हजारों श्रद्धालुओं ने की वरुणावत पर्वत की परिक्रमा, ये है मान्यता

प्रसिद्ध वारुणी पंचकोसी वरुणावत पर्वत की परिक्रमा के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु उमड़े। इस दौरान उन्होंने विभिन्न सिद्ध मंदिरों के दर्शन किए।

By Raksha PanthariEdited By: Publish:Tue, 02 Apr 2019 02:32 PM (IST) Updated:Tue, 02 Apr 2019 02:32 PM (IST)
हजारों श्रद्धालुओं ने की वरुणावत पर्वत की परिक्रमा, ये है मान्यता
हजारों श्रद्धालुओं ने की वरुणावत पर्वत की परिक्रमा, ये है मान्यता

उत्तरकाशी, जेएनएन। काशी विश्वनाथ नगरी की प्रसिद्ध वारुणी पंचकोसी वरुणावत पर्वत की परिक्रमा के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु उमड़े। इस यात्रा में सुबह तड़के से लेकर दस बजे तक करीब चार हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने वारुणी घाट से यात्रा शुरू की। साथ ही विभिन्न सिद्ध मंदिरों के दर्शन किए। इस दौरान यात्रा मार्ग पर पड़ने वाले गांवों के ग्रामीणों ने यात्रियों का भव्य स्वागत किया तथा यात्रियों को विभिन्न पकवान बनाकर खिलाए। 

ब्रह्ममुहूर्त से ही श्रद्धालुओं के जत्थे वारुणी पंचकोसी यात्रा पर निकलने शुरू हो गए थे। करीब 15 किमी लंबी इस पदयात्रा के पथ पर बड़ेथी संगम स्थित वरुणेश्वर, बसूंगा में अखंडेश्वर, साल्ड में जगन्नाथ और अष्टभुजा दुर्गा, ज्ञाणजा में ज्ञानेश्वर और व्यास कुंड, वरुणावत शीर्ष पर शिखरेश्वर और विमलेश्वर महादेव, संग्राली में कंडार देवता, पाटा में नर्वदेश्वर मंदिर में जलाभिषेक और पूजा-अर्चना का सिलसिला सुबह से ही शुरू हो गई थी जो शाम तक चलती रहेगी। इस यात्रा का समापन विश्वनाथ मंदिर में होता है।

पंडित शिवानंद भट्ट ने बताया कि स्कंद पुराण के केदारखंड के अनुसार वरुणावत पर्वत की पैदल परिक्रमा वाली वारुणी यात्रा सच्चे मन से करने पर श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और हजारों तीर्थों की यात्रा का पुण्य लाभ मिलता है। 

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