West Bengal: सुप्रीम कोर्ट से ममता के चुनाव एजेंट एसके सूफियान को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत

सुप्रीम कोर्ट ने 2007 के नंदीग्राम हिंसा मामले में सूफियान की गिरफ्तारी पर दो हफ्ते की अंतरिम रोक लगा दी। तृणमूल नेता की याचिका में कहा गया था कि 14 साल पुराना केस अचानक दोबारा खोल दिए जाने से उन पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है।

By Priti JhaEdited By: Publish:Sat, 27 Mar 2021 08:48 AM (IST) Updated:Sat, 27 Mar 2021 08:57 AM (IST)
West Bengal: सुप्रीम कोर्ट से ममता के चुनाव एजेंट एसके सूफियान को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत
हाई कोर्ट ने सूफियान के खिलाफ मुकदमा फिर से खोलने का दिया था निर्देश

कोलकाता, राज्य ब्यूरो। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नंदीग्राम में चुनाव एजेंट एसके सूफियान को सुप्रीम कोर्ट से शुक्रवार को बड़ी राहत मिल गई। सुप्रीम कोर्ट ने 2007 के नंदीग्राम हिंसा मामले में सूफियान की गिरफ्तारी पर दो हफ्ते की अंतरिम रोक लगा दी। तृणमूल नेता की याचिका में कहा गया था कि 14 साल पुराना केस अचानक दोबारा खोल दिए जाने से उन पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है। वह चुनाव एजेंट का अपना काम भी नहीं कर पा रहे हैं।

पांच मार्च को कलकत्ता हाई कोर्ट ने वकील और भाजपा नेता नीलांजन अधिकारी की तरफ से दाखिल जनहित याचिका को सुनते हुए निचली अदालत के उस फैसले को रद कर दिया था, जिसमें सूफियान के खिलाफ चल रहा केस खत्म किया गया था। अधिकारी ने हाई कोर्ट को बताया था कि हत्या, अपहरण जैसे संगीन आरोप के केस सिर्फ इस आधार पर राज्य सरकार ने वापस ले लिए थे कि इससे नंदीग्राम में शांति रहेगी। 13 साल तक सूफियान निचली अदालत में पेश नहीं हुए, राज्य सरकार ने फिर भी गुपचुप तरीके से केस वापस लेने की अर्जी कोर्ट में दे दी।

कलकत्ता हाई कोर्ट ने मामले को गंभीर मानते हुए इसे फिर से खोलने का आदेश दे दिया। आज सूफियान के वकीलों विकास सिंह ने सुप्रीम कोर्ट से मामले पर तुरंत सुनवाई की दरख्वास्त की। उन्होंने कहा कि एक अप्रैल को नंदीग्राम में चुनाव है। उससे पहले राजनीतिक कारणों से यह मामला खोला गया है। सीएम ममता बनर्जी के चुनाव को प्रभावित करने की कोशिश की जा रही है। चीफ जस्टिस के निर्देश पर जस्टिस इंदिरा बनर्जी और कृष्ण मुरारी की बेंच ने आज ही मामले को सुना। 2 जजों की बेंच के सामने विकास सिंह के अलावा बंगाल सरकार की तरफ से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी और और सिद्धार्थ लूथरा भी पेश हुए। तीनों ने हाई कोर्ट के आदेश पर तत्काल रोक की मांग की।

उन्होंने कहा कि 2020 की फरवरी और जून में आए निचली अदालत के फैसलों को जान बूझकर चुनाव से पहले उठाया गया। हाई कोर्ट ने सूफियान को सुने बिना केस दोबारा खोलने का आदेश दे दिया। हाई कोर्ट में पीआइएल दाखिल करने वाले नीलांजन अधिकारी की तरफ से पूर्व एटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि सभी वकील कोर्ट को गुमराह कर रहे हैं। हत्या जैसे गंभीर अपराध के मुकदमे को भूमि अधिग्रहण के खिलाफ आंदोलन का मामला बताया जा रहा है। कोर्ट को भारी जुर्माना लगाते हुए याचिका खारिज करनी चाहिए।

करीब एक घंटा चली सुनवाई के बाद बेंच ने कहा कि मामला अभी भी कलकत्ता हाई कोर्ट में लंबित है। बेहतर होगा कि अपीलकर्ता वहां अपनी बात रखें। जजों ने कहा कि चूंकि इस मामले में अपीलकर्ता को सुने बिना हाई कोर्ट ने आदेश दिया। इसलिए, हम आदेश के अमल पर अंतरिम रोक लगा रहे हैं। वह हाई कोर्ट में अपनी बात रख सकें, इसका मौका देने के लिए हम उनकी गिरफ्तारी पर भी दो हफ्ते की रोक लगा रहे हैं। 

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