न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर : जाति, धर्म और दल से परे है साबिर की आवाज

54 साल हो गए उनकी जादूगर आवाज के लोग इतने कायल हैं कि चाहे चुनाव हो या धार्मिक कार्यक्रम, सब में उनकी आवाज फिजा में गूंजती है।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Mon, 12 Nov 2018 07:21 PM (IST) Updated:Mon, 12 Nov 2018 07:21 PM (IST)
न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर : जाति, धर्म और दल से परे है साबिर की आवाज
न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर : जाति, धर्म और दल से परे है साबिर की आवाज

नैनीताल, (जेएनएन) : 54 साल हो गए उनकी जादूगर आवाज के लोग इतने कायल हैं कि चाहे चुनाव हो या धार्मिक कार्यक्रम, सब में उनकी आवाज फिजा में गूंजती है। वह कांग्रेस के कार्यकर्ता है पर नगर निगम चुनाव में वह बिना भेदभाव के सभी दलों का प्रचार कर रहे हैं। वह सिर्फ काशीपुर में हीं नहीं, बल्कि कई राज्यों में प्रचार करने जाते हैं। खास बात यह है कि बच्चों के लापता हो जाने, धार्मिक कार्यक्रम हो या फिर नई दुकान खोले जाने का प्रचार करना हो। सभी के लिए उनकी आवाज लोगों को लुभाती है।

काशीपुर निवासी साबिर हुसैन पुत्र अशफाक हुसैन का जन्म 1948 में हुआ था। जब वे 16 साल के थे। उस समय उदयराज हिन्दू इंटर कालेज में कक्षा नौ के छात्र थे। वे राजनीतिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेते थे और नारेबाजी करते थे। वर्ष 1964 में काशीपुर विधान सभा चुनाव में कांग्रेस से एनडी तिवारी और सोशलिस्ट प्रजातांत्रिक पार्टी से रामदत्त जोशी खड़े थे। साबिर ने साइकिल रिक्शा से बारी-बारी से दो दिन लाउडस्पीकर से प्रचार करते थे। इसके बाद वह कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली और उनकी आवाज का जादू लोगों के सिर पर चढ़कर बोलने लगा।

नई दुकान खुली हो या किसी का बच्चा खो गया हो। सब तरह के कामों की वह घोषणा करने लगे। इसके बाद पांच दशक से यह सिलसिला जारी है। उनकी आवाज के लोग इतने कायल हुए कि उन्हें हिन्दू हो या मुस्लिम सभी अपने धार्मिक कार्यक्रमों में बुलाने लगे। ग्राम पंचायत, निकाय, विधान सभा का चुनाव हो या लोकसभा का। सभी में सभी राजनीतिक दलों के प्रचार में उनकी आवाज गूंजने लगी। वर्ष 1985 से 2000 के बीच साबिर टेप रिकार्डिंग के जरिये प्रचार करने लगे। इसके बाद जैसे-जैसे नई तकनीकि आई। साबिर ने अपने को बदलना शुरू कर दिया और वर्ष 2000 से प्रचार या अन्य कार्यक्रमों के लिए वे अपनी आवाज कंप्यूटर से रिकार्ड करने लगे।

साबिर प्रसिद्ध रेडियो जॉकी अमीन सयानी की आवाज से प्रभावित हैं। वे उनकी नकल करने की कोशिश करते हैं। साबिर ने पहले सपा की सदस्यता ग्रहण की थी बाद में वर्ष 2008 में फिर वह कांग्रेस में आ गए। साबिर बताते हैं कि कमाई का कोई जरिया नहीं था तो आवाज को ही व्यवसाय बना लिया। बिना भेदभाव के सभी दलों का अपनी आवाज की रिकार्डिंग से प्रचार करते हैं, मगर जीत किसी की हो, इससे उनका कोई मतलब नहीं है।

वर्तमान में वह अपनी आवाज के माध्यम से नगर निगम के मेयर पद की भाजपा प्रत्याशी, कांग्रेस प्रत्याशी और बसपा प्रत्याशी के साथ पार्षदों का प्रचार कर रहे हैं। प्रत्याशी उनकी आवाज का उपयोग अपने लिए कार व ई रिक्शा व अन्य साधनों से शहर भर में कर रहे हैं। साबिर ने अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा-दीक्षा दी है। उनके बेटे सद्दाम हुसैन दुबई और साजिद हुसैन सऊदी अरब में इंजीनियर हैं। छोटा बेटा आमिर हुसैन परास्नातक की पढ़ाई की है। दो बेटियां इंटर पास हैं।

शराब की दुकान के प्रचार में हुई थी पिटाई : करीब 20 साल पहले रेलवे स्टेशन रोड पर शराब की दुकान खुली तो उन्हें दुकान का प्रचार के लिए कहा गया। प्रचार करते समय मोहल्ला महेशपुरा डॉक्टर कालोनी की महिलाओं ने उनकी यह कहकर पिटाई कर दी थी कि लोगों को शराब पीने के लिए दुकान खुलने पर प्रचार कर रहे हो। इसके बाद वह कभी भी शराब की दुकान खुलने का प्रचार नहीं किया।

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