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    भोपाल में नसबंदी के दौरान महिला की संदिग्ध मौत, डेढ़ साल से न्याय की लड़ाई लड़ रहा पति, पुलिस जांच अब भी अधर में

    Updated: Thu, 27 Nov 2025 12:20 PM (IST)

    भोपाल के काटजू अस्पताल में नसबंदी ऑपरेशन के दौरान एक महिला की संदिग्ध मौत हो गई। 18 महीने बाद भी पुलिस जांच अधर में है। मृतका के पति अविनाश गौर न्याय के लिए भटक रहे हैं। कोर्ट के आदेश के बावजूद, पुलिस आरोपियों को नोटिस तक नहीं भेज पाई है, जिससे जांच में देरी हो रही है। पोस्टमार्टम के बाद भी मौत का कारण स्पष्ट नहीं है। पुलिस का कहना है कि जांच जारी है और जल्द ही चालान पेश किया जाएगा।

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    महिला की संदिग्ध मौत (प्रतीकात्मक चित्र)

    डिजिटल डेस्क, भोपाल। काटजू अस्पताल में नसबंदी ऑपरेशन के दौरान हुई महिला की संदिग्ध मौत का मामला 18 महीने बाद भी पुलिस जांच और न्यायिक प्रक्रिया में उलझा हुआ है। मृतका के पति अविनाश गौर अब भी अपनी पत्नी के लिए न्याय की मांग में दर-दर भटकने को मजबूर हैं। कोर्ट के स्पष्ट आदेश के बावजूद पुलिस अभी तक आरोपितों को नोटिस तक पहुंचाने में नाकाम रही है।

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    न जांच पूरी, न चालान तैयार

    14 मई 2024 को विद्यानगर निवासी व्यापारी अविनाश गौर की पत्नी रीना गौर नसबंदी के लिए टीटीनगर स्थित काटजू अस्पताल में भर्ती हुई थीं। सभी जरूरी मेडिकल जांचों के बाद उन्हें दोपहर एक बजे ऑपरेशन थिएटर ले जाया गया। इसी दौरान अविनाश बच्चों को घर छोड़ने गए। थोड़ी देर बाद अस्पताल से फोन आया, और जब तक वे लौटे— रीना की मौत हो चुकी थी।

    अविनाश का आरोप है कि डॉक्टरों ने हड़बड़ी में उनसे कुछ कागजों पर हस्ताक्षर करवाए। जब उन्होंने पुलिस को सूचना दी तो अलग-अलग थानों के चक्कर कटवाए गए। पोस्टमार्टम कराया गया, लेकिन अस्पताल की कथित मिलीभगत के चलते बिसरा सुरक्षित नहीं रखा गया, जिससे मौत का वास्तविक कारण आज तक स्पष्ट नहीं हो सका। RTI डालने पर भी कोई जवाब नहीं मिला।

    कोर्ट ने लगाई फटकार

    अविनाश की शिकायत पर पुलिस ने शुरुआत में FIR दर्ज करने से ही इंकार कर दिया। छह महीने की जद्दोजहद के बाद कोर्ट ने FIR दर्ज करने का आदेश दिया। कोर्ट ने ऑपरेशन करने वाली डॉक्टर सुनंदा जैन, अस्पताल अधीक्षक कर्नल प्रवीण सिंह, मेडिकल ऑफिसर केलू ग्रेवाल, निश्चेतना विशेषज्ञ और पैरामेडिकल स्टाफ को आरोपी बनाया।

    हालांकि पुलिस ने जनवरी में केस दर्ज किया, लेकिन दस महीने बाद भी डॉक्टर सुनंदा को छोड़ किसी भी आरोपी को नोटिस तक नहीं भेजा गया।

    पुलिस की सफाई

    जांच अधिकारी एसआई प्रीतम सिंह ने बताया कि अधीक्षक कर्नल प्रवीण अक्सर स्वास्थ्य कारणों से दिल्ली में रहते हैं, इसलिए नोटिस नहीं भेजा जा सका। मेडिकल ऑफिसर केलू ग्रेवाल के मामले में मेडिकल बोर्ड से पत्राचार लंबित है। अस्पताल में उस दिन मौजूद पैरामेडिकल व लैब स्टाफ की पहचान तक अब तक नहीं हो पाई है।

    जांच जल्द निपटाने का दावा

    इस संदर्भ में एसीपी टीटीनगर अंकिता खातरकर ने कहा कि मेडिकल बोर्ड और अन्य स्तरों पर जांच जारी है, और जल्द ही चालान तैयार कर अदालत में प्रस्तुत किया जाएगा।