भारत में महिलाओं के मुकाबले पुरूषों की आत्महत्या दर अधिक

भारत में महिलाओं की तुलना में पुरूष उत्पीड़न के ज्यादा शिकार हो रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 21 Nov 2020 02:53 PM (IST) Updated:Sat, 21 Nov 2020 03:04 PM (IST)
भारत में महिलाओं के मुकाबले पुरूषों की आत्महत्या दर अधिक
भारत में महिलाओं के मुकाबले पुरूषों की आत्महत्या दर अधिक

राज्य ब्यूरो, कोलकाता : भारत में महिलाओं की तुलना में पुरूष उत्पीड़न के ज्यादा शिकार हो रहे हैं। इसकी कारण उनकी आत्महत्या दर भी महिलाओं की अपेक्षा अधिक है, फिर चाहे विवाहित पुरूष हों या अविवाहित अथवा तलाकशुदा। झूठे व बेबुनियाद मामलों में फंसाए जाने के कारण पुरूषों पर मानसिक दबाव बढ़ रह है और उनमेंआत्महत्या की प्रवृत्ति बढ़ रही है। महानगर में शनिवार को आयोजित हुए राष्ट्रीय स्तर के सम्मेलन 'मेन की बात' को संबोधित करती हुए इसके आयोजन से जुड़ीं नंदिनी भटटाचार्य ने इस चिंताजनक तस्वीर पेश की। 'मेन की बात' का आयोजन ऑल बंगाल मेंस फोरम की ओर से किया गया था। महिला होने के बावजूद पुरूषों के अधिकार के बारे में जागरुकता फैलाती आ रहीं नंदिनी ने कहा कि दहेज व वधू उत्पीड़न के झूठे मामलों में फंसाए जाने से पुरूषों पर मानसिक दबाव बढ़ रहा है। आंकड़ों पर गौर करें तो 2019 में 66,815 विवाहित पुरूषों ने आत्महत्या की जबकि विवाहित महिलाओं के क्षेत्र में यह संख्या आधी से भी कम 25,941 है। पत्नी से अलग हुए 672 पुरूषों ने आत्महत्या की जबकि पति से अलग हुईं 290 महिलाओं ने आत्महत्या की है। नंदिनी भट्टाचार्य ने आगे कहा कि सभी महिलाओं के अधिकारों के लिए आवाज उठाते हैं लेकिन कोई इस बात को समझने की कोशिश नहीं कर रहा कि पुरूषों का अधिकार छीने जाने पर महिलाएं भी सुरक्षित नहीं रह पाएंगी। एक पुरूष को झूठे मामले में फंसाए जाने पर उसकी मां, बहन, पत्नी और बेटी भी उत्पीड़न की शिकार होती हैं। सम्मेलन के उद्घाटन अवसर पर पूर्व वायुसेना प्रमुख अरूप राहा व राज्य मानवाधिकार आयोग के चेयरमैन नपराजित मुखोपाध्याय भी मौजूद थे। वक्ताओं में पूर्व फुटबॉलर तरुण दे, चिकित्सक तनय माइती, अध्यापक विमल शंकर नंद, अधिवक्ता जयंत नारायण चट्टोपाध्याय समेत अन्य शामिल थे।

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