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    भोपाल में फर्जी स्टांप रैकेट का भंडाफोड, 30 साल से चला रहे थे गोरखधंधा, मृत वकीलों की मुहरों का भी इस्तेमाल

    Updated: Thu, 20 Nov 2025 02:48 PM (IST)

    भोपाल पुलिस ने 30 साल से चल रहे फर्जी स्टाम्प कारोबार का भंडाफोड़ किया है। इस मामले में स्टाम्प वेंडरों, वकीलों और एक दलाल की मिलीभगत सामने आई है। दलाल पुराने स्टाम्पों के प्रिंट मिटाकर वेंडरों को बेचता था, जो वकीलों की मदद से उनका दोबारा इस्तेमाल करते थे। पुलिस ने 10 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है और लाखों रुपये के फर्जी स्टाम्प बरामद किए हैं।

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    कूटरचित स्टांप का इस्तेमाल।

    डिजिटल डेस्क, भोपाल। राजधानी में 30 वर्षों से चल रहे फर्जी स्टाम्प के कारोबार से बुधवार को एमपीनगर पुलिस ने पर्दा उठाया है, जिसमें स्टाम्प वेंडरों से लेकर वकील और एक ऐसा मास्टरमाइंड दलाल शामिल है, जो कि उपयोग किए गए स्टाम्पों के प्रिंट मिटाकर उन्हें दोबारा वेंडरों को बेचता था। वेंडर वकीलों की मदद से नोटरी में उनका धड़ल्ले से दोबारा उपयोग कर रहे थे। वे वकीलों की मिलीभगत के अलावा मृत वकीलों की मुहर का भी उपयोग कर रहे थे।

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    पुलिस ने तीन स्टाम्प वेंडर, दो वकील और दलाल समेत कुल दस लोगों के विरुद्ध केस दर्ज किया है। पुलिस ने दुकानों के कर्मचारी और दलाल को गिरफ्तार किया है, जबकि वकील व दुकान संचालक फरार हैं। आरोपितों के पास से लाखों रुपये कीमत के फर्जी पेपर स्टाम्प और स्टाम्प टिकट मिले हैं।

    ऐसे करते थे फर्जीवाड़ा

    एसीपी मनीष भारद्वाज ने खुलासा करते हुए बताया कि दस नंबर क्षेत्र निवासी आरिफ अफजल अली स्टाम्प का दलाल है और बीते 30 वर्षों से सक्रिय है। वह तीन दशक से फर्जी स्टाम्प बेचने का काम कर रहा है। आरोपित अफजल उपयोग किए गए स्टाम्प पेपरों का प्रिंट केमिकल से मिटाता था और उसे स्टाम्प वेंडरों तक पहुंचाता था।

    साथ ही वह इन पेपर स्टाम्प पर खुद भी नोटरी करता था। स्टाम्प पेपर के अलावा आरोपित स्टाम्प टिकट की भी कलर फोटो कापी कर उसे नोटरी के दस्तावेजों पर लगाता था। साथ ही स्टाम्प वेंडरों को मामूली कीमतों पर बेचता था।

    फर्जीवाड़े में ये शामिल

    फर्जी स्टाम्प के इस कारोबार में अवधपुरी निवासी विकास साहू, आकाश साहू और सुषमा साहू भी शामिल थे। तीनों आपस में रिश्तेदार हैं और अलग-अलग क्षेत्रों में स्टाम्पों की दुकान संचालित करते हैं। सुषमा साहू स्टाम्प वेंडर हैं, उनकी दुकान के कोरे स्टाम्प पेपर्स, हरे पेपर्स व सफेद पेपर्स पर वकील हेमेंद्र तिवारी और पवन प्रकाश शर्मा अपने हस्ताक्षर और मुहर लगाकर विकास और आकाश साहू के एएम इंटरप्राइजेस और गणेश प्रसाद लोंगरे व उनके बेटा रोहित लोंगरे द्वारा संचालित मामा चेंबर्स में भेजते थे।

    यहां से दोनों दुकान संचालक उन स्टाम्पों पर नोटरी कर देते थे। साथ ही उन पर उपयोग किए गए स्टाम्प टिकट चिपका देते थे। पुलिस ने दोनों वकीलों के विरुद्ध कोरे स्टाम्प पर हस्ताक्षर व सील लगाने का आरोप माना है। जबकि सुषमा पर ग्राहकों की आधार कार्ड समेत जरूरी जानकारी का रिकार्ड न रखने का आरोप लगाया है।

    स्टाम्प वेंडर आकाश व विकास बोर्ड आफिस के सामने सारनाथ कांप्लेक्स व पुरानी विधानसभा के सामने एएम इंटरप्राइजेस के नाम से दो दुकानें संचालित करते हैं। वहीं गणेश प्रसाद लोंगरे और उनका बेटा रोहित लोंगरे भी सारनाथ कांप्लेक्स में स्टाम्प की दुकान मामा चेम्बर्स के नाम से संचालित करते हैं। पुलिस ने एएम इंटरप्राइजेस में काम करने वाले प्रीतम प्रजापति, जतिन साहू व मामा चेम्बर्स के कर्मचारी नरेश सहरिया को भी आरोपित बनाया है। वे बीते एक साल से इनकी दुकान में काम कर रहे थे।

    फर्जी स्टांप के साथ मुहरें भी बरामद

    एसीपी भारद्वाज ने बताया कि पुलिस की अब तक की जांच में स्टाम्प वेडरों की दुकान से नोटरी की सील और स्टाम्प रजिस्टर मिले हैं। साथ ही दोनों तरह के फर्जी स्टाम्प भी जब्त किए गए हैं। इनमें कई वकीलों की सील शामिल है, पुलिस ने जब वकीलों से संपर्क किया तो किसी ने बताया कि उनके नाम का दुरुपयोग किया गया है, जिसकी उन्हें जानकारी नहीं थे, वे वकील वेंडरों के विरुद्ध शिकायत दर्ज करवाएंगे। वहीं एक वकील तो ऐसे भी हैं, जिनकी मौत कई साल पहले हो चुकी है और स्टाम्प वेंडर उनकी सील का उपयोग कर रहे थे।

    मनीष भारद्वाज ने बताया कि इस पूरे गिरोह का मास्टरमाइंड आरिफ है, जो कि बीते 30 साल से इस पूरे गिरोह को चला रहा था। पुलिस को उसके पास से 1000, 500 और 200 के फर्जी स्टाम्प टिकट मिले हैं। वहीं पुराने पेपर स्टाम्प उस तक कैसे पहुंचे, इसे लेकर पुलिस जांच कर रही है।