भारतवंशियों के बूते चमक रहे दक्षिण अफ्रीकी रेस्तरां

गुजरात में जन्मे और मुंबई में पले-बढ़े अजीत कपाडि़या ऐसे ही नाम हैं जो आज अफ्रीका महाद्वीप के सबसे दक्षिण में स्थित इस देश में रेस्तरां उद्योग के सिरमौर बने बैठे हैं।

By Tilak RajEdited By: Publish:Wed, 22 Nov 2017 09:48 AM (IST) Updated:Wed, 22 Nov 2017 09:48 AM (IST)
भारतवंशियों के बूते चमक रहे दक्षिण अफ्रीकी रेस्तरां
भारतवंशियों के बूते चमक रहे दक्षिण अफ्रीकी रेस्तरां

केपटाउन, अरविंद चतुर्वेदी। केवल प्रतिभा के बूते ही भारतीय अपने सपनों को पंख नहीं लगा रहे हैं, हुनर और लगन की दोहरी ताकत भारतवंशियों की वैश्विक पहचान गढ़ने में मददगार हो रही है। दक्षिण अफ्रीका में इसी के चलते रेस्तरां उद्योग में भारतीयों का परचम लहरा रहा है। यहां न केवल हर तरह के भारतीय व्यंजन परोसे जाते हैं, बल्कि स्थानीय व्यंजनों का लुत्फ उठाने के लिए भी लोग इन्हीं रेस्तरां का रख कर रहे हैं।

गुजरात में जन्मे और मुंबई में पले-बढ़े अजीत कपाडि़या ऐसे ही नाम हैं जो आज अफ्रीका महाद्वीप के सबसे दक्षिण में स्थित इस देश में रेस्तरां उद्योग के सिरमौर बने बैठे हैं। अजीत शुरुआत में कपड़ों के व्यवसाय से जुड़े थे, लेकिन धंधे से संतुष्ट नहीं हुए। इसी बीच 1979 में दक्षिण अफ्रीका आना हुआ तो यहां रेस्तरां में भारतीय भोजन की गैरमौजूदगी बहुत अखरी। भारतीयों को मनपसंद भोजन कराने के लिए यहीं रुक गए।

यहां डरबन में सर्वाधिक भारतीय रहते हैं, लिहाजा कारोबार की शुरुआत के लिए इसी शहर को चुना। आज देश में इनके आधा दर्जन रेस्तरां चल रहे हैं। केपटाउन में टाउनहाल से से लगी मशहूर लॉन्‍ग स्ट्रीट पर भी इनका एक रेस्तरां है। माई फेवरेट नामक इस रेस्तरां में भारत की सभी डिश परोसी जाती हैं। देश के किसी भी कोने से आया पर्यटक अपनी पसंद के खाने को लेकर यहां निराश नहीं होता। सैकड़ों दक्षिण अफ्रीकी युवा आज अजीत के यहां नौकरी कर रहे हैं।

पसंद है खाना खिलाना
अजीत बताते हैं कि आज भी भारत से उनका नाता पहले की तरह ही है। आना-जाना लगा रहता है। एकदम खांटी हिंदुस्तानी की तरह हंसी-मजाक करते हुए पहली बार देखकर लगता ही नहीं कि यह आदमी यहां रेस्तरां उद्योग का किंग है। खाना खिलाना उनकी पसंद है। कोई भारतीय पर्यटक दल जाता है तो साथ में खुद बैठकर उसे खाना खिलाते हैं। भारत जाते हैं तो किसी रेस्तरां की कोई डिश पसंद आती है तो उसके शेफ को अपने साथ दक्षिण अफ्रीका लाते हैं।

इंपोर्ट करते हैं सब्जियां
कच्चे माल की उपलब्धता के बारे में बताते हुए अजीत कहते हैं कि कुछ चीजें यहां नहीं मिल पाती हैं, लिहाजा उन्हें बाहर से मंगाना पड़ता है। जैसे दक्षिण अफ्रीका में भिंडी की गुणवत्ता बहुत ही खराब होती है। बाकी अंतरराष्ट्रीय सब्जियां आसानी से मिल जाती हैं। दक्षिण अफ्रीका की आबादी साढ़े पांच करोड़ है। करीब 12 लाख भारतवंशी यहां रहते हैं। इस लिहाज से इस तबके को मामूली नहीं समझा जा सकता। अजीत बताते हैं कि एक जमाना था कि दुनिया के अगर किसी देश में सर्वाधिक भारतीय रहते थे, तो वह दक्षिण अफ्रीका ही था।

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