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    आजीविका मिशन घोटाला: तत्कालीन CEO ललित मोहन बेलवाल सहित तीन पर FIR

    Updated: Tue, 01 Apr 2025 08:03 PM (IST)

    आरोप है कि उन्होंने मार्गदर्शिका को गलत तरीके एचआर मैन्युअल के रूप में प्रस्तुत करने में भूमिका निभाई। नियुक्ति प्रक्रिया को प्रभावित करने फर्जी दस्ता ...और पढ़ें

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    राज्य आजीविका मिशन के तत्कालीन सीईओ ललित मोहन बेलवाल (File Photo)

    जेएनएन, भोपाल। राज्य आजीविका मिशन के तत्कालीन सीईओ ललित मोहन बेलवाल व दो अन्य के विरुद्ध आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) ने एफआईआर दर्ज की है। मिशन में प्रबंधकीय व अन्य पदों पर नियुक्तियों में फर्जीवाड़े के आरोप यह कार्रवाई की गई है। शिकायतकर्ता राजेश कुमार मिश्रा ने ईओडब्ल्यू में शिकायत सौंपी थी। इसमें आरोप लगाया गया था कि मिशन में वर्ष 2015 से 2018 के बीच की गईं नियुक्तियों तथा व्यय में व्यापक अनियमितताएं और भ्रष्टाचार किया गया है।

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    जांच एजेंसी ने फरवरी में इस मामले में प्रारंभिक जांच (पीई) कायम की थी। इसके बाद जांच में कई बड़ी गड़बड़ियां सामने आने पर अब एफआईआर दर्ज की गई है। इसमें बेलवाल के अतिरिक्त सुषमा रानी शुक्ला और विकास अवस्थी को भी आरोपित बनाया गया है। विकास अवस्थी उस समय मिशन में अतिरिक्त सीईओ थे।

    इस तरह की गड़बड़ी के आरोप

    • मानव संसाधन मार्गदर्शिका को अनुमोदित दर्शाने के बाद, उसी आधार पर राज्य, जिला और ब्लाक स्तर के पदों पर संविदा नियुक्तियां की गईं।
    • इन नियुक्तियों के लिए जो मापदंड निर्धारित किए गए- जैसे योग्यता, अनुभव, चयन पद्धति आदि वे मिशन कार्यालय स्तर पर ही बनाए गए, जबकि ऐसे मापदंडों को शासन से अनुमोदित कराना आवश्यक होता है।
    • कई पदों पर ऐसे अभ्यर्थियों को नियुक्तियां दी गईं जिनकी योग्यता या अनुभव न तो निर्धारित मानकों के अनुरूप थे, न ही वे पद के लिए उपयुक्त थे।
    • सुषमा रानी शुक्ला को नियुक्त करने के मात्र चार माह में अवैध तरीके से 70 हजार प्रतिमाह का मानदेय स्वीकृत किया गया।
    • अन्य कर्मचारियों को जिनके पास अपेक्षित अनुभव था, उन्हें यह लाभ नहीं दिया गया। इससे साफ है कि चयन और मानदेय निर्धारण की प्रक्रिया पक्षपातपूर्ण और चहेतों को लाभ देंने के उद्देश्य से की गई।

    एचआर मैन्युअल के रूप में प्रस्तुत

    मानव संसाधन नीति को छलपूर्वक एचआर मैन्युअल के रूप में प्रस्तुत किया जांच में यह भी पता चला है कि ललित मोहन बेलवाल द्वारा मप्र राज्य आजीविका मिशन की मानव संसाधन नीति (एचआर पॉलिसी) को बेईमानीपूर्वक एचआर मैन्युअल के रूप में प्रस्तुत किया गया, जबकि मैन्युअल को राज्य आजीविका फोरम द्वारा अनुमोदन प्राप्त नहीं था।

    27 मार्च 2015 को फोरम की कार्यकारिणी समिति की बैठक में केवल नीति को स्वीकृति दी गई थी। मैन्युअल का कोई उल्लेख नहीं था। इसके विपरीत बेलवाल द्वारा तैयार की गई नस्ती की नोटशीट में कूटरचित रूप से 'एचआर मैन्युअल' शब्द जोड़ा गया।

    कर्मचारियों के मानदेय में 40 प्रतिशत तक की वृद्धि

    सुषमा रानी शुक्ला की नियुक्ति में इस तरह की गड़बड़ियों का आरोप सुषमा रानी शुक्ला को आवश्यक अनुभव व योग्यता के बिना राज्य परियोजना प्रबंधक (सामुदायिक संस्थागत विकास) पद पर नियुक्त किया गया। संविदा नियुक्त कर्मचारियों के मानदेय में 40 प्रतिशत तक की वृद्धि दी गई, जबकि अन्य का मानदेय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के अनुसार बढ़ाया गया।

    विसंगतियां व कूटरचित दस्तावेज भी मिले

    नियुक्ति व वेतन निर्धारण में शासन के नियमों की अवहेलना की गई। इस पद के लिए निर्धारित योग्यता प्रतिष्ठित संस्थान से एमबीए या समकक्ष स्नातकोत्तर डिग्री और कम से कम 15 वर्ष का प्रासंगिक प्रबंधकीय अनुभव आवश्यक था। ईओडब्ल्यू की जांच में पता चला है कि उनके पास वांछित अनुभव नहीं था। अन्य विसंगतियां व कूटरचित दस्तावेज भी मिले हैं। अंतिम चयन सूची पर शासन से अनुमोदन लिए बिना उन्हें नियुक्त किया गया।

    विधानसभा में उठा था मामला

    विधानसभा के बजट सत्र में राज्यपाल के अभिभाषण पर कृतज्ञता ज्ञापन चर्चा के दौरान उप नेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे ने भी घोटाले को सदन में उठाया था। इसे एक्स पर पोस्ट कर उन्होंने कहा था कि आजीविका मिशन भर्ती घोटाला एक महाघोटाला है। इक़बाल सिंह बैस इस महाघोटाले के सरगना थे, उन्होंने नियमों को ताक पर रखकर यह नियुक्तियां करवाईं थी। यहां तक कि विभागीय मंत्री की नोटशीट को ताक पर रखकर उन्होंने नियुक्तियां करवाईं थी। इक़बाल सिंह बैस पर एफआईआर दर्ज होनी चाहिए।