बैतूल में मेगा साइबर फ्रॉड, सात ग्रामीणों के खातों से नौ करोड़ 84 लाख की हेराफेरी, बैंककर्मी समेत तीन गिरफ्तार
बैतूल पुलिस ने साइबर अपराध गिरोह का पर्दाफाश किया, जो बैंक कर्मचारी की मदद से ग्रामीणों के निष्क्रिय खातों में ठगी की रकम घुमा रहा था। इस गिरोह ने 7 खातों में 9.84 करोड़ रुपये का लेनदेन किया। पुलिस ने तीन सदस्यों को गिरफ्तार कर डिजिटल उपकरण जब्त किए। जांच में पता चला कि मृतक के खाते से भी हेराफेरी की गई।

साइबर ठगी करने वाले गिरोह को पकड़ने की जानकारी देते पुलिस अधीक्षक वीरेंद्र जैन।
डिजिटल डेस्क, भोपाल। बैतूल में साइबर अपराधों की नई परतें खोलते हुए कोतवाली पुलिस ने एक ऐसे गिरोह का भंडाफोड़ किया है, जो ऑनलाइन ठगी से मिली राशि को बैंक कर्मचारी की मदद से ग्रामीणों के निष्क्रिय खातों में घुमा-फिराकर निकाल रहा था। गिरोह ने बैंक ऑफ महाराष्ट्र की खेड़ी सांवलीगढ़ शाखा के 7 खातों में 9 करोड़ 84 लाख 95 हजार रुपये का लेनदेन किया था। पुलिस ने गिरोह के तीन सदस्यों को गिरफ्तार कर भारी मात्रा में डिजिटल उपकरण और बैंकिंग डॉक्युमेंट जब्त किए हैं।
ऐसे खुला घोटाला
शिकायत की शुरुआत 14 अक्टूबर 2025 को तब हुई, जब ग्राम कनारा के मजदूर बिसराम इवने ने अपने जन-धन खाते में 2 करोड़ रुपये से अधिक का ट्रांजेक्शन देखकर पुलिस को सूचना दी। जांच में सामने आया कि जून 2025 से अब तक उसके खाते से करीब 1.5 करोड़ रुपये का अवैध लेनदेन किया गया है।
इसके बाद पुलिस ने अन्य संदिग्ध खातों की जांच की, जिसमें कुल 7 खातों में 9.84 करोड़ रुपये से ज्यादा की हेराफेरी का खुलासा हुआ। खाताधारक—बिसराम, नर्मदा इवने, मुकेश उइके, नितेश उइके, राजेश बर्डे, अमोल और चंदन— इन सभी के खातों का उपयोग ठगी की रकम जमा-निकासी के लिए किया जा रहा था।
बैंक कर्मचारी ने उगला राज
गिरफ्तार अस्थायी बैंक कर्मचारी राजा उर्फ आयुष चौहान ने खुलासा किया कि वह ऐसे खातों की जानकारी इंदौर के सरगना को देता था, जिनमें लंबे समय से लेनदेन नहीं हुआ था।
जांच में चौंकाने वाला तथ्य सामने आया कि खाताधारक राजेश बर्डे की मृत्यु के बाद भी उसका खाता सक्रिय रखा गया। आरोपियों ने मोबाइल नंबर बदलकर नया ATM कार्ड जारी कराया, इंटरनेट बैंकिंग सक्रिय कर OTP तक हासिल कर लिया।
इंदौर से दबोचे गए दो मुख्य आरोपी
पुलिस टीम ने इंदौर के नंदानगर से सरगना अंकित राजपूत (32) और उसके साथी नरेंद्र सिंह राजपूत (24) को पकड़ा।
कार्रवाई में बरामद हुआ
- 15 मोबाइल
- 25 सिम
- 21 ATM कार्ड
- 11 पासबुक
- 7 चेकबुक
- 2 POS मशीन
- 2 लैपटॉप
- 69 ATM जमा रसीदें
- ₹28,000 नकद
- रजिस्टर और डायरी
इन तरीकों से करते थे ठगी
गिरोह निम्न माध्यमों से पीड़ितों को फंसाता था—
- गेमिंग एप
- बेटिंग एप
- क्रिप्टो फ्रॉड
- फिशिंग
- अन्य ऑनलाइन स्कैम
इसके बाद राशि ग्रामीणों के खातों में भेजकर ATM, POS और बैंकिंग माध्यमों से निकाल ली जाती थी।
‘किट ट्रांसफर’ मॉडल से चलता था खेल
बैंक कर्मचारी खाते की गोपनीय जानकारी, सिम, ATM, पासबुक और चेकबुक को एक किट के रूप में तैयार कर बस से इंदौर भेजता था। वहां गिरोह इनका इस्तेमाल कर बड़ी हेराफेरी करता था।
देशभर में ब्लॉक हुए फ्रॉड खाते
शिकायतों के बाद जिन खातों से लेनदेन हो रहा था, उनमें से कई अलग-अलग राज्यों में बंद कराए गए—
नर्मदा इवने: बेंगलुरु
राजेश बर्डे: अहमदनगर
मुकेश: हरियाणा
अमोल: मुंबई
गिरोह में किसकी क्या भूमिका
राजा उर्फ आयुष चौहान (बैंक कर्मचारी)
- पासबुक अपडेट करने के बहाने ग्राहकों की गोपनीय जानकारी निकालता था।
- मृत तथा निष्क्रिय खातों का डेटा गिरोह को देता था।
अंकित राजपूत (सरगना)
- ATM, पासबुक, चेकबुक रखकर ट्रांजेक्शन ऑपरेट करता था।
- ऑनलाइन ठगी की राशि को घुमा-फिराकर निकालने का मास्टरमाइंड।
नरेंद्र राजपूत
ATM और अन्य माध्यमों से कैश निकासी करने वाला सक्रिय सदस्य।

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