कूड़ा बीनने, भीख मांगने का काम छोड़ अब बच्चे चले इस राह पर
हल्द्वानी में डे एंड केयर सेंटर गरीब बच्चों के भविष्य को संवार रहा है। यहां भीख मांगने और कूड़ा बीनने वाले बच्चों को बागवानी के गुर सिखाए जा रहे हैं।
हल्द्वानी, [गणेश पांडे]: कूड़ा बीनने और भीख मांगने वाले बच्चों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने लिए संचालित डे केयर सेंटर बच्चों को खेती-बागवानी के तौर तरीकों से भी रूबरू करा रहा है। सेंटर आने वाले बच्चे खेल-खेल में सब्जियां उगाने व उनकी देखरेख करने की प्रक्रिया समझते हैं। धरोहर बाल आश्रय गृह की नायाब पहल बच्चों में पेड़-पौधों के प्रति जुड़ाव पैदा पैदा करने का काम कर रही है।
शहरों में कूड़ा बीनने व भीख मांगने वाले बच्चों को समाज की मुख्य धारा में लाने के लिए महिला एवं बाल कल्याण विभाग के सहयोग से धरोहर संस्था ने फरवरी 2017 में डे केयर सेंटर शुरू किया। यहां आने वाले बच्चों को खेल, मनोरंजन आदि माध्यम से शिक्षित किया जाता है। सेंटर ने नई पहल करते हुए मकान की छत में किचन गार्डन विकसित किया है। जिसमें सीजन के अनुसार सब्जियां उगाई जाती हैं। इस समय टमाटर, बैगन, हरी मिर्च, पुदीना उगाया गया है। परिसर आकर्षक फूलों से महका रहता है।
पौष्टिक व ताजा भोजन होता है उपलब्ध
रोजाना दिन में आठ घंटे सेंटर में रहने वाले बच्चों को दोपहर का खाना भी उपलब्ध कराया जाता है। किचन गार्डन होने से बच्चों को ताजा व पौष्टिक भोजन भी मिल जाता है। वर्तमान में 49 बच्चे सेंटर आते हैं।
पौधों से जुड़ाव महसूस कर रहे बच्चे
बाल आश्रय गृह के को-ऑडिनेटर प्रकाश चंद्र पांडे कहते हैं कि किचन गार्डन विकसित करने का आइडिया बच्चों को काफी पसंद आया है। बच्चे पौधों से जुड़ाव महसूस करने लगे हैं और ये पौधा मेरा, इसकी देखभाल में करूंगा की भावना आ रही है।
किचन गार्डन की बढ़ रही लोकप्रियता
लगातार कम होती खेती की जमीन और ताजी व घर की उगाई सब्जियां खाने की लालसा ने किचन गार्डन की परंपरा को तेजी से आगे बढ़ाया है। हल्द्वानी में तमाम जगह बालकनी, घरों की छत में सब्जियां उगाई जा रही है। इसके लिए गमले व प्लास्टिक बैग का प्रयोग होता है।
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