आइआइएम में किसान के बेटे ने बनाया अनोखा ट्रैक्‍टर, पहाड़ की खेती होगी आसान nainital news

प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर पहाड़ की खेती आसान नहीं। जुताई की झंझट के साथ सिंचाई की चिंता अलग से।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Fri, 21 Feb 2020 08:48 AM (IST) Updated:Fri, 21 Feb 2020 08:48 AM (IST)
आइआइएम में किसान के बेटे ने बनाया अनोखा ट्रैक्‍टर, पहाड़ की खेती होगी आसान nainital news
आइआइएम में किसान के बेटे ने बनाया अनोखा ट्रैक्‍टर, पहाड़ की खेती होगी आसान nainital news

काशीपुर, अभय कुमार पांडेय :  प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर पहाड़ की खेती आसान नहीं। जुताई की झंझट के साथ सिंचाई की चिंता अलग से। किसानों की मुश्किल को कुछ हद तक आसान करने की कोशिश की है महाराष्ट्र के श्रीलेश माडेय ने। पहाड़ी खेतों की जुताई के लिए विशेष ट्रैक्टर डिजाइन किया है। नाम दिया है ट्रैक्ड्रील। आइआइएम के फाउंडेशन फॉर इनोवेशन एंड एंटरप्रेन्योरशिप डेवलपमेंट में तीन माह के प्रशिक्षण के बाद उन्हें यह सफलता मिली।

दो लाख में किसान ले सकेंगे ट्रैक्‍टर

श्रीलेश के काम से प्रभावित होकर आइआइएम ने कृषि मंत्रालय, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग को फंड जारी करने की संस्तुति की है। ऐसा हुआ तो पांच से छह लाख में मिलने वाले ट्रैक्टर के विकल्प के तौर मात्र दो लाख में ही किसान इसे इस्तेमाल कर सकेंगे। ट्रैकड्रील को पहाड़ की खेती के अनुसार डिजाइन किया गया है। इससे वह ऊंची चढ़ाई आसानी से पार करने में सक्षम है। खास बात है कि कम जगह में मुड़ भी जाएगा। इससे किसान जुताई और फॉगिंग भी आसानी से कर सकेंगे। 

पिता की मुश्किल ने दिखाई राह 

महाराष्ट्र के पुणे जिले के ओजर गांव निवासी श्रीलेश माडेय के पिता किसान हैं। खेती को सुगम बनाने के लिए ट्रैक्टर खरीदना चाहते थे, लेकिन आर्थिक स्थिति से मजबूर रहे। गन्ने की खेती के लिए पॉवर ट्रिलर खरीदा, जिसे चलाना आसान नहीं था। यहीं से ट्रैक्ड्रील की सोच शुरू हुई। इसे साकार करने के लिए श्रीलेश  हाई स्कूल के बाद से ही जुट गए। वर्ष 2013 में मैकेनिकल डिप्लोमा के दौरान पहला मॉडल प्रस्तुत किया। इस बीच शिवनगर इंजनियरिंग कॉलेज से  मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू की। यहां ट्रैक्ड्रील के मॉडल को नया रूप मिला। 

आइआइएम स्‍टार्टअप को दे रहा बढ़ावा

आइआइएम के टॉप थ्री स्टार्टअप में  श्रीलेश के सपनों को पंख देने का काम विज्ञान व प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने किया। स्टार्टअप के तहत आइआइएम काशीपुर फाउंडेशन फॉर इनोवेशन एंड एंटरप्रेन्योरशिप डेवलपमेंट के तहत तीन माह का प्रशिक्षण भी दिया गया। मॉडल की प्रस्तुति के लिए मंत्रालय ने 10 लाख रुपये का बजट दिया। इसके बाद 25 लाख की अतिरिक्त मंजूरी के लिए कृषि मंत्रालय को भी प्रोजेक्ट भेजा गया। वहां पेटेंट कराने की प्रक्रिया अंतिम दौर में है। 

लागत में आएगी कमी

श्रीलेश ने बताया कि ट्रैक्ड्रील से खेती की लागत काफी कम होगी। यह जुताई, बुआई, स्प्रेयर, रोटावेटर के साथ- साथ  खरपतवार निकालने तक का काम करेगा। वहीं आइआअइएम डायरेक्टर फीड सफल बत्र ने बताया कि आइआइएम काशीपुर फाउंडेशन फॉर इनोवेशन एंड एंटरप्रेन्योरशिप डेवलपमेंट के तहत बेस्ट स्टार्टअप के तौर पर श्रीलेश का चयन किया गया था। उन्हें तीन महीने का प्रशिक्षण भी दिया गया। उनका प्रयोग किसानों के लिए लाभकारी सिद्ध होगा। 

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