राजनीतिक कार्यकर्ताओं और अपराधियों के बीच विस्फोटकों के ढेर पर बैठा बंगाल

बंगाल में इससे पहले कभी एक साथ इतनी मात्रा में विस्फोटक बरामद नहीं हुए थे। मामले में फरार रिंटू शेख की गिरफ्तारी के लिए स्पेशल टीम बनाई गई है। जांच की जा रही है कि इतनी बड़ी मात्रा में विस्फोटक कहां से लाया गया और इसे किसे पहुंचाया जाना था।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Tue, 05 Jul 2022 01:02 PM (IST) Updated:Tue, 05 Jul 2022 01:02 PM (IST)
राजनीतिक कार्यकर्ताओं और अपराधियों के बीच विस्फोटकों के ढेर पर बैठा बंगाल
विस्फोट से जुड़े करीब पांच मामलों की एनआइए की जांच चल रही है।

कोलकाता, जयकृष्ण वाजपेयी। बंगाल में अक्सर बम विस्फोट होते रहते हैं, जिनमें बहुत से लोगों की जानें जाती हैं। कभी बच्चे झाड़ियों व कूड़े में पड़े बम को गेंद समझकर उठा लाते हैं और धमाका होने पर जख्मी हो जाते हैं या मारे जाते हैं, तो कभी राजनीतिक कार्यकर्ताओं और अपराधियों के बीच वर्चस्व की लड़ाई में जमकर बमों से खूनी खेल होता है। इसी साल मार्च में बीरभूम जिले के बोगटूई गांव में तृणमूल नेता की हत्या के बाद 10 लोगों को जिंदा जला दिया गया था। इसके बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उस इलाके का दौरा कर पुलिस महानिदेशक को बम-बारूद और अवैध हथियार रखने वालों के विरुद्ध अभियान चलाने का निर्देश दिया था, जिसमें सैकड़ों बम व दर्जनों हथियार बरामद किए गए थे, परंतु कुछ दिनों बाद फिर स्थिति जस के तस हो गई।

बीते सप्ताह राज्य पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने छापा मारकर बीरभूम जिले से 84,000 डेटोनेटर, 27,500 किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट और 500 जिलेटिन स्टिक जब्त किए। कहा जा सकता है कि बंगाल विस्फोटकों के ढेर पर बैठा है। माओवादी और आतंकी संगठन इंप्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आइईडी) से लेकर बारूदी सुरंग व अन्य बम तैयार करने में डेटोनेटर, जिलेटिन स्टिक और अमोनियम नाइट्रेट का इस्तेमाल करते हैं। इसके कई प्रमाण पूर्व में मिले भी थे, जिस कारण इसकी जांच की जा रही है।

बीरभूम से शुक्रवार को बरामद हजारों किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट, डेटोनेटर व जिलेटिन स्टिक। फाइल

ज्ञात हो कि अगस्त, 2020 में लेबनान की राजधानी बेरूत में भीषण धमाका हुआ था, जिसमें शहर का एक बड़ा हिस्सा तबाह हो गया था। साथ ही, 100 से अधिक जानें गई थीं। यह धमाका एक गोदाम में रखे अमोनियम नाइट्रेट की वजह से हुआ था। अब बंगाल में धमाके के लिए कुख्यात बीरभूम जिले से हजारों किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट, डेटोनेटर और जिलेटिन स्टिक का बरामद होना राज्य से लेकर केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ाने वाली बात है। यही वजह है कि एसटीएफ की कार्रवाई के एक दिन बाद ही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) ने भी पड़ताल शुरू कर दी है। वर्ष 2014 में जेएमबी के कई आतंकियों के बीरभूम जिले में ठिकाना होने का पता भी चला था, जो आइईडी तैयार कर बांग्लादेश भेजा करते थे। कई आतंकियों की गिरफ्तारी भी हुई थी। बीरभूम की एक सीमा बांग्लादेश से सटे मुर्शिदाबाद से लगती है तो दूसरी झारखंड और पूर्व व पश्चिम बर्धमान जिले से सटी है। ऐसे में इस जिले से इतनी भारी मात्र में विस्फोटकों का मिलना किसी बड़े खतरे के संकेत तो नहीं है!

पुलिस का कहना है कि इस जिले और झारखंड में पत्थर के काफी खदान हैं, जहां अवैध रूप से पत्थर खनन के लिए इस तरह के विस्फोटकों का इस्तेमाल होता है। जांचकर्ताओं को संदेह है कि उन अवैध खदानों में पत्थर तोड़ने के लिए विस्फोटकों को अवैध रूप से खरीदा और संग्रहित किया जाता है, इसीलिए इस क्षेत्र से सबसे अधिक डेटोनेटर बरामद होते हैं। फिर भी बीरभूम के एक गांव में गोदाम से डेटोनेटर व जिलेटिन स्टिक के साथ-साथ हजारों किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट मिलना चिंता का कारण है। यही वजह है कि राज्य ही नहीं, केंद्रीय जांच एजेंसी भी हर पहलू की जांच में जुटी है।

एसटीएफ सूत्रों के मुताबिक अब तक की जांच में जो बातें सामने आई हैं, उसमें पत्थर खदानों के तथ्य तो हैं ही, साथ ही आतंकी या उग्रवादी गतिविधियों से संबंध होने से भी इन्कार नहीं किया जा रहा है। इसीलिए इस बात की भी जांच की जा रही है कि विस्फोटकों के इस जखीरे के पीछे कोई प्रभावशाली गिरोह या उग्रवादी संगठन तो नहीं है। सबसे पहले गुरुवार को बिहार से आ रहे एक वाहन से मोहम्मदबाजार इलाके में 81 हजार डेटोनेटर बरामद हुए थे और वाहन चालक आशीष केउरा को गिरफ्तार किया गया। उसका घर भी मोहम्मदबाजार में ही है। केउरा की ही निशानदेही पर एसटीएफ ने नलहाटी स्टोन औद्योगिक क्षेत्र में छापामारी की, जहां एक गोदाम से भारी मात्र में अमोनियम नाइट्रेट मिले। बंगाल के हालात क्या हैं, इसका पता इससे भी चलता है कि इस समय विस्फोट से जुड़े करीब पांच मामलों की एनआइए की जांच चल रही है।

[राज्य ब्यूरो प्रमुख, बंगाल]

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