मातृभाषा में उत्तराखंड का ऑनलाइन ज्ञान

शिक्षा को गुणवत्तापरक बनाने के उद्देश्य से राज्य शैक्षिक अनुसंधान परिषद ने अभ्भि्नव पहल की है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 06 Aug 2020 11:11 PM (IST) Updated:Fri, 07 Aug 2020 06:15 AM (IST)
मातृभाषा में उत्तराखंड का ऑनलाइन ज्ञान
मातृभाषा में उत्तराखंड का ऑनलाइन ज्ञान

शैलेंद्र गोदियाल, उत्तरकाशी

शिक्षा को गुणवत्तापरक बनाने के उद्देश्य से राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान (एससीईआरटी) और सर्व शिक्षा अभियान (एसएसए) ने गढ़वाल मंडल के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए खास प्रयोग किया है। इसके तहत एससीईआरटी ने उत्तराखंड परिचय श्रृंखला के 14 गीत रिलीज कर दिए हैं। बच्चे यू-ट्यूब पर ऑनलाइन और ऑफलाइन इन गीतों को सुन एवं समझ सकते हैं। इसमें गढ़वाली बोली का ज्ञान भी बच्चों को दिया जा रहा है। साथ ही ऑनलाइन शिक्षा के लिए भी यह कारगर प्रयोग है।

अभी तक उत्तराखंड परिचय गीत श्रृंखला के तहत 14 गीतों को यू-ट्यूब पर रिलीज किया जा चुका है, जबकि दस और गीतों की रिकॉर्डिग होनी है। इन गीतों में राज्य के सामान्य ज्ञान, वाद्ययंत्र, लोकगीत शैली और गढ़वाली बोली-भाषा का भी ज्ञान दिया है। खास बात यह है कि यह सभी गीत शिक्षकों ने रचे हैं स्वर भी इनमें शिक्षकों ने ही दिए हैं। कोरोना संक्रमण के चलते ऑनलाइन शिक्षा के लिए एससीईआरटी ने इन गीतों को यू-ट्यूब पर डाला है। इन ज्ञानवर्धक गीत न सिर्फ बच्चों के मतलब के हैं, बल्कि आमजन भी इन्हें सुन और समझ सकते हैं।

नवाचारी प्रयोग के तहत इन गीतों को उत्तराखंड की पारंपरिक जागर, तांदी, रासों, पंडवाणी, बेड़ा, चांचड़ी, मंडाण आदि गायन शैली में रिकॉर्ड किया गया है। एससीईआरटी के प्रवक्ता डॉ. नंदकिशोर हटवाल कहते हैं कि वर्तमान समय में अपनी बात को जनमानस तक पहुंचाने के लिए ऑनलाइन वीडियो व ऑडियो एक मजबूत माध्यम है। कोरोना संक्रमण के दौर में इसकी सबसे अधिक जरूरत महसूस की जा रही है। इसलिए इस माध्यम को नवाचारी प्रयोग में लाया गया है। ताकि बच्चे इन गीतों को स्कूली कार्यक्रमों में सिर्फ मनोरंजन के लिए न गाएं, बल्कि स्वयं भी इनसे ज्ञान लें।

एसएसए के जिला समन्वयक ओम बधाणी बताते हैं कि उत्तराखंड परिचय गीत राजस्व अभिलेख, उत्तराखंड का इतिहास, जनसंख्या, उत्तराखंड के दर्रे, वन विहार, तीज-त्योहार, जनजाति, पर्यटन स्थल, वनस्पति, ताल-सरोवर, शिखर, महान हस्तियां, महानगर, मेले और धार्मिक आयोजन के गीत हैं।

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इन शिक्षकों ने किया गीतों का संकलन

डॉ. नंदकिशोर हटवाल, ओम बधाणी, धर्मेंद्र नेगी, सुधीर बत्र्वाल, देवेश जोशी, गिरीश सुंद्रियाल, बिदु नौटियाल, डॉ. उमेश चमोला, अवनीश उनियाल, डॉ. प्रीतम अपछ्याण, नवीन डिमरी, मनोहरमा बत्र्वाल आदि।

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इन शिक्षकों ने दी गीतों को आवाज

ओम बधाणी, सुधा ममगाईं, मोहित उपाध्याय, ओमप्रकाश नोगियाल, डॉ. शिवानी राणा चंदेल व बिंदु नौटियाल।

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इन वाद्ययंत्रों पर दिया गया संगीत

मोछंग, ढोल, दमाऊ, भंकोरा, हुड़का, डौंर, थाली आदि।

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