...और गुम हुई अवतार-गढ़वाली की 'त्रिवेणी', कैसे जानिए इस खबर में

वीर चंद्र सिंह गढ़वाली ने ध्रुवपुर में प्रख्यात मूर्तिकार अवतार सिंह पंवार को दो बीघा भूमि दान देते हुए त्रिवेणी आश्रम की नींव रखी जो आज इतिहास के पन्नों में गुम हो गया है।

By Raksha PanthariEdited By: Publish:Wed, 25 Dec 2019 02:11 PM (IST) Updated:Wed, 25 Dec 2019 02:11 PM (IST)
...और गुम हुई अवतार-गढ़वाली की 'त्रिवेणी', कैसे जानिए इस खबर में
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कोटद्वार, जेएनएन। जयंती हो या पुण्यतिथि, दो फूल चरणों में अर्पित कर महान विभूति के आदर्शों को आत्मसात करने का संकल्प लिया और पूरी हो गई कर्तव्यों की इतिश्री। लम्हा बीता और लम्हों के साथ ही संकल्प भी दूर होते चले गए। नतीजा, आदर्श तो आत्मसात किए नहीं, उस महान विभूति के उन सपनों को भी पूरा करने की जहमत नहीं उठाई जाती, जिन्हें जनहित में देखा गया था। कोटद्वार नगर निगम के अंतर्गत ध्रुवपुर में स्थित त्रिवेणी आश्रम इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है। पेशावर कांड के महानायक वीर चंद्र सिंह गढ़वाली और प्रख्यात मूर्तिकार अवतार सिंह पंवार के हाथों संजोया गया त्रिवेणी आश्रम, लेकिन, आज न आश्रम बचा और न ही गढ़वाली के सपनों को साकार करने का जज्बा। 

कोटद्वार क्षेत्र के युवा मूर्तिकला के विषय में जाने और मूर्तिकला में पारंगत हो उन्हें रोजगार की नई दिशा मिले, इसी सोच के साथ पेशावर कांड के नायक वीर चंद्र सिंह गढ़वाली ने ध्रुवपुर में प्रख्यात मूर्तिकार अवतार सिंह पंवार को दो बीघा भूमि दान देते हुए 'त्रिवेणी आश्रम' की नींव रखी। जीवन के अंतिम क्षणों तक अवतार सिंह पंवार त्रिवेणी आश्रम को कला और संस्कृति का तीर्थ बनाने में जुटे रहे, लेकिन 17 जुलाई 2002 को अवतार सिंह पंवार के चिरनिद्रा में सोने के साथ ही दो महानायकों का सपना बिखर गया। हालात यह हैं कि आज त्रिवेणी आश्रम इतिहास के पन्नों में गुम हो चुका है। 

धूल फांक रहीं बेशकीमती मूर्तियां 

वीर चंद्र सिंह गढ़वाली के सपनों को लेकर स्थानीय जनता के साथ ही सरकारी सिस्टम की उपेक्षा त्रिवेणी आश्रम में स्पष्ट नजर आती है। जिस भूमि पर आश्रम की स्थापना होनी थी, वह भूमि बिक्री पर लगी हुई है। मूर्तिकार डॉ. अवतार सिंह पंवार ने कई वर्षों की मेहनत से जिस त्रिवेणी आश्रम को सजाया-संवारा, वहां पड़ी बेशकीमती मूर्तियां आज भी संरक्षण के अभाव में धूल फांक रही हैं। डॉ. पंवार कहा करते थे कि दानव और मानव, संपूर्ण शिव परिवार की मूर्तियों में गूढ़ रहस्य छिपा हुआ है, लेकिन आज यह मूर्ति भी गायब है। एक आवासीय भवन के पीछे बरामदे में पड़ी इंदिरा गांधी, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, माधो सिंह भंडारी, बैरिस्टर मुकुंदी लाल समेत दर्जनों मूर्तियां को आज भी संरक्षण की दरकार है। 

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वीर चंद्र सिंह गढ़वाली स्मारक समिति के अध्यक्ष शैलेंद्र सिंह बिष्ट का कहना है कि त्रिवेणी आश्रम को दी गई भूमि बेचे जाने की चर्चा है, जबकि नियमानुसार दान में दी गई भूमि बेची नहीं जा सकती। समिति की ओर से भूमि बेचे जाने पर रोक लगाने की मांग सरकार से की जाएगी। साथ ही प्रदेश सरकार से इस भूमि में फाइन आर्ट कॉलेज खोलने की मांग की जाएगी। 

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