शीत लहरी और बेक्टेरिया के हमले से पान उत्पादक को भारी नुकसान

-मालदा जिला में 180 हेक्टेयर भूमि पर पान की खेती की गयी -बेक्टेरिया ओर फंगस के हमले से सू

By JagranEdited By: Publish:Thu, 11 Jan 2018 06:03 PM (IST) Updated:Thu, 11 Jan 2018 06:03 PM (IST)
शीत लहरी और बेक्टेरिया के हमले से पान उत्पादक को भारी नुकसान
शीत लहरी और बेक्टेरिया के हमले से पान उत्पादक को भारी नुकसान

-मालदा जिला में 180 हेक्टेयर भूमि पर पान की खेती की गयी

-बेक्टेरिया ओर फंगस के हमले से सूख रहे है पाने के पत्ते

संवाद सूत्र, मालदा : घना कुहासा और तेज शीत लहर के कारण पान उत्पादकों को काफी नुकसान हो रहा है। बेक्टेरिया और फंगस के हमले से पत्ते खराब हो रहे है। पान की खेती करने वाले कृषकों का लाखों रुपये का नुकसान हो गया। इस स्थिति को नियंत्रित करने के लिए उद्यान विभाग के अधिकारियों ने सहायता का आश्वासन दिया है।

वन विभाग के सूत्रों ने बताया कि मालदा जिला में 180 हेक्टेयर भूमि पर पान की खेती की गयी। सरकारी आंकड़ों के अनुसार गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष पानी की खेती 10 हेक्टेयर अधिक भूमि पर की गयी। जिला के पांच ब्लॉक पुरातन मालदा, चांचल, हरिशचंद्रपुर एक और दो एवं रतुआ ब्लॉक में पान की खेती की जाती है। पिछले वर्ष भीषण बाढ़ के कारण पान उत्पादकों को भारी नुकसान हुआ था। लाभ तो दूर की बात श्रमिकों को उनके लागत पैसा तक नहीं मिल पाया। इस वर्ष हिम्मत करके महाजन से ऋण लेकर तथा बैंक से लोन लेकर श्रमिकों ने फिर पान की खेती के लिए रिस्क उठाया। पिछले वर्ष की तुलना में इस साल रिकार्ड ठंड पड़ी है। इससे फसलों को नुकसान पहुंच रहा है। पान के पत्तों में बेक्टेरिया और फंगस लग गये है। कई जगह छिद्र लग गये है। इसतरह के पान के पत्ते बाजार में बिक्री नहीं होंगे।

मुचिया इलाके के बाराई पाड़ा इलाके के पान कृषक सुरजीत दास ने बताया कि एक बीघा जमीन पर मैंने पान की खेती की थी। इसकी लागत तीन लाख होती है। एक बीघा से करीब साढे़ चार से 5 लाख रुपये की आय होती है। प्रति बीघा पर दो लाख रुपये तक की आय हो जाती है। लेकिन पिछले साल बाढ़ के कारण हमारा काफी नुकसान हुआ था। इस वर्ष ठंड हमारा नुकसान कर रही है। ठंड के कारण पत्ते सूख रहे है। लाभ तो दूर की बात है, इस वर्ष महाजन का पैसा दे पायेंगे या नहीं, इसकी हमें चिंता सता रही है।

उद्यान विभाग के अधिकारी राहुल चक्रवर्ती ने किसानों को परामर्श दिया है कि वें कीटनाशक दवा का इस्तमाल करके पान के पत्ते को फंगस से बचा सकते है। इस समय पान को विशेष देखभाल की जरूरत होती है। सरकारी नियम के अनुसार क्षतिपूर्ति की जाएगी।

कैप्शन : पान का खेत का नजारा

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