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    Kuno National Park में जल्‍द सुनाई देगी नन्‍हें चीतों की किलकारी, गर्भवती आशा का रखा जा रहा है खास ख्‍याल

    कुनो नेशनल पार्क (Kuno National Park) में दिवाली के बाद चीता शावकों की किलकारी सुनी जा सकती है। 17 सितंबर को पीएम नरेन्‍द्र मोदी (PM Narender Modi) ने नामीबिया (Namibia) से लाए गए चीतों को कुनो नेशनल पार्क में छोड़ा था।

    By Jagran NewsEdited By: Babita KashyapUpdated: Sat, 08 Oct 2022 07:03 AM (IST)
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    कुनो नेशनल पार्क में दिवाली बाद चीता शावकों की 'किलकारी' सुनी जा सकती है

    ग्‍वालियर, जागरण आनलाइन डेस्‍क। Kuno Palpur National Park: कुनो नेशनल पार्क में दिवाली (24 अक्टूबर) के बाद चीता शावकों की 'किलकारी' सुनी जा सकती है। यह उम्‍मीद नामीबिया (Namibia)से लाए गए आठ चीतों में से एक मादा चीता, आशा के लक्षणों को देखकर जतायी जा रही है। भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआइआइ) देहरादून डॉ. वाई.वी. झाला, डीन, वरिष्ठ वैज्ञानिक और चीता परियोजना के मुख्य सूत्रधार ने ये बात बतायी है। उन्होंने कहा कि आशा में दिख रहे शारीरिक परिवर्तन इस दिशा की ओर इशारा कर रहे हैं।

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    17 सितंबर को कुनो नेशनल पार्क में छोड़े गए थे चीते 

    17 सितंबर को पीएम नरेन्‍द्र मोदी ने नामीबिया से लाए गए चीतों को कुनो नेशनल पार्क में छोड़ा था। नामीबिया में भी इन चीतों को डेढ़ महीने से अधिक समय तक निगरानी में रखा गया था, इस दौरान आशा के गर्भवती होने के लक्षण विशेषज्ञों द्वारा देखे गए हैं।

    93 दिन का होता है गर्भकाल 

    डा. झाला से मिली जानकारी के अनुसार मादा चीता का औसत गर्भकाल 93 दिनों का होता है। ऐसी उम्‍मीद जतायी जा रही है कि अक्टूबर अंत या नवंबर की शुरुआत में आशा शावकों को जन्म देंगी। वहीं कूनो में आशा का काफी ख्याल रखा जा रहा है, उसे एकांत में रखा गया है।

    नर चीतों से रखा जाएगा दूर  

    नामबिया से लाए गए इन चीतों को दो दिन में एक बार भैंस का मांस दिया जा रहा था, लेकिन आशा  के गर्भवती होने के कारण उसे रोज मांस दिया जा रहा है। कूनो प्रबंधन के मुताबिक जरूरत पड़ने पर इसके लिए अलग से बड़ा बाड़ा मुहैया कराया जाएगा, जहां सुरक्षा का पूरा अहसास हो। आशा को नर चीतों से भी दूर रखने के लिए कहा जा रहा है।

    जन्‍म के दस दिन बाद आंख खोलते हैं नन्‍हें शावक 

    विशेषज्ञों ने बताया कि चीता शावकों की मृत्यु दर 90 प्रतिशत होती है, ऐसे में जन्म के बाद उनका विशेष ध्यान रखना होगा। इन शावकों का वजन मात्र 250 ग्राम होता है। जन्‍म लेने के दस दिन बाद तक भी शावक अपनी आंखें नहीं खोल पाते हैं, इसीलिए सामान्य परिस्थितियों में मांसाहारी वन्य जीव जैसे तेंदुआ, लकड़बग्घा, जंगली कुत्ता, भालू आदि इन्हें अपना शिकार बना लेते हैं। हालांकि कूनो के क्वारंटाइन बाड़े काफी सुरक्षित हैं और अब यहां निगरानी और बढ़ा दी गई है।

    17 अक्‍टूबर से शिकार करने लगेंगे चीते

    कूनो के डीएफओ पीके वर्मा का कहना है कि ऐसी संभावना है कि 17 अक्टूबर को चीतों को भी छोटे-छोटे बाड़ों से हटाकर 17 वर्ग किलोमीटर के बड़े बाड़े में पहुंचा दिया जाएगा। इन बाड़ों में चीतल, सांभर, हिरण, खरगोश आदि शाकाहारी जीव पाए जाते हैं, जिनका शिकार करने से चीते का पेट भरना शुरू हो जाएगा।

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