जानें- ब्रिटेन का Moon Rover भारत के Lander Vikram से कितना है अलग, चांद पर भेजने की तैयारी

ब्रिटेन अब चंद्रमा पर लैंडर भेजने की तैयारी कर रहा है। ब्रिटेन की ओर से साल 2021 में इसे भेजा जाएगा। ये सबसे छोटा लैंडर होगा।

By Vinay TiwariEdited By: Publish:Sat, 12 Oct 2019 02:45 PM (IST) Updated:Sun, 13 Oct 2019 09:30 AM (IST)
जानें- ब्रिटेन का Moon Rover भारत के Lander Vikram से कितना है अलग, चांद पर भेजने की तैयारी
जानें- ब्रिटेन का Moon Rover भारत के Lander Vikram से कितना है अलग, चांद पर भेजने की तैयारी

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। चंद्रमा को लेकर दुनिया भर के वैज्ञानिक कोई न कोई खोज करते रहते हैं। इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए अब ब्रिटेन ने एक सबसे छोटा रोबोट चंद्र लैंडर तैयार किया है। ये एक मकड़ी जैसा दिखता है। ब्रिटेन दो साल के बाद यानि साल 2021 में अपने इस रोवर को चंद्र की सतह पर भेजेगा। आपको बता दें कि ये मून रोवर भारत के लैंडर विक्रम से काफी अलग है। 

ये लैंडर अब तक चांद पर भेजे गए सभी लैंडरों में से सबसे छोटा होगा। इसकी एक खासियत ये भी है कि इसमें पहियों की जगह पैर लगाए गए हैं। यदि ये रोवर चंद्रमा पर उतरने में कामयाब हो गया तो अमेरिका, रूस और चीन के बाद ब्रिटेन चंद्रमा पर रोवर की सफल लैडिंग कराने वाला चौथा देश बन जाएगा।

अलग-अलग तरह के लैंडर 

अमेरिका, रूस, चीन और भारत की ओर से अब तक अलग-अलग तरह के लैंडर चांद पर भेजे जा चुके हैं। भारत की ओर से कुछ माह पहले ही विक्रम लैंडर भेजा गया था। इसमें रोवर प्रज्ञान था मगर हार्ड लैंडिंग की वजह से लैंडर ठीक तरह से चांद की सतह पर नहीं पहुंच पाया, इससे इसरो के वैज्ञानिकों ने जिस खोज के लिए ये लैंडर भेजा था उनको उसमें कामयाबी नहीं मिल पाई। अब ब्रिटेन ने मकड़ी के आकार का लैंडर तैयार किया है ये अपने आप में अलग तरह का लैंडर है। 

नासा ने की फंडिंग 

नासा की ओर से मई माह में कुल तीन फर्मों को चंद्र लैंडर्स बनाने के लिए फंड अवार्ड किया गया था। इसमें एक एस्ट्रोयोटिक और दो अन्य फर्में शामिल हैं। दरअसल नासा ने एस्ट्रोयोटिक कंपनी को ऐसा लैंडर रोवर डिजाइन करने के लिए कहा था जिसके साथ 14 उपकरण ले जाए जा सकें और 14 पेलोड भी। ब्रिटेन की स्टार्ट-अप अंतरिक्ष कंपनी SpaceBit ने इसे डिजाइन किया है। 

ये लैंडर अपने आप में अलग तरह का है। SpaceBit फर्म भी उन भागीदारों में से एक होगी, जो रोवर को Astrobotic के Peregrine लैंडर के अंदर सतह पर भेज रहा है। ऐसी संभावना है कि ये रोवर जून या जुलाई 2021 में चांद पर मारे सेरेनीटिस - सी ऑफ सीरिटी के क्षेत्र के पास उतर सकता है।

बैट्री से चलने वाला होगा रोवर 

एक बार जब लैंडर चंद्रमा पर पहुंच जाता है, तो 1.5kg (3lb 5oz) रोवर अन्य पेलोड के साथ सतह से नीचे की ओर गिर जाता है। यह सतह पर माप लेने और अन्य डेटा एकत्र करने का काम करेगा। रोवर बैटरी से चलने वाला है, लेकिन एक छोटा सा सोलर पैनल भी सूर्य से ऊर्जा प्राप्त करेगा। जैसे की भारत ने लैंडर विक्रम को चंद्रमा पर भेजने में इस्तेमाल किया था। उसी तरह से ब्रिटेन भी अपने लैंडर में सोलर पैनल लगाकर चंद्रमा पर भेजेगा, जिससे उसमें लगी बैट्रियों को ऊर्जा मिलती रहे।

दो कैमरे भी लगें होंगे 

इस लैंडर में दो कैमरे भी लगे होंगे जो इसे "रोबोट सेल्फी" लेने में मदद करेंगे। इस लैंडर को बनाने वाली कंपनी SpaceBit की ओर से इसके बारे में भी जानकारी दी गई है। लैंडर को पैर का शेप दिए जाने के पीछे कंपनी का कहना है कि भविष्य के मिशनों में रोबोट को लैंड करने के बाद लावा टयूबों में प्रवेश करवाया जाएगा। जो इससे पहले संभव नहीं था। इसी को ध्यान में रखते हुए इसको इस तरह से डिजायन किया गया है।

अभियान से जुड़े SpaceBit founder Pavlo Tanasyuk (तन्नासुक) ने कहा कि हम भूमि के बाद चंद्रमा की सतह की खोज करेंगे, उम्मीद है कि हम लावा ट्यूबों में जा पाएंगे और वहां के वातावरण का पता लगा पाएंगे, ये अपने आप में पहली तरह की खोज होगी। इससे बाकी देशों के वैज्ञानिकों को भी मदद मिलेगी और नई-नई चीजें सामने आएंगी।  

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