नीदरलैंड और इजराइल ने लैब में तैयार किया एंटीबॉडी, कोरोना वैक्‍सीन बनाने की तरफ बड़ा कदम

नीदरलैंड और इजराइल ने एंटीबॉडीज को लैब में तैयार करने का दावा किया है। उनका कहना है कि इससे वैक्‍सीन बनाने में भी मदद मिल सकती है।

By Kamal VermaEdited By: Publish:Wed, 06 May 2020 02:58 PM (IST) Updated:Thu, 07 May 2020 10:05 AM (IST)
नीदरलैंड और इजराइल ने लैब में तैयार किया एंटीबॉडी, कोरोना वैक्‍सीन बनाने की तरफ बड़ा कदम
नीदरलैंड और इजराइल ने लैब में तैयार किया एंटीबॉडी, कोरोना वैक्‍सीन बनाने की तरफ बड़ा कदम

येरुशलम/हेग। कोरोना वायरस की वैक्‍सीन को लेकर पूरी दुनिया में जो कवायद चल रही है इस बीच इजराइल और नीदरलैंड ने एंटीबॉडी बनाने का दावा किया है। गार्जियन अखबार के ऑनलाइन एडिशन के मुताबिक इन देशों का यदि ये दावा सही है तो इससे वैक्‍सीन तैयार करने में मदद मिल सकती है। ये इस लिहाज से भी काफी खास है क्‍योंकि पहले भी कई एंटीबॉडी से तैयार दवाओं ने खतरनाक वायरस या बैक्टीरिया का अंत किया है। कैंसर और इबोला के इलाज में प्रभावी कई दवाएं भी एंटीबॉडी से तैयार की गई थीं।

इजराइल के नामी संस्‍थान ने तैयार किया एंटीबॉडी

इजराइल ने कोरोना के खात्‍मे की वैक्‍सीन बनाने की दिशा में जिस बड़ी कामयाबी का दावा किया है उसको देश के नामी इंस्टीट्यूट ऑफ बायोलॉजिकल रिसर्च (आईआईबीआर) की प्रयोगशाला में तैयार किया है। आईआईबीआर के दावे के मुताबिक लैब में तैयार किया गया एंटीबॉडी तैयार वायरस को खत्‍म करने के प्रयोग में सफल रहा है। इसका दावा खुद इजराइल के रक्षा मंत्री नफ्ताली बेनेट ने किया है। उनके मुताबिक, आईआईबीआर इसे पेटेंट कराने के साथ अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के साथ बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू करेगी। हालांकि उन्‍होंने ये नहीं बताया है कि इसका पशुओं और इंसानों पर परीक्षण किया गया है या नहीं।

वैक्सीन भी तैयार की जा सकती है

आईआईबीआर के मुताबिक प्रयोगशाला में तैयार एंटीबॉडी के जरिये किसी वायरस से लड़ने वाली दवा या वैक्सीन भी तैयार की जा सकती है। ये लैब इजरायल के प्रधानमंत्री के अधीन काम करता है। इस संस्‍थान ने पहले भी जैव-रासायनिक हथियारों के साथ घातक तकनीक भी विकसित की है। विश्व के 50 से ज्यादा नामचीन वैज्ञानिक इस संस्थान में काम करते हैं।

नीदरलैंड ने भी बनाया एंटीबॉडी

वहीं दूसरी तरफ नीदरलैंड के वैज्ञानिकों ने जो एंटीबॉडी बनाया है उसको उट्रेच यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता बर्नेड जान बॉश की टीम द्वारा तैयार किया गया है। इस कृत्रिम एंटीबॉडी ने कोशिका में मौजूद वायरस को निष्क्रिय कर दिखाया। नीदरलैंड का भी दावा है कि इस सफल कदम से कोरोना की वैक्‍सीन बनाने में सफलता मिल सकती है। नीदरलैंड के वैज्ञानिकों का ये शोध जर्नल नेचर कम्यूनिकेशंस में प्रकाशित भी हुआ है। इसके अनुसार, 47डी11 नाम के एंटीबॉडी ने कोशिका में प्रोटीन का विस्फोट करने वाले स्पाइक प्रोटीन को निशाना बनाया। सार्स वायरस को निष्क्रिय करने के परीक्षण में भी यह खरा उतरा है।

ऐसे करता है काम

जिस तरह से प्‍लाज्‍मा एंटीबॉडी संक्रमित व्यक्ति में मौजूद वायरस से लड़ता है, उसी तरह आईआईबीआर में तैयार किया गया एंटीबॉडी भी किसी वायरस या बैक्टीरिया को खत्‍म करने में अहम भूमिका निभाता है।

वैक्‍सीन तैयार करने के चार चरण

कोरोना वैक्‍सीन की ही यदि बात करें तो उसमें कुछ देश पहले चरण से आगे निकल चुके हैं। ये पहला चरण वैक्‍सीन को शोध के बाद तैयार करने का है। दूसरे चरण में इसकी टेस्टिंग होती है और तीसरे चरण में इसकी मंजूरी होती है और चौथे चरण में इसका मरीजों पर प्रयोग शुरू होता है। ये चारों ही चरण बेहद खास होते हैं। वर्तमान की बात करें तो पूरी दुनिया में वैक्‍सीन बनाने के 150 से अधिक प्रोजेक्‍ट चल रहे हैं। इनमें से करीब पांच से अधिक देश वैक्‍सीन बनाने के दूसरे चरण में पहुंच चुके हैं। ऐसा करने वालों में अमेरिका भी एक है। अमेरिकी सरकार के शीर्ष सलाहकार डॉ. एंथनी फॉकी के अनुसार, अगर सब कुछ ठीक रहा तो वैक्सीन 12 से 18 माह में बाजार में आ सकती है।

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