जापान ने दुनिया की पहली एंडोस्कोप प्रणाली विकसित की, अब सर्जरी में नहीं होगी कोई परेशानी
यह नई प्रणाली सर्जरी के दौरान गहरी टिश्यू इमेजिंग करने में मददगार साबित होगी। रिजिड एंडोस्कोप का प्रयोग मुंह गले श्वासनली और ग्रासनली की समस्याओं की जांच के लिए किया जाता है। टोक्यो यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस (टीयूएस) की टीम ने कहा है कि भले ही विभिन्न प्रकार के इमेजिंग उपकरण विकसित किए जा चुके हैं। लेकिन हजारों नैनोमीटर छोटे तरंग दैर्ध्य के लिए सामान्य कैमरे अपनी संवेदनशीलता खो देते हैं।
आईएएनएस, नई दिल्ली। जापान के विज्ञानियों ने दुनिया की पहली रिजिड एंडोस्कोप प्रणाली विकसित की है, जो ²श्यमान से लेकर हजारों नैनोमीटर (ओटीएन) छोटे तरंग दैर्ध्य तक हाइपरस्प्रेक्ट्रल इमेजिंग (एचएसआई) करने में सक्षम है। हाइपरस्पेक्ट्रल इमेजिंग पद्धति विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम से जानकारी एकत्र और संसाधित करती है।
यह नई प्रणाली सर्जरी के दौरान गहरी टिश्यू इमेजिंग करने में मददगार साबित होगी। रिजिड एंडोस्कोप का प्रयोग मुंह, गले, श्वासनली और ग्रासनली की समस्याओं की जांच के लिए किया जाता है। टोक्यो यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस (टीयूएस) की टीम ने कहा है कि भले ही विभिन्न प्रकार के इमेजिंग उपकरण विकसित किए जा चुके हैं। लेकिन हजारों नैनोमीटर छोटे तरंग दैर्ध्य के लिए सामान्य कैमरे अपनी संवेदनशीलता खो देते हैं और केवल कुछ व्यावसायिक रूप से उपलब्ध लेंस ही इसका विश्लेषण कर पाते हैं। लेकिन नई प्रणाली विशिष्ट तरंग दैर्ध्य उत्सर्जित करने के लिए विशेष प्रकाश स्त्रोत और फिल्टर का उपयोग करती है।
उनके निष्कर्ष आप्टिक्स एक्सप्रेस पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं। टीम ने भविष्य में इस पद्धति में सुधार के लिए भी कई अनुसंधान दिशाओं की पहचान की है, जिसमें तस्वीरों की गुणवत्ता को बढ़ाना और इस एंडोस्कोप के डिजाइन को और परिष्कृत करना शामिल है।