190 रुपये लीटर दूध के बाद अब यहां नींबू बिक रहा 400 रुपये किलो, केले हैं 150 रुपये दर्जन!

रमजान के माह में दूध से लेकर फल और सब्‍जी की कीमतें सातवें आसमान पर पहुंच गई हैं। सेब और नींबू की कीमत यहां पर एक समान हो गई है। वहीं केले 150 रुपये दर्जन बिक रहे हैं।

By Kamal VermaEdited By: Publish:Sat, 18 May 2019 11:46 AM (IST) Updated:Sun, 19 May 2019 07:36 AM (IST)
190 रुपये लीटर दूध के बाद अब यहां नींबू बिक रहा 400 रुपये किलो, केले हैं 150 रुपये दर्जन!
190 रुपये लीटर दूध के बाद अब यहां नींबू बिक रहा 400 रुपये किलो, केले हैं 150 रुपये दर्जन!

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। पाकिस्‍तान की खस्‍ताहाल हालत अब लोगों पर भारी पड़ रही है। पाकिस्‍तानी रुपया डॉलर के मुकाबले अब तक के सबसे निचले स्‍तर पर पहुंच चुका है। इस वजह से वहां पर खाने-पीने और अन्‍य जरूरी चीजों की कीमत सातवें आसमान पर पहुंच गई है। एक डॉलर की कीमत पाकिस्‍तान में 148 रुपये तक पहुंच गई। इससे पहले यह करीब 141 के आसपास बनी हुई थी। इतना ही नहीं ब्‍लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्‍तानी मुद्रा एशिया की 13 अन्‍य मुद्राओं में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली करेंसी रही है। इसमें करीब 20 फीसद तक गिरावट देखने को मिली है।

आपको यहां पर बता दें कि पिछले सप्‍ताह ही अंतरराष्‍ट्रीय मुद्रा कोष और पाकिस्‍तान के बीच छह अरब डॉलर के राहत पैकेज को लेकर शुरुआती सहमति बनी है। लेकिन इससे भी यहां के आर्थिक हालात सुधरने की संभावना कम ही दिखाई दे रही है महंगाई ने यहां पर पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए है। इसकी वजह से एक दर्जन संतरे 360 रुपये तो नीबू और सेब की कीमत 400 रुपये किलो तक हो गई है। आलम ये है कि पाकिस्‍तान के लोग ही अब वहां के बदत्‍तर हो रहे आर्थिक हालात और आसमान छूती महंगाई को सोशल मीडिया के माध्‍यम से दुनिया को बता रहे हैं। यहां पर महंगाई का आलम ये है कि रमजान के पवित्र माह में महंगाई लोगों पर भारी पड़ रही है। पिछले सप्‍ताह रमजान माह की शुरुआत में ही यहां पर सरकार ने गैस और तेल के दामों में जबरदस्‍त वृद्धि की थी। इसकी वजह से भी यहां पर चीजों के दाम अचानक बढ़ गए हैं।

स्‍थानीय लोगों ने इस बारे में ट्वीट कर कहा है कि महंगाई सरकार के काबू से बाहर हो चुकी है। 150 रुपये दर्जन केले, मटन 1100 रुपये किलो, चिकन 320 रुपये किलो और एक लीटर दूध के लिए लोगों को 120 से 180 रुपये तक चुकाने पड़ रहे हैं। इसमें भी यह भाव जगह के हिसाब से बदल भी रहे हैं। पाकिस्‍तान के जिस शख्‍स ने इसकी जानकारी को ट्विट किया है उनका नाम उमर ओ कुरैशी है। वह पॉजीटिव मीडिया कम्‍यूनिकेशन के सीईओ हैं और ट्विटर पर उनके दो लाख से अधिक फालोवर हैं।

पाकिस्‍तान में बढ़ती महंगाई की गाज सिर्फ दूध पर ही नहीं गिरी है बल्कि वहां पर मार्च के मुकाबले अब प्‍याज की कीमत में करीब 40 फीसद, टमाटर 19 फीसद, चिकन 16 फीसद मूंग की दाल 13 फीसद, ताजे फल 12 फीसद गुड़ तीन फीसद चीनी 3 फीसद, बींस डेढ़ फीसद, मछली, मसाले व अन्‍य दालें, घी चावल, बेकरी से बने उत्‍पाद, आटा, कुकिंग ऑयल, चाय, गेंहू की कीमतों में एक-सवा फीसद की तेजी देखने को मिली है।

गौरतलब है कि पाकिस्‍तान बीते पांच वर्षों के दौरान सबसे अधिक आर्थिक मुश्किलों से जूझ रहा है। पाकिस्तान में महंगाई पिछले पांच साल के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है। मार्च महीने में महंगाई 9.4 फीसदी तक पहुंच गई। महंगाई बढ़ने, रुपये में गिरावट और कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों से पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक ने ब्याज दरें बढ़ाकर 10.75 फीसदी कर दी हैं। वहीं दूसरी तरफ उस पर एफएटीएफ की तलवार भी लटकी है जो उसको काली सूची में डाल सकती है। यदि ऐसा हुआ तो पाकिस्‍तान भूखमरी तक का शिकार हो सकता है। यहां पर ये भी बताना जरूरी होगा कि सऊदी अरब की तरफ से पाकिस्‍तान को अरबों रुपये की मदद दी गई है, लेकिन इससे भी कुछ फर्क पड़ता दिखाई नहीं दे रहा है।

पाकिस्तान ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स (पीबीएस) के मुताबिक, मार्च 2019 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई बढ़कर 9.4 फीसदी पर पहुंच गई। पीबीएस का कहना है कि इस दौरान वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें पाकिस्तान में महंगाई बढ़ने की मुख्य वजह हैं। पिछले तीन महीने में ताजी सब्जियों, फलों और मांस के दाम खासकर शहरों में लगातर बढ़े हैं। जुलाई से मार्च के दौरान औसत महंगाई साल दर साल आधार पर 6.97 फीसदी बढ़ी है।

आंकड़ों के मुताबिक दो माह पहले पाकिस्तान के पास महज आठ अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार बचा था। अगस्त 2018 से ही पाकिस्‍तान खुद को डिफॉल्टर होने से बचाने की कोशिश में लगा है। इसके लिए पाकिस्‍तान ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का भी दरवाजा खटखटाया था, लेकिन वहां से उसको कुछ हासिल नहीं हो सका। 1980 के दशक के बाद से पाकिस्तान आईएमएफ़ की शरण में 13 बार जा चुका है। जहां तक पाकिस्‍तान को कर्ज देने की बात है तो इसमें चीन और सऊदी अरब सबसे आगे हैं।

आपको बता दें कि चीन से पिछले माह ही पाकिस्‍तान को 2.1 अरब डॉलर का कर्ज दिया गया है। इससे पहले पाकिस्तान को मदद के तौर पर सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात से भी एक-एक अरब डॉलर मिल चुके हैं। पिछले दिनों जब सऊदी के क्राउन प्रिंस पाकिस्‍तान गए थे तब उन्‍होंने पाकिस्तान में पेट्रोकेमिकल्स, ऊर्जा और खनन परियोजनाओं में 20 अरब डॉलर के निवेश की घोषणा की थी। यहां आपको ये भी बता दें कि सऊदी अरब पहले भी कई बार पाकिस्‍तान की वित्‍तीय मदद कर चनुका है। वर्ष 2014 में पाकिस्तानी रुपया के धड़ाम होने पर भी सऊदी अरब ने इस्लामाबाद को डेढ़ अरब डॉलर की मदद दी थी।

चीन की जहां तक बात है तो उसने चाइना-पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर में 62 अरब डॉलर का निवेश किया है। इसके अलावा कराची-पेशावर रेलवे लाइन के अपग्रेडेशन, दूसरे चरण के मुक्त व्यापार समझौते और एक शुष्क बंदरगाह (ड्राई पोर्ट) के विकास के लिए भी चीन पाकिस्‍तान को 8.4 अरब डॉलर (58 हजार करोड़ रुपये) की सहायता देगा। पाकिस्तान की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए 19 अरब डॉलर (1.32 लाख करोड़ रुपये) की मदद दे रहा है।

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