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    बीजापुर में 51 माओवादी कैडरों ने किया सरेंडर, सरकार ने 66 लाख रुपये रखा था इनाम 

    Updated: Wed, 29 Oct 2025 06:38 PM (IST)

    छत्तीसगढ़ के बीजापुर में राज्य सरकार की 'पूना मारगेम' योजना के तहत 51 माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया, जिन पर कुल 66 लाख रुपये का इनाम था। आत्मसमर्पण करने वालों में पीएलजीए बटालियन के सदस्य भी शामिल हैं। वर्ष 2025 में अब तक 461 माओवादी मुख्यधारा में लौट चुके हैं। पुलिस अधीक्षक ने बाकी माओवादियों से भी समाज में लौटने की अपील की है।

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    51 माओवादियों का बीजापुर में आत्मसमर्पण। इमेज सोर्स- स्क्रीनग्रैब सोशल मीडिया

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ की माओवाद उन्मूलन नीति को बीजापुर में एक बड़ी कामयाबी मिली है। राज्य सरकार की प्रभावी 'पूना मारगेम: पुनर्वास से पुनर्जीवन' योजना के तहत, 51 सक्रिय माओवादी कैडरों ने हिंसा का मार्ग छोड़कर समाज की मुख्यधारा में लौटने के लिए आत्मसमर्पण कर दिया।

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    आत्मसमर्पण करने वालों में माओवादी संगठन की रीढ़ समझे जाने वाले पीएलजीए बटालियन के सदस्य, कंपनी सदस्य शामिल हैं। इन सभी 51 कैडरों पर छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा कुल 66 लाख रुपये का इनाम घोषित था। आत्मसमर्पण करने वालों में नौ महिला और 42 पुरुष शामिल हैं।

    51 माओवादियों का बीजापुर में आत्मसमर्पण

    इस समूह में चार ऐसे दुर्दांत सदस्य शामिल हैं, जिन पर अकेले आठ-आठ लाख रुपये का इनाम था। इनमें पीएलजीए कंपनी न. 01 सदस्य बुधराम पोटाम उर्फ रंजीत, बटालियन न. 01 सदस्य मनकी कोवासी, कंपनी न. 2 सदस्य हुंगी सोढ़ी और सदस्य रविन्द्र पुनेम उर्फ आयतू शामिल हैं। इसके अलावा, सीआरसी कंपनी 02 पीएलजीए सदस्य देवे करटाम पर भी आठ लाख का ईनाम था।

    66 लाख रुपये के इनामी माओवादी शामिल

    सुरक्षा बलों के अभियान और समर्पण नीति का असर वर्ष 2025 में बड़े पैमाने पर दिखाई दे रहा है। जिले में वर्ष 2025 में अब तक 461 माओवादी मुख्यधारा में लौट चुके हैं। इस वर्ष अब तक सुरक्षा बलों की कार्रवाई में 138 माओवादी मारे गए और 485 गिरफ्तार हुए हैं। जिला पुलिस अधीक्षक डा. जितेंद्र कुमार यादव ने बताया कि आत्मसमर्पण करने वाले सभी कैडरों को पुनर्वास प्रोत्साहन के रूप में तत्काल 50-50 हजार रुपये की सहायता राशि प्रदान की जाएगी। उन्होंने शेष माओवादियों से भ्रामक विचारधाराओं को त्यागकर, निर्भय होकर समाज की मुख्यधारा में लौटने की अपील की, और कहा कि संवाद, पुनर्वास और विकास का मार्ग ही क्षेत्र में स्थायी शांति लाएगा।