उत्तरकाशी में आपदा किट खरीद में घोटाला, खड़े हो रहे कर्इ सवाल

उत्तरकाशी में आपदा किट खरीद में घोटाला सामने आया है। जिले की 504 ग्राम पंचायतों के लिए आपदा प्रबंधन के नाम पर जो किट भेजी गई, उसमें शामिल वस्तुओं में भी 'खेल' कर दिया गया।

By Raksha PanthariEdited By: Publish:Wed, 20 Jun 2018 04:33 PM (IST) Updated:Thu, 21 Jun 2018 05:20 PM (IST)
उत्तरकाशी में आपदा किट खरीद में घोटाला, खड़े हो रहे कर्इ सवाल
उत्तरकाशी में आपदा किट खरीद में घोटाला, खड़े हो रहे कर्इ सवाल

उत्तरकाशी, [जेएनएन]: आपदा की दृष्टि से संवेदनशील उत्तराखंड में अफसरों की संवेदनहीनता सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति को भी चुनौती देती प्रतीत हो रही है। आलम यह है कि उत्तरकाशी जिले में 504 ग्राम पंचायतों के लिए आपदा प्रबंधन के नाम पर जो किट भेजी गई, उसमें शामिल वस्तुओं में भी 'खेल' कर दिया गया। किट में सर्च लाइट के स्थान पर टॉर्च तो तसले की जगह प्लास्टिक का टब दिया जा रहा है। इस पर कुछ ग्राम प्रधानों ने किट लेने से इन्कार कर भुगतान रोकते हुए प्रशासन से शिकायत की। प्रशासन की प्रारंभिक जांच में भी धांधली की पुष्टि हुई है। उत्तरकाशी के जिलाधिकारी डॉ. आशीष चौहान ने बताया कि आपदा किट की खरीददारी में अनियमितता सामने आ रही है। इसमें शामिल वस्तुओं के अधिक मूल्य लिए गए हैं, गुणवत्ता भी सही नहीं है और खरीददारी में नियमों को ताक पर रखा गया है। 

शासन ने वर्ष 2017 में उत्तरकाशी जिले की ग्राम पंचायतों को आपदा किट खरीदने के आदेश दिए थे। किट की खरीदारी के लिए राज्य वित्त की ओर से ग्राम पंचायतों के लिए धनराशि जारी की गई। इस धनराशि से ग्राम पंचायतों को ही किट खरीदनी थी। बताया जा रहा है कि इसके उलट पंचायत राज विभाग व विकास विभाग खुद ही किट खरीद डाली। प्रत्येक किट के लिए ग्राम पंचायतों से बीस हजार दो सौ रुपये का भुगतान करने को कहा गया है, जबकि किट की वास्तविक कीमत आठ से दस हजार रुपये के बीच आंकी जा रही है। गणेशपुर गांव की प्रधान पुष्पा चौहान ने आरोप लगाया कि अफसरों ने प्रधानों को इस बारे में भनक तक नहीं लगने दी। 

उन्होंने बताया कि जो किट दी गई है उसमें भी सामान आधा अधूरा है और अधिकांश सामान ऐसा है जो गांव के हर घर में उपलब्ध हो जाता है। सामान भी आधा-अधूरा ही है। 

मामले का संज्ञान लेते हुए जिलाधिकारी डॉ. आशीष चौहान ने प्रशिक्षु आइएएस नमामि बंसल और जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी देवेंद पटवाल को जांच के आदेश दिए। जिलाधिकारी डॉ. आशीष चौहान ने बताया कि सामान में  सर्च लाइट की जगह टार्च और तसले के स्थान पर प्लास्टिक के टब दिया गया है। साथ ही इस बात का भी कहीं उल्लेख नहीं है कि किस आधार पर सामान आपूर्ति करने वाली एजेंसी को चुना गया है। उन्होंने कहा कि पूरे मामले की जांच कराई जा रही है और रिपोर्ट आने पर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। 

किट में ये होनी थीं वस्तुएं 

दो सर्च लाइट, दो तसले, अच्छी गुणवत्ता के दो तिरपाल और दो कंबल, दो स्ट्रेचर, 100 मीटर की 12मिमी वाली रस्सी, दो वाटर कैंपर, एक गैंती, एक सब्बल, एक बेलचा,  

ये बांटी जा रही हैं 

दो टॉर्च, दो प्लास्टिक के टब, एक गैंती, 

100 मीटर लंबी रस्सी (12एमएम की नहीं है), एक सब्बल, एक बेलचा, दो तिरपाल, दो कंबल, एक  कैंपर, 

दो स्ट्रेचर, दो जग (सामान की गुणवत्ता पर उठ रहे सवाल) 

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