सफर में दिल का दौरा पड़ने पर संकटमोचक बनेंगे बाइक राइडर्स, एम्स भोपाल की सार्थक पहल
भोपाल में स्वास्थ्य विभाग और एम्स मिलकर बाइक टैक्सी चालकों को संकटमोचक बनाने के लिए प्रशिक्षण दे रहे हैं। उन्हें प्राथमिक उपचार और सीपीआर का प्रशिक्षण दिया जा रहा है ताकि वे हार्ट अटैक और सड़क दुर्घटना में घायलों की जान बचा सकें। एम्स के विशेषज्ञों ने 65 बाइक टैक्सी पर्यवेक्षकों को प्रशिक्षित किया है जो आगे राइडरों को प्रशिक्षित करेंगे।

अमित मिश्र, भोपाल। खेलते-चलते कार्डियक अरेस्ट से हो रही मौतों और सड़क हादसों में घायलों की मौत को रोकने के लिए मध्य प्रदेश में थोड़ा हटकर पहलकदमी हो रही है। स्वास्थ्य विभाग और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ने एक गैर सरकारी संगठन से मिलकर बाइक टैक्सी वालों को संकट मोचक के तौर पर तैयार करना शुरू किया है। एम्स भोपाल उन्हें प्राथमिक उपचार और सीपीआर यानी कार्डियो पल्मोनरी रिससिटेशन का प्रशिक्षण दे रहा है ताकि जरूरत पड़ने पर वे किसी की जान बचा सकें।
एम्स के विशेषज्ञों ने पिछले दिनों 65 बाइक टैक्सी कैप्टंस यानी पर्यवेक्षकों को इसका प्रशिक्षण दिया है। उनसे अपेक्षा की गई है कि वे लोग अपने राइडरों को इसमें प्रशिक्षित करेंगे। स्वास्थ्य विभाग इस तरह का प्रशिक्षण दूसरे शहरों में भी आयोजित करने की योजना पर काम कर रहा है। कोशिश है कि अधिक से अधिक राइडर को आपातकालीन स्थितियों में जान बचाने का प्रशिक्षण देकर तैयार रखा जाए।
इस तरह प्रदेश में ओला, उबर, रैपिडो जैसी टैक्सी सेवाओं के राइडर भी जरूरत पड़ने पर जीवन बचाने का काम कर पाएंगे। एम्स के विशेषज्ञ डा. बीएल सोनी बताते हैं कि हार्ट अटैक के बाद पहले 15 मिनट सबसे महत्वपूर्ण होते हैं। इस दौरान सीपीआर मिलने से मौत की आशंका 50 प्रतिशत तक कम हो जाती है।
अधिकारियों का कहना है कि पुलिस और यातायात पुलिस को सीपीआर और प्राथमिक उपचार का प्रशिक्षण पहले से चल रहा है। बाइक टैक्सी के बढ़ते नेटवर्क से यह समझ में आया कि ये लोग शहर के हर हिस्से में मौजूद होते हैं। उनके नेटवर्क का इस्तेमाल किया जाए तो जरूरतमंद लोगों तक प्रशिक्षित व्यक्ति की मदद शीघ्रता से पहुंचेगी। ऐसे में बाइक टैक्सी वालों को प्राथमिकता से प्रशिक्षण देने का काम शुरू हुआ है।
एम्स के विशेषज्ञों से प्रशिक्षण लेने वाले पहले बैच में रहे रैपिडो के सिटी हेड अनीश खान का कहना है कि उन्होंने अपनी टीम को प्रशिक्षित करना शुरू कर दिया है। जल्दी ही 30-30 का समूह बनाकर कार्यशाला करेंगे ताकि उनको आपातकालीन स्थिति का व्यावहारिक ज्ञान हो सके। अनीश कहते हैं कि अभी तक उनके सामने ऐसी नौबत नहीं आई है, लेकिन ऐसी स्थिति से निपटने के लिए उनकी टीम तैयार है। जल्दी ही यह टीम और बड़ी हो जाएगी।
इस तरह का प्रशिक्षण
कार्डियक अरेस्ट की स्थिति में व्यक्ति को पीठ के बल लिटाकर उसके सीने पर दोनों हाथों से 100-120 बार प्रति मिनट की दर से दो इंच गहरा दबाव देना है। हर 30 दबाव के बाद पीड़ित को कृत्रिम सांस देना जरूरी होता है। यह प्रक्रिया दो लोगों की मदद से बेहतर तरीके से की जा सकती है। इससे व्यक्ति की धड़कनें फिर से शुरू हो सकती हैं। धड़कने शुरू होने पर यथाशीघ्र नजदीकी अस्पताल पहुंचाने की व्यवस्था करनी है।
इनका कहना है
रेंटल बाइक राइडर्स शहरभर में सक्रिय रहते हैं।सड़क दुर्घटना या हार्ट अटैक के समय वे सबसे पहले मदद पहुंचा सकते हैं। इस तरह का प्रशिक्षण कार्यक्रम जारी रहेगा ताकि और अधिक लोग प्रशिक्षित होकर जरूरतमंदों की जान बचा सकें।
डा अजय सिंह , कार्यकारी निदेशक, एम्स भोपाल
भविष्य में हम इस तरह का प्रशिक्षण नगर निगम कर्मियों, स्कूल-कालेज के शिक्षकों, विद्यार्थियों और सार्वजनिक परिवहन कर्मियों को भी देने जा रहे हैं। यदि हर व्यक्ति बेसिक सीपीआर जान जाए, तो हम हर साल हजारों जान बचा सकते हैं।
डा. मनीष शर्मा, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, भोपाल
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