा गया है।

    राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा कि मध्यप्रदेश को शिक्षा–परिवर्तन की दिशा में देश का अग्रणी राज्य बनाने के लिए नीति की दिशा, लक्ष्य और समन्वित कार्य–संस्कृति के द्वारा प्रयास करने होंगे। सोच से ही बदलाव होता है। बच्चों को स्कूल भेजकर उन्हें शिक्षकों की जिम्मेदारी मानना उचित नहीं है। बच्चों के विकास में पालकों का भी दायित्व महत्वपूर्ण है।