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Cheetah in MP: नामीबिया से कूनो आई चीता 'आशा' हुई गर्भवती, 70 साल बाद भारतभूमि पर होगा चीते का जन्‍म

नामीबिया से भारत लाये गए आठ चीतों में से एक माता चीता आशा गर्भवती है चीतों की निगरानी कर रही टीम के अधिकारियों ने उसमें गर्भवस्‍था के लक्षण दिखने की बात कही है। यह बात इसलिए भी इतनी महत्वपूर्ण है क्योंकि सत्तर साल बाद देश में चीते जन्‍म लेंगे।

By Jagran NewsEdited By: Babita KashyapPublished: Sat, 01 Oct 2022 01:55 PM (IST)Updated: Sat, 01 Oct 2022 01:55 PM (IST)
Cheetah in MP: नामीबिया से कूनो आई चीता 'आशा' हुई गर्भवती, 70 साल बाद भारतभूमि पर होगा चीते का जन्‍म
नामीबिया से आयी माता चीता आशा गर्भवती है

ग्‍वालियर, जागरण आनलाइन डेस्‍क। दो हफ्ते पहले नामीबिया से आठ चीते आये थे। मादा चीता को पीएम मोदी ने आशा नाम दिया था। अब आशा ने गर्भवती होकर इस प्रोजेक्‍ट की सफलता की पहली उम्‍मीद बांध दी है। चीतों की निगरानी करने वाली टीम के अधिकारियों के मुताबिक, आशा में एक गर्भवती मादा चीता वाले सभी लक्षण दिख रहे हैं। आशा की उम्र साढ़े तीन साल बतायी गई है।

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भारत को मिला दोहरा उपहार

नामीबिया से चीतों को भारत लाने में अहम भूमिका निभाने वाले चीता संरक्षण कोष के प्रमुख लॉरी मार्कर ने भी ऐसे संकेत दिए हैं। मार्कर ने बताया, चूंकि आशा नामीबिया में एक प्राकृतिक जंगली वातावरण में रहती थी, इसलिए उसने नामीबिया में ही गर्भधारण किया होगा। यह भारत के लिए दोहरे उपहार की तरह है।

मार्कर के अनुसार, आशा को गर्भकाल के दौरान पूरी तरह से शांत वातावरण की आवश्यकता होगी। लोगों को उसके आसपास जाने से रोका जाएगा। ताकि उसका तनाव कम हो सके और वह अच्छे चीतों को जन्म दे सके।

17 सितंबर को कुनो नेशनल पार्क में छोड़े गए थी चीते

गौरतलब है कि 17 सितंबर प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के जन्‍मदिवस पर को अफ्रीका के नामीबिया से 8 चीतों को श्योपुर के कुनो नेशनल पार्क में छोड़ा गया था। प्रधानमंत्री मोदी ने स्‍वयं उन्‍हें बाड़े में छोड़ा था।

इसके बाद उन्‍होंने मादा चीता को आशा नाम दिया था। इसके साथ ही अन्य चीतों के नाम रखने की प्रतियोगिता भी आयोजित की जा रही है। जिसमें देश के लोग अपनी पसंद से अन्‍य चीतों के नाम सुझाएंगे।

सात दशक बाद भारत की धरती पर जन्‍म लेंगे नन्‍हें चीते 

मादा चीता का नाम प्रधानमंत्री आशा ने दिया था। वही आशा अब गर्भवती बतायी गई है। उसके गर्भवती होने से आशा की किरण नजर आने लगी है। यह बात इसलिए भी इतनी महत्वपूर्ण है क्योंकि सत्तर साल बाद देश में चीते जन्‍म लेंगे। नन्‍हें चीतों के आगमन के लिए कुनो नेशनल पार्क भी पूरी तरह से तैयार है।

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