वर्ष 2019 में भारत में विभिन्न कारणों से 50 लाख से ज्यादा लोग हुए थे विस्थापित- यूनिसेफ की रिपोर्ट
वर्ष 2019 में भारत में 50 लाख से ज्यादा लोग आंतरिक रूप से विस्थापित हुए थे। इसकी वजह प्राकृतिक आपदाओं संघर्ष और हिंसा रहा।
नई दिल्ली (एजेंसी)। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2019 में भारत में प्राकृतिक आपदाओं, संघर्ष और हिंसा के चलते 50 लाख से ज्यादा लोग आंतरिक रूप से विस्थापित हुए थे। इस अवधि के दौरान विश्व में आंतरिक रूप से हुए नए विस्थापनों की यह सबसे बड़ी संख्या थी। भारत के बाद फिलीपीन, बांग्लादेश और चीन में विस्थापितों की संख्या सबसे अधिक थी। संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) द्वारा प्रकाशित लॉस्ट एट होम रिपोर्ट में कहा गया कि 2019 में करीब 3.3 करोड़ नए विस्थापन रिकॉर्ड किए गए जिनमें से 2.5 करोड़ विस्थापन प्राकृतिक आपदा के कारण और 85 लाख विस्थापन संघर्ष एवं हिंसा की वजह से थे।
इस रिपोर्ट के मुताबिक कुल विस्थापितों में से 1.2 करोड़ बच्चे शामिल थे जिनमें से 38 लाख बच्चे संघर्ष एवं हिंसा के कारण विस्थापित हुए और 82 लाख बच्चे मौसम संबंधी आपदाओं के चलते विस्थापित हुए। रिपोर्ट में कहा गया है कि संघर्ष एवं हिंसा की तुलना में प्राकृतिक आपदाओं के कारण ज्यादा विस्थापित हुए। 2019 में करीब एक करोड़ नए विस्थापन पूर्वी एशिया और प्रशांत में हुए जबकि इतनी ही संख्या में दक्षिण एशिया में भी लोगों को विस्थापित होने का दंश सहना पड़ा।
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2019 में भारत, फिलीपींस, बांग्लादेश और चीन को प्राकृतिक आपदाएं झेलीं। इसकी वजह से लाखों लोग विस्थापित हुए जो वैश्विक आपदा के कारण हुए विस्थापनों का 69 फीसद है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया भर में आपदा के कारण हुए करीब 82 लाख बच्चों को भी विस्थापित होना पड़ा था। भारत के अंदर ही नए आंतरिक विस्थापनों की कुल संख्या 50,37,000 रही जिसमें 50,18,000 प्राकृतिक आपदाओं के कारण और 19,000 लोगों का विस्थापन संघर्ष एवं हिंसा के चलते हुआ।
फिलीपींस में प्राकृतिक आपदाओं, संघर्ष एवं हिंसा के चलते 42.7 लाख लोग भीतरी रूप से विस्थापित हुए जबकि बांग्लादेश में यह संख्या 40.8 लाख और चीन में 40.3 लाख थी। इसमें कहा गया कि आज पहले से कहीं ज्यादा बच्चे अपने ही देश में विस्थापित हो गए। 2019 के अंत तक कुल 4.6 करोड़ लोग संघर्ष एवं हिंसा के कारण आंतरिक रूप से विस्थापित हुए। इस रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि करीब 1.9 करोड़ बच्चों को वर्ष 2019 में संघर्ष एवं हिंसा के चलते अपने ही देश के भीतर विस्थापित होने का दंश सहना पड़ा। ये आंकड़े किसी भी अन्य साल के मुकाबले ज्यादा हैं। यह उन्हें कोविड-19 के वैश्विक प्रसार के प्रति ज्यादा संवेदनशील बनाता है।
संयुक्त राष्ट्र एजेंसी में कोविड-19 को लेकर भी चेतावनी दी गई है। इसमें इस वैश्विक महामारी को गंभीर बताया गया है। इसमें कहा गया है कि अपने घरों एवं समुदायों से दूर हुए ये बच्चे विश्व में अधिक संवेदनशील लोगों में से हैं। कोविड-19 उनके जीवन के लिए और नुकसान एवं अनिश्चितता लेकर आई है। इसके मुताबिक विस्थापना का दंश झेल रहे बच्चों और अन्य लोगों को इसकी वजह से ऐसी जगहों पर रहना पड़ता है जहां पर भीड़-भाड़ होती है। अकस ये अस्थाई शिविर होते हैं जहां पर्याप्त साफ-सफाई और स्वास्थ्य सेवाओं का भी अभाव रहता है।
ऐसी जगहों पर न तो विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा बताई गई एक दूसरे व्यक्ति से दूरी बनाए रखने के नियमों पालन हो सकता है और न ही दूसरे नियमों का यहां पर पालन किया जा सकता है। यूनिसेफ की कार्यकारी निदेशक हेनरीटा फोर के मुताबिक जब जब इस तरह की वैश्विक महामारी का संकट आता है तब ऐसे ही बच्चे अधिक संवेदनशील होते हैं। इस रिपोर्ट में आंतरिक रूप से विस्थापित बच्चों के सामने आने वाले खतरों का जिक्र भी किया गया है। इनमें बाल श्रम, बाल विवाह, बाल तस्करी आदि शामिल हैं।
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